गाजीपुर: भाजपा को महंगा पड़ सकता है 2019 में अति पिछड़े व अति दलित समाज की उपेक्षा
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर जैसे-जैसे 2019 का महासंग्राम नजदीक आ रहा है प्रदेश का सियासी पारा गर्म हो रहा है। सियासी गलियारों में वर्तमान समय में यह चर्चा जोरों पर है कि अति बैकवर्ड, अति दलित के बल पर भाजपा ने देश और उत्तर प्रदेश में अपना विजय पताका फहराया है। अति बैकवर्ड और अति दलित समाज के बल पर भाजपा ने उत्तर प्रदेश में इतिहासिक जीत दर्ज करते हुए 325 सीटें हासिल की। 325 सीटों में ओबीसी, एसटी, एससी के 60 प्रतिशत विधायक हैं। जिसके बल पर योगी सरकार का परचम पूरे प्रदेश में लहरा रहा है। अति बैकवर्ड व अति दलित समाज में जिस तरह से भाजपा के प्रति उत्साहित था यह उत्साह धीरे-धीरे ठंडा पड़ रहा है। अति दलित व अति बैकवर्ड समाज काफी निराश है।
दोनों समाजों का यह आरोप है कि हमारे वोट के बदौलत भाजपा की सरकार बनी है और सबसे ज्यादा हमारी ही उपेक्षा हो रही है। मंत्रियों को महत्वहीन पद दिये गये हैं और इस समाज के नौकरशाहों को भी किनारे पर रखा गया है। दारोगा से लेकर आईएस-पीसीएस तक के अधिकारियों को महत्वहीन पदों पर बिठाया गया है। सीएम, दो डिप्टी सीएम, विधानसभा अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष जैसे पदों पर केवल एक बैकवर्ड समाज केशव प्रसाद मौर्या डिप्टी सीएम हैं। लगातार उपेक्षा से अति पिछड़ा व अति दलित समाज काफी खिन्न है।
इस संदर्भ में भाजपा के पूर्व एमएलसी बाबूलाल बलवंत ने बताया कि पीएम मोदी के व्यक्तित्व के आगे सभी मुद्दे दब गये है। हमारे सांसद और विधायक गंभीर मुद्दों को नजरअंदाज कर रहे हैं। हमारे मंत्री, विधायक, और सांसद केवल मोदी जी पर आस लगाये रहते है कि मोदी जी सबकी नैया पार लगा देंगे। लेकिन अति पिछडा व अति दलित समाज के उपेक्षा के मुद्दे पर मैं ससंकित हूं कि इस मुद्दे का असर 2019 में दिखाई पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश को-आपरेटिव यूनियन के चेयरमैन उमाशंकर कुशवाहा ने बताया कि अति पिछड़े व अति दलित समाज की उपेक्षा के घातक परिणाम आने वाले समय में होगा।
बिंद समाज कल्याण संघ के जिलाध्यक्ष बिंदूबाला बिंद ने बताया कि भाजपा में पिछड़ों को सिर्फ वोटर व प्रचारक के रुप में इस्तेमाल किया जाता है। अति पिछड़ों व अति दलितों के बदौलत उत्तर प्रदेश में प्रचंड बहुमत प्राप्त करने वाली भाजपा ने संघ के इशारे पर यहां के अति पिछड़ों को दर-किनारे कर दिया। उत्तर प्रदेश में जातिगत समीकरण में ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत, त्यागी, श्रवण, वैश्य की कुल जनसंख्या 16 प्रतिशत से कम है। वहीं पिछड़े वर्ग की आबादी 54 प्रतिशत से अधिक है। केशव प्रसाद मौर्या को डिप्टी सीएम बनाकर बाकी सभी को उपेक्षित कर किनारे लगा दिया।