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गाजीपुर: दुधिया बुखार पशु के लिए जानलेवा

गाजीपुर। दुधिया बुखार दुधारु पशुओं के लिए घातक है। अगर सही समय पर उचित उपचार नहीं हुआ तो वह जानलेवा साबित हो सकता है। कृषि विज्ञान केंद्र, पीजी कॉलेज की ओर से कलस्टर गांव शेखपुरा में गुरुवार को प्रशिक्षण कार्यक्रम में पशु चिकित्सा वैज्ञानिक डॉ.डीपी श्रीवास्तव ने बताया कि दुधिया बुखार ज्यादातर अधिक दूध देने वाले पशुओं में होता है। इसकी नौबत प्रजनन के 24 से 72 घंटे के भीतर आती है। 

दुधिया बुखार से ग्रस्त पशु के शरीर का तापमान बढ़ने के बजाय घट जाता है। पशु सुस्त रहता है। खाना-पीना कम कर देता है। दूध उत्पादन की मात्र घट जाती है। इस बुखार के तीन चरण होते हैं। दुधिया बुखार का पहला चरण में दूध घटने लगता है। शरीर का तापमान 100 फारेनहाईट या उससे कम हो जाता है। 

दूसरे दौर में पशु बैठने के बाद अपनी गर्दन अपने कोख के ऊपर रख लेता है। इसे अंग्रेजी के अक्षर एस आकार का दौर भी कहा जाता है। यह दोनों दौर में पशु के बचने की गुंजाइश रहती है लेकिन तीसरे दौर में पशु अपने किसी साइड में लेट जाता है। खाना-पीना बंद कर देता है। 
अगर उसे उचित उपचार नहीं मिला तो मौत भी लगभग तय रहती है। उस दशा में पशु पालक पीड़ित पशु को कैल्सियम चढ़वाएं। साथ ही अन्य जरूरी दवाएं दें। पशु के पानी के पात्र को चूने से पोताई करने पर इस बुखार की संभावना कम हो जाती है। इस मौके पर केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक तथा हेड डॉ.दिनेश सिंह, डॉ.धर्मेंद्र कुमार सिंह आदि थे। प्रशिक्षण में 50 पशुपालकों ने हिस्सेदारी की।
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