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पौत्र ही था पूर्व फौजी के अपहरण का मास्टर माइंड

गाजीपुर। दिलदारनगर थान के सेंदुरा गांव के पूर्व फौजी यमुना सिंह कुशवाहा के अपहरण का मास्टर माइंड कोई दूसरा नहीं चचेरा पौत्र था। यही नहीं बल्कि अपहरण के बाद उनके घर से महज 40 मीटर दूर एक कोठरी में रखा गया था। यह तथ्य तब सामने आया जब अपहर्ता पौत्र तथा उसका साथी पुलिस गिरफ्त में आए। पुलिस कप्तान सोमेन बर्मा ने रविवार की शाम उन दोनों को अपने ऑफिस में मीडिया के सामने पेश किए। 

बताए कि शनिवार की शाम करीब पांच बजे वह कहीं अन्यत्र भागने के लिए दिलदारनगर स्टेशन पर मौजूद थे। मुखबिर से सूचना मिलने पर क्राइम ब्रांच तथा दिलदारनगर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में दबोच लिए गए। उनमें त्रिवेणी कुमार कुशवाहा सेंदुरा गांव का ही रहने वाला है जबकि दूसरा राजनाथ बिंद दिलदारनगर थाने के मिर्चा गांव का है। अपहरण का मास्टर माइंड त्रिवेणी ही था। वह कम जोखिम और मेहनत के धन कमाने का ख्वाब देखता रहता था। उसी बीच उसे अपहरण का आइडिया आया। 

सवाल था कि आखिर किसका अपहरण करे। तब अपने ही खानदान के पूर्व फौजी यमुना सिंह का चेहरा उसके सामने आया। वह पहले से ही यमुना सिंह से काफी जुड़ा था। रिश्ते में वह उसके दादा लगते हैं। लिहाजा वह उनके अपहरण का प्लान बनाया। उसमें अपने साथी राजनाथ बिंद को जोड़ा। प्लान के मुताबिक बीते तीन अक्टूबर की रात वह दोनों अपने मुंह गमछे से बांध यमुना सिंह के डेरे पर पहुंचे। 

जबरिया यमुना सिंह के मुंह में कपड़ा ठूंस दिए और उनकी आंखों पर पट्टी बांधे। उसके बाद त्रिवेणी यमुना सिंह को अपनी पीठ पर लादा और एक कोठरी में ले जाकर बंद कर दिया। उसके पहले 30 लाख रुपये की फिरौती की मांग वाली अपने हाथ से लिखी चिट त्रिवेणी यमुना की चारपाई के पास लोटे के नीचे दबा दिया था। उस चिट पर संपर्क के लिए फोन नंबर भी लिखा था। पहचान के डर से यमुना के सामने त्रिवेणी नहीं पड़ता था और न कुछ ही बोलता था। यह काम राजनाथ बिंद करता था। भोजन के नाम पर उन्हें बस पानी देता था। 

यहां तक कि उनको शौच भी उसी कोठरी में करने को कहा। त्रिवेणी अपनी गतिविधियां पहले की तरह सामान्य रखा। ताकि कोई उस पर शक नहीं करे। वह यमुना के घरवालों से उनके अपहरण पर दुख भी जताता रहा। उधर जब अपहरण की सुबह यमुना की पुत्री चाय लेकर डेरे पर पहुंची तब घरवालों को इसकी जानकारी हुई। पुलिस कप्तान ने बताया कि मौके पर यमुना सिंह के दोनों चप्पल पड़े थे। 

इससे साफ हो गया था कि उन्हें जबरिया उठाया गया है। फिरौती की मांग वाली चिट पर दर्ज फोन नंबर को सर्विलांस पर लगाया गया तो उससे साफ हो गया कि अपहर्ता कहीं दूर के नहीं है। उस बीच घटना को लेकर पुलिस की तत्परता, सक्रियता से अपहर्ता घबरा गए। उन्हें पकड़े जाने का डर सताने लगा। तब उन्होंने यमुना को मुक्त करने में ही भलाई समझी और पांच अक्टूबर की भोर में उनको कोठरी से निकाले तथा गांव के जीतू यादव के घर के पास छोड़ कर चलते बने। पुलिस कप्तान ने बताया कि सर्विलांस के जरिये अपहर्ताओं की पहचान हुई। 
अपहरण के बाद यमुना को जिस कोठरी में रखा गया था वह त्रिवेणी के चाचा किशोर कुशवाहा की थी। किशोर पंजाब में रहते हैं। अपने घर की देखरेख के लिए उसकी चाबी त्रिवेणी को दिए थे। पुलिस कप्तान ने बताया कि चिट में फिरौती की रकम के साथ यमुना के खान-पान के खर्च के नाम पर अलग से 50 हजार रुपये देने की बात लिखी गई थी। पुलिस कप्तान ने बताया कि त्रिवेणी पहले से अपराधी मिजाज का है। वह लूट के मामले में जेल भी जा चुका है। अपहर्ताओं को दबोचने वाली पुलिस टीम की अगुवाई एसएचओ दिलदारनगर अखिलेश कुमार त्रिपाठी तथा क्राइम ब्रांच इंचार्ज टीबी सिंह कर रहे थे।
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