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गठिया रोग से बचाव के लिए शारीरिक श्रम जरूरी

गाजीपुर। गठिया(आर्थराइटिस) रोग से बचाव के लिए शारीरिक श्रम जरूरी है। विश्व आर्थराइटिस दिवस पर वाराणसी के एपेक्स हॉस्पिटल में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन गुरुवार को संगोष्ठी में बताया गया कि गठिया रोग को दूर रखने के लिए योगा, नित्य टहलना, बागबानी, गृह-कार्य जरूर करना चाहिए। सुप्रसिद्ध हड्डी रोग सर्जन स्वरूप पटेल ने आंकड़े के हवाले से बताया कि देश में लगभग एक करोड़ लोग कई तरह के गठिया के रोग से ग्रसित हैं। 

खासकर जनसंख्या में सबसे अधिक होने के कारण उत्तर प्रदेश में गठिया के सर्वाधिक रोगी हैं। वर्तमान में उपलब्ध आधुनिक सुख-सुविधाओं के रहते औसत उम्र में बढ़ोतरी हुई है। नतीजा वृद्धावस्था में गठिया से ग्रसित रोगियों की संख्या बढ़ी है। उनमें सबसे अधिक महिलाएं हैं। महिलाएं सशक्त सहनशक्ति के कारण अपनी पीड़ा को छुपा जाती हैं। उनमें जटिल गठिया रिह्यूमेटोयेड या ओस्टियो अर्थराइटिस विकसित हो जाती है। यह बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है या फिर उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों के बीच की हड्डी घिस जाना भी इसकी वजह होती है। थकान,  सुबह जोड़ों में दर्द,  जोड़ों में कठोरता,  सूजन,  बुखार  चलने की गति में बदलाव गठिया के शुरुआती लक्षण हैं। 

यदि सामान्य कमजोरी, मुंह का सूखना, सूखी खुजली, आंखों में सूजन, नींद में कठनाई की शिकायत रिह्यूमेटोयेड या ओस्टियो अर्थराइटिस के लक्षण हो सकते हैं। सुप्रसिद्ध ऑर्थो सर्जन मृत्युंजय सिंह ने बताया कि यदि जोड़ो में दर्द है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। इसमें लापरवाही गठिया का खतरा है। इस रोग से बचने के लिए शारीरिक व्यायाम सर्वोत्तम उपाय है। सुप्रसिद्ध स्पाइन एवं ओर्थो सर्जन एसके सिंह ने बताया कि गठिया जैसे रोग का समय से उपचार एवं नियमित दवा का सेवन ही सबसे उत्तम बचाव है। उन्होंने बताया आर्थराइटिस शब्द सुनते ही मन में घुटने या कुल्हे का ध्यान आता है परंतु इसका प्रकोप किसी भी जोड़ पर हो सकता है। स्पाइनल आर्थराइटिस (रीढ़ की गठिया) भी एक अत्यंत कष्टकारी बीमारी है। 
इसका समय रहते इलाज कराने से छुटकारा पाया जा सकता है।  संगोष्ठी में गठिया से बचाव के लिए संतुलित वजन बनाए रखने, धूम्रपान न करने, स्वस्थ भोजन करने, शराब से बचने और शक्कर एवं नमक का उचित मात्रा में सेवन करने की सलाह दी गई। बताया गया कि अधिकतर लोग जोड़ों में दर्द आदि का अनुभव करते हैं तब वह नहीं सोचते कि उन्हें गठिया की शिकायत हो सकती है। उनका पहला विचार उन्हें कुछ सौम्य चोटों की ओर ले जाता है और आमतौर पर स्वयं ही दर्द के उपचार का प्रयास करते हैं।  उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि शुरुआती दौर में इस रोग का इलाज केवल दवा खाने, व्यायाम करने और फिजियोथेरेपी से हो सकता है। वैसे पूरे घुटना या कुल्हा के प्रत्यारोपण सफल उपचार है। 

इस मौके पर संस्थान में इलाज से गठिया रोग से मुक्त हुए कृष्णा सोमानी, सीए करकेट्टा, राज रानी सिंह आदि ने अपना अनुभव शेयर किया। इसी क्रम में गठिया रोग से बचाव के लिए जागरुकता रैली निकाली गई। रैली शहीद उद्यान वाराणसी नगर निगम से आरंभ होकर सिगरा होते हुए नगर निगम मुख्यालय लौट कर समाप्त हुई। रैली को हॉस्पिटल से गठिया रोग से मुक्ति पाने वालों ने हरी झंडी दिखाई। संगोष्ठी से पूर्व एपेक्स कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग एवं फिजियोथेरेपी के छात्रों ने पोस्टर मेकिंग एवं क्विज का भी आयोजन किया। कार्यक्रम में पूर्व सीएमओ राम आसरे सिंह, स्पाइन एवं ऑर्थो सर्जन एसके सिंह आदि मौजूद थे।
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