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गाजीपुर: अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी थी नये भारत की बुनियाद- मनोज सिन्हा

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर न आदेश-निर्देश की बात हुई। न आगे की योजना-अभियान की बात हुई। न पार्टी-नारे की बात हुई और न दावे-वादे की बात हुई। बात हुई सिर्फ और सिर्फ भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की। मौजूद जनसमूह के चेहरों पर अटलजी के जाने की गम की लकीरें। उनके हृदय में हिलोरें लेंती अटलजी की यादें। उनके खुले लबों पर अटलजी की मानवीय संवेदना की बात। अटलजी की वक्तृत्व कला की बात। अटलजी की राजनीतिक समझदारी की बात। अटलजी की प्रशासनिक क्षमता की बात।…यह मर्मस्पर्शी दृश्य था अटजली की श्रद्धांजलि सभा का। शुक्रवार की दोपहर भाजपा की ओर से अग्रवाल पैलेस, मालगोदाम रोड में आयोजित इस सभा में राजनीतिक, बुद्धिजीवी, सामजसेवी जुटे थे। मुख्य वक्ता थे संचार एवं रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा। सन् 1988 में इलाहाबाद में एक राजनीतिक कार्यक्रम की चर्चा करते हुए उन्होंने अटलजी की मौजूदगी का संस्मरण सुनाया। बताए कि उस कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह मुख्य अतिथि थे। अटलजी भी पहुंचे थे। शिष्टाचार के तहत मंच पर वीपी सिंह को अंत में जबकि अटलजी को पहले भाषण देना था लेकिन खुद वीपी सिंह ने संचालक से आग्रह किया कि अटलजी से पहले वह बोलना चाहेंगे। वीपी सिंह कहे कि जब अटलजी पहले बोल लेंगे तब उनको कौन सुनने वाला बैठा रहेगा और वही हुआ था। अटलजी सबसे बाद में बोले थे। वह था अटलजी का व्यक्तित्व, वक्तृत्व।

श्री सिन्हा ने कहा कि अटलजी दूरदृष्टा थे। लालबहादुर शास्त्री के जय जवान-जय किसान के नारे में उन्होंने जय विज्ञान को जोड़ा और नए भारत के निर्माण की बुनियाद रखे। वह सड़कों, नदियों, रेल, दूरसंचार के क्षेत्र में कनेक्टिविटी की अहमियत जानते थे। आधारभूत संरचना पर उनका जोर था। भोजन और शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरतों को वह समझते थे। यही वजह रही कि प्रधानमंत्री के रूप में अटलजी ने खाद्य सुरक्षा और सर्वशिक्षा अभियान के साथ समग्र विकास की शुरुआत किए। अटलजी ने हवाई यात्रा की सुविधा को भी अंतरराष्ट्रीय मानक पर लाने का काम किया। आज उन्हीं की देन है कि भारत के एयरपोर्ट दुनिया के विकसित देशों के एयरपोर्ट की श्रेणी में गिने जा रहे हैं। भारत में इंटरनेट के फैले नेटवर्क भी अटलजी का ही देन है। पड़ोसी देशों को लेकर अटलजी की नीति सकारात्मक थी। उनकी लाहौर बस यात्रा और तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति मुसर्रफ का भारत आने का कार्यक्रम उन्हीं नीतियों का गवाह था। निःसंदेह अटलजी इस शताब्दी के महापुरुष थे। उनके जैसे व्यक्ति का अंत नहीं होता। वह अमर होते हैं। श्री सिन्हा ने कहा कि अगर अटलजी को करीब से जानना है तो वह कस्तूरी नंदन तथा डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की कीताबें पढ़ ले। उन्हें पता चल जाएगा कि वाकई अटलजी किस व्यक्तित्व के स्वामी थे।

अन्य वक्ताओं ने भी अटलजी के व्यक्तित्व, कृतित्व पर रोशनी डाली। उनमें उदय प्रताप सिंह, विजय शंकर राय, प्रो.बालूलाल बलवंत, सच्चिदानंद राय चाचा, प्रभुनाथ चौहान, रामहित राम, रामनरेश कुशवाहा, ब्रजेंद्र राय, जितेंद्र नाथ पांडेय, सरोज कुशवाहा, एडवोकेट रणजीत सिंह, वीरेंद्र नाथ पांडेय, राजेश भारद्वाज, हृद्येश, ब्रजभूषण दूबे आदि थे। मारकंडेय सिंह ने अटलजी पर स्वरचित कविता पाठ किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में वयोवृद्ध कवि अनंतदेव पांडेय के हाथों दीप प्रज्ज्वलित हुआ। डॉ. आरबी राय ने अटलजी के चित्र पर सुमन पंखुणी अर्पित किया। कार्यक्रम में नगर पालिका चेयरमैन सरिता अग्रवाल, भाजपा जिलाध्यक्ष भानुप्रताप सिंह, काशी प्रांत के उपाध्यक्ष कृष्णबिहारी राय, जिला महामंत्री ओमप्रकाश राय व श्यामराज तिवारी सहित विनोद अग्रवाल, डॉ. श्रीकांत पांडेय, आरएसएस के जिला प्रचारक अवधेश, सच्चिदानंद राय चाचा, विरेंद्र कुमार पांडेय, सुनील सिंह, अखिलेश सिंह, कुंवर रमेश सिंह पप्पू, हरेंद्र यादव, जावेद अहमद, राम अवतार यादव, सुरेश चंद्र श्रीवास्तव, रामदास राजभर, रमाशंकर, वीरेंद्र राय, सरदार दर्शन सिंह, प्रेमनाथ गुप्त, एडवोकेट रणजीत सिंह व रामाधार राय के अलावा गिरजा शंकर पांडेय, कैलाश प्रसाद गुप्त, रुद्रा पांडेय, विद्या पांडेय, डॉ.जेएस राय, डॉ.यूसी राय, सरोज मिश्रा, कार्तिक गुप्त, मीडिया प्रभारी शशिकांत राय, रेल राज्यमंत्री के निजी सचिव सिद्धार्थ राय आदि प्रमुख लोग मौजूद थे। मंच पर अटलजी की तस्वीर लगी थी। उसके दोनों ओर एलईडी टीवी स्क्रीन पर अटलजी के बहुआयामी व्यक्तित्व पर फिल्म चल रही थी। मुख्य अतिथि मनोज सिन्हा के भाषण से पहले अटलजी की स्वरचित गीत-आज तुम्हारी पूजा करने, सिंधु हिमालय संग मिले हैं’ की रिकार्डिंग सुनाई गई। हरिश नारायण हृद्येश ने संचालन किया। अंत में अटलजी की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया।

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