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गाजीपुर: अमनो चमन के साथ मना शब-ए-बारात

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर जिले में शब-ए-बारात पूरी मिल्लत व अकीदत के साथ मनाया गया। चिरागों की रोशनी से जहां कब्रिस्तान जगमगाते रहें। वहीं मस्जिद व ईदगाह भी झालरों से रोशन रहे। मुस्लिम बंधुओं ने आतिशबाजियां भी की। कब्रिस्तानों पर आकर अपने पुरखों की कब्र पर चिराग जलाया। पास बैठकर फातिहा पढ़ी। शब ए बारात की तैयारियां सुबह से ही चलती रहीं। 

वहीं शाम चार बजे के बाद से मुस्लिम बंधुओं का रुख कब्रिस्तानों की ओर हो चला। यहां पहुंचने के बाद मुस्लिम महिलाओं सहित पुरुष वर्ग अपने पूर्वजों की कब्र के पास फातिहा पढ़ने के बाद अमन-चैन की दुआ की। जनपद के मुस्लिम बहुल इलाकों में इसे लेकर सुरक्षा-व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किये गये थे। गुनाहों के लिए मांगी माफीदिलदारनगर। शब-ए-बारात पर मंगलवार को कब्रिस्तान पहुंचकर मुस्लिम बंधुओं ने गुनाहों की माफी और मुल्क में अमन चैन के लिए दुआएं मांगी। यह त्योहार नगर सहित ग्रामीण आंचलों में अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया। शाम होते ही क्षेत्र के विभिन्न मुस्लिम गांवों की मस्जिदें व कब्रिस्तान बिजली के झालरों की रोशनी से जगमगाती रही। 

इसके बाद शाम होते ही कब्रिस्तान में पहुंचकर अपने गुनाहों की माफी और मुल्क में अमन चैन के लिए दुआएं मांगी गयी। शाम होते ही क्षेत्र के उसियां, रकसहां, बहुअरा, दिलदारनगर, मिर्चा, कुशी, भक्सी, जबुरना, चित्रकोनी, सिहानी आदि गांवों में मुस्लिम समुदाय के लोग कब्रिस्तानों में पहुंचकर देर रात तक अपने पूर्वजों की कब्र पर मगफिरत के लिए अल्लाह से दुआएं मांगी। इबादत का दौर पूरी रात चलता रहा। रो-रोकर अल्लाह-ताला से अपनी गुनाहों के लिए माफी मांगी गयी। मुस्लिम महिलाएं घरों में हलवा व तरह-तरह के पकवान बनाने में मशगूल रहीं। शाम होते ही पकवान का फातिहा कराने के बाद पास-पड़ोस और रिश्तेदारों-दोस्तो में इसे बांटे गये।

तिलावत के बाद अदा की नमाजजमानियां। स्थानीय नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में मुस्लिम बंधुओं ने शब-ए-बारात यानि इबादत की रात के इस त्योहार को शांतिपूर्ण तरीके से मनाया गया। मुस्लिम बंधुओं ने पूर्वजों की याद में कब्रिस्तान, मजार पर दीप जलाकर जाने-अनजाने में हुए गुनाहों की माफी कराने के लिए रब से दुआ मांगी। वहीं पूरी रात घर की औरतें, बच्चियों ने कुरान-ए-पाक की तिलावत करने के बाद नमाज अदा की। 

नगर के आस-पास की मस्जिदों से लेकर शहीद मजारों पर झालर बत्तियों व दीपों की सजावट के साथ अगरबत्ती व धूपों की सुगंध से सभी कब्रिस्तान और मजार सराबोर रहे। मुस्लिम घरों में चना, सूजी, गरी आदि का हलवा अन्य पकवान की फातिया कराकर गरीबों में बाटे गये। कहा जाता है कि शब-ए-बारात व पर सच्चे दिल से मांगी गयी दुआएं व माफी जरूर कुबूल होती है। अल्लाह पाक उसकी मुरादें अवश्य पूरी करते हैं। 

यह भी कहा गया है कि इस दिन जो रोज़ा रखता है। उसे एक रोज़े का सवाब एक हजार के बराबर अता की जाती है। आज की रात को इबादत की रात कही गयी है। इसलिए बुजुर्ग से लेकर नौजवान सभी मुस्लिम धर्म के लोग अल्लाह-पाक की इबादत करने में मसगूल हो जाते हैं।
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