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नौ अगस्तः प्रशासन के लिए मशक्कत का दिन!

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर प्रशासन के लिए नौ अगस्त का दिन काफी मशक्कत वाला साबित हो सकता है। एक ओर राज्य कर्मियों-शिक्षकों का धरना-प्रदर्शन और दूसरी ओर दलित संगठनों का भारत बंद। फिर श्रावण मास की शिवरात्रि। राज्यकर्मी तथा शिक्षक पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर विकास भवन में धरना-प्रदर्शन करेंगे। उसमें जिले भर के राज्य कर्मियों, शिक्षकों को बुलाया गया है। उनकी पूरी कोशिश होगी कि वह अपनी इस एकसूत्री मांग को लेकर सरकार को एकजुटता की ताकत दिखाएं। उधर श्रावण मास की शिवरात्रि पर शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटेगी। हालांकि प्रशासन इनको लेकर ज्यादा चिंतित नहीं है लेकिन दलित संगठन के भारत बंद पर वह कुछ ज्यादा संजिदा है। बुधवार की देर शाम पुलिस कप्तान यशवीर सिंह मातहतों तथा खुफिया से जुड़े अधिकारियों संग भारत बंद पर कानून-व्यवस्था हर हाल में बनाए रखने के लिए लंबी मंत्रणा किए।

इसी क्रम में गाजीपुर न्यूज़ टीम से बातचीत में पुलिस कप्तान ने बताया कि पुलिस पूरी तरह अलर्ट है। भारत बंद समर्थक नेताओं को चिन्हित कर उनसे बातचीत भी हो गई है। उन लोगों ने बताया है कि वह सिर्फ प्रतिकात्मक विरोध प्रदर्शन करेंगे। साथ ही डीएम को राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपेंगे। बावजूद सुबह छह बजे से संवेदनशील स्थानों पर जवानों की तैनाती कर दी जाएगी। सभी थाना प्रभारी उन स्थानों पर चौकस रहेंगे। पुलिस अधिकारी भी चक्रमण कर हालात पर नजर बनाए रखेंगे। रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों पर खास निगरानी रहेगी। भारत बंद का आह्वान अखिल भारतीय आंबेडकर महासभा ने किया है। उसकी मांग है कि एससी-एसटी एक्ट को और सख्त करने के साथ ही दलित हितों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। मालूम हो कि इसी साल दो अप्रैल को भी दलित संगठनों ने भारत बंद किया था। वह एससी-एसटी एक्ट में एफआइआर दर्ज होने के बाद तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खफा थे। उनका कहना था कि मोदी सरकार की लचर पैरवी और उदासीनता से सुप्रीम कोर्ट का वह फैसला आया है। तब पूरे देश में हिंसात्मक घटनाएं हुई थीं। गाजीपुर में भी दलित संगठन सड़क पर उतरे थे। सिटी स्टेशन के पास रेल रोकने की कोशिश हुई थी लेकिन कोई अप्रिय घटना की नौबत नहीं आई थी। जनजीवन तथा यातायात व्यवस्था सामान्य रहा। बाजार भी खुले रहे।

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