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मां शबरी का फल खाना, हनुमान राम मिलन तथा सुग्रीव मित्रता लीला का मंचन देख दर्शक भाव-विभोर

गाजीपुर। अतिप्राचीन रामलील कमेटी हरिषंकरी के तत्वावधान में 27 सितम्बर देर सायं अयोध्या के आये बंदे वाणी बिनायकौ आदर्ष रामलीला मण्डल के कलाकरों द्वारा स्थानीय रामलीला स्थन लंका मैदान में लीला के क्रम में शबरी का फल का खाना, हनुमान राम मिलन एवं सुग्रीव से मित्रता संबन्धित लीला का मंचन करके दर्शको का मन मोहा। बताते है कि 14 वर्ष वनवास के दौरान जब श्री राम हिरन का शिकार खेल कर पंचवटी स्थित अपने कुटियां में आ करके देखा कि सीता कुटिया में नही है वे लक्ष्मण के साथ जंगलो पहाड़ो पर अपनी पत्नी को खोजते हुए बन के पशु-पक्षियों से पुछते है कि हे खग मृग हे मधुकर श्रेनी तुम देखी सीता मृग नैनी इस तरह खोजते हुए घोर जंगल को पार करते हुए शबरी की कुटिया में पहुंचते है। इसके पुर्व शबरी के गुरू मतंग ऋषि शबरी के भक्ति को देखते हुए बरदान दिया कि हे शबरी एक दिन प्रभु श्री राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ अपनी पत्नी सीता को खोजते हुए तुम्हारे आश्रम पर जरूर दर्शन देने आयेंगे यह सोचकर शबरी प्रतिदिन प्रभु श्री राम के आने की राह देखते हुए रास्ते में फुल बिछाती है कि हमारे प्रभु कब किस समय आश्रम में आ जाये और प्रतिदिन रास्ते में फूल बिछाकर प्रभु के आने की राह देखती है। 

कुछ दिनों बाद प्रभु श्री राम जंगलो पर्वतो को पार करते हुए माता शबरी के कुटिया पर आते है जब षेवरी ने दो धनुषधारी वीरों को देखती है उनका परिचय पुछती है तो श्री राम माता शबरी को कहते है कि मै अयोध्या नरेश महाराजा दशरथ का पुत्र राम तथा यह मेरा छोटा भाई लक्ष्मण है। इतना सुनते ही शबरी उनके चरणों में लिपट गई और प्रेम की आंसु से अपने प्रभु श्री राम का पैर धो कर अपने आश्रम में ले जाती है और दोनो भाईयों को अपना जूठा बैर चख-चख के खिलाती है। भगवान उसके प्रेम में आनंदित होकर शबरी के दिये हुए जुठे बेर को ग्रहण करते है। उधर जंगलवासी इस दृश्‍य को देखकर कहते है धन-धन शबरी के भाग जाके राम घर आये। इस तरह के भजन प्रभु के सामने प्रस्तुत करते है शबरी के भक्ति को देखते हुए श्री राम ने उसे नौधा भक्ति के बारे में समझाते है कि प्रथम भक्ति संतन कर संगा दूसरी मम निज कथा प्रसंगा इस तरह नौ प्रकार के भक्ति को देखकर प्रभु श्री राम सीता हरण के बारे में शबरी को बताते है। 

श्री राम के बातो को सुनकर शबरी कहती है कि प्रभु आप जंगल पहाड़ो को पार करते हुए पंपासर पर्वत के गुफाओ में किष्किंघा नरेश बाली का छोटा भाई सुग्रीव अपने भाई के डर के कारण वानरी सेनाओं के साथ रहता है। वहां जाने पर आपका काम अवष्य पूरा होगा इतना कहने के बाद शबरी प्रभु श्री राम से कहती है कि हे प्रभु अपने जाने से पहले  भक्ति का बरदान देते हुए मुझे अपने परम धाम भेजने की कृपा करें। इतना सुनते ही प्रभु श्री राम ने शबरी के भक्ति को देखते हुए अपने धाम भेज देते है। इसके बाद दोनो भाई शबरी के कुटिया से आगे चलते है थोड़ी समय बाद दोनो भाई पंपासर पहुचते है। जब सुग्रीव ने दो वीरो को देखा तो वह श्री हनुमान को बुलाकर दोनो धनुषधारी वीरों के बारे में जानकारी हेतु भेजता है। सुग्रीव के आदेश का पालन करते हुए हनुमान ब्राम्हण का वेश बनाकर श्री राम के पास पहुंचते है तथा राम लक्ष्मण से परिचय पुछते है। जब हनुमान ने राम शब्द सुना तो तुरंत ब्राम्हण वेश को त्याग कर अपने असली रूप में आते है और श्री राम के चरणों में लिपट जाते है। श्री राम ने हनुमान को उठाकर अपने गले लगाते हैं। 

इसके बाद दोनो भाईयों को अपने कंधे पर बिठाकर आकाश मार्ग से होते हुए अपने राजा सुग्रीव के पास ला कर राम लक्ष्मण का परिचय कराया। इसके बाद श्री राम ने अग्नि प्रज्वलित करके मित्रता की शपथ ली। शपथ के बाद हनुमान द्वारा पता चला कि सुग्रीव के बड़े भाई बालि के द्वारा प्रताड़ना संबन्धित सारी बातो को सुनकर संकल्प करते है कि मित्र मै अग्नि का सौगन्ध लेता हूं कि मै मित्रता इमानदारी के साथ आपसे निभाऊंगा तथा बालि को मारकर आपको किष्किंधा का राज्य सौंपने का संकल्प लेता हूं। उधर सुग्रीव भी श्री राम को वचन देता है कि प्रभु मैं भी वानरों की टोली को चारों दिशाओं में भेजकर माता सीता का पता लगाकर दम लूंगा। 

इस लीला के मंचन को देखकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो गये तथा श्री राम की जयकारा से लीला स्थल गुंजा दिया। इस मौके पर-अध्यक्ष दीनानाथ गुप्ता, उपाध्यक्ष प्रकाशचन्द्र श्रीवास्तव, मंत्री ओम प्रकाश तिवारी (बच्चा), सयुक्त मंत्री लक्ष्मी नारायण, उपमंत्री पं0 लव कुमार त्रिवेदी, मेला व्यवस्थापक (कार्यकारी) बीरेष राम वर्मा, उपमेला व्यवस्थापक शिवपूजन तिवारी (पहवान), कार्यकारिणी सदस्य-.राम नारायण पाण्डेय, राजेश प्रसाद, बांके तिवारी, ओम नाराणय सैनी, अषोक कुमार अग्रवाल, योगेश कुमार वर्मा, ऋषि चतुर्वेदी, राजेन्द्र विक्रम सिंह , अजय पाठक , सुधीर कुमार अग्रवाल, प्रदीप कुमार उपाध्याय कृष्‍णांश त्रिवेदी, अजय कुमार अग्रवाल कृश्ण बिहारी त्रिवेदी सावित्री देवी उपाध्याय एवं गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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