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गाजीपुर: कासिमाबाद ब्लाक प्रमुख के खिलाफ 81 बीडीसी सदस्यों ने डीएम को सौंपा अविश्वास प्रस्ताव

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर एक बार फिर साथ आए सपा-बसपा के गठबंधन ने गाजीपुर में भी राजग के खिलाफ हमला बोल दिया है। पहला निशाना बने हैं कासिमाबाद के ब्लाक प्रमुख श्याम नारायण राम। राजग के घटक भासपा से वह जुड़े हैं। उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी है। 

सोमवार को सपा-बसपा के नेता बीडीसी सदस्यों के साथ डीएम के बालाजी से मिले। कासिमाबाद के कुल 120 बी़डीसी सदस्यों में 81 के शपथ पत्र के साथ संयुक्त हस्ताक्षर वाला अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस डीएम को सौंपे। उन बीडीसी सदस्यों की अगुवाई बीडीसी सदस्य अनिल राम कर रहे हैं। डीएम को नोटिस सौंपते वक्त पूर्व ब्लाक प्रमुख रामायण सिंह, जकाउत्तालह सोनू के अलावा बसपा नेता फेंकू यादव, अजय यादव, बलिराम पटेल सहित सपा के जहूराबाद विधानसभा इकाई अध्यक्ष जैहिंद यादव, पूर्व जिलाध्यक्ष द्वय रामधारी यादव तथा राजेश कुशवाहा आदि थे। नोटिस के सवाल पर डीएम के बालाजी ने बताया कि अविश्वास प्रस्ताव को लेकर मिले शपथ पत्रों की जांच कराई जाएगी। उसके बाद आगे की कार्यवाही होगी। 
उधर ब्लाक प्रमुख श्याम नारायण खुद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस के बावजूद अपनी कुर्सी को लेकर आश्वस्त हैं। बताए कि विरोधियों के बाद वह भी डीएम से मिले थे। उन्होंने अपने पक्ष में 90 बीडीसी सदस्यों का शपथ पत्र भी पेश किया लेकिन डीएम ने उन्हें इस मामले में अगले दिन दोबारा मिलने को कहा। उनका कहना था कि काम के बंटवारे में वह किसी से कोई भेदभाव नहीं करते लेकिन ठेका-पट्टा नहीं मिलने पर कुछ लोग उनके खिलाफ लामबंद हो गए हैं लेकिन उसका कोई मतलब नहीं निकलेगा। अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में संख्या बल पर उनका कहना था कि डीएम के सामने परेड तो कराई नहीं गई। परेड होती तो सच्चाई सामने होती।

सपा-बसपा को लेना है बदला!
अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले बीडीसी सदस्यों की अगुवाई अनिल राम कर रहे हैं। वह अंसारी बंधुओं के कभी बेहद करीब रहे वरिष्ठ नेता स्व.कांता राम के पुत्र हैं। जाहिर है कि अंसारी बंधु भी अविश्वास प्रस्ताव के जरिये अपने साथी कांता राम के साथ हुए आघात का बदला लेना चाहते हैं। मालूम हो कि ब्लाक प्रमुख के आम चुनाव में अंसारी बंधु अपनी पार्टी कौएद से कांता राम को उम्मीदवार बनाए थे। 

तब दूसरे उम्मीदवार श्याम नारायण बसपा में थे लेकिन प्रमुख की कुर्सी सुनिश्चित करने के लिए वह पाला बदले और तत्कालीन सत्ताधारी दल सपा में शामिल हो गए थे। उन्हें प्रदेश सरकार की तत्कालीन मंत्री शादाब फातमा का आशीर्वाद मिला। फिर तो सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर चुनाव की नौबत ही नहीं आने दी गई थी और श्याम नारायण ब्लाक प्रमुख की कुर्सी पर बैठने में सफल हो गए थे। उसके बाद सत्ता बदली। सियासत में मौका देखने में माहिर श्याम नारायण ने भाजपा की सहयोगी पार्टी भासपा का दामन थाम लिया। 

अब जबकि बसपा का साथ मिला है तो सपा भी श्याम नारायण को सबक सिखाना चाहती है। हालांकि भासपा के जिलाध्यक्ष कै.रामजी राजभर का कहना है कि अविश्वास प्रस्ताव गिर जाएगा। अब रही बात राजग के प्रमुख घटक भाजपा की तो अविश्वास प्रस्ताव के मामले में वह अपनी सहयोगी भासपा का साथ देगी कि नहीं। यह फिलहाल सस्पेंस में है। वजह बताया जा रहा है कि डीएम से अविश्वास की नोटिस लेकर मिलने वालों के पीछे से कुछ भाजपा के लोग भी सहयोग कर रहे हैं। 
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