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गाजीपुर: माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद पत्नी सीमा सिंह ने संभाली कमान!

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर क्या अपने पति माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की मौत के बाद सीमा सिंह उनके विजनेस नेटवर्क की कमान संभालना शुरू कर दी हैं। पूर्वांचल के अंडरवर्ल्ड में यह चर्चा हो रही है। इस चर्चा को तब और बल मिला जब हाल ही में सीमा सिंह वाराणसी के बड़ागांव में पूरे लावलश्कर के साथ पहुंची और अपने पति के करीबी के यहां दो दिन ठहरीं। फिर बकायदा दरबार लगाईं। उसमें अपने पति से जुड़े रहे वाराणसी महानगर के रियल स्टेट के बड़े चेहरों को तलब कीं। भूखंडों को लेकर उनके आपसी झगड़े में अपने पति की ही स्टाइल में पंच की भूमिका निभाईं। बताते हैं कि दरबार में वह खुद कुर्सी पर बिराजमान थीं जबकि तलब किए गए वह चेहरे याचक की मुद्रा में न सिर्फ खड़े रहे बल्कि मैडम की हर बात पर हामी भरते रहे।

हालांकि अपने पति के रहते भी सीमा सिंह उनके नेटवर्क में दखल रखती रही हैं। इसका प्रमाण शिवपुर थाने में वर्ष 2013 में दर्ज दो एफआइआर है। दोनों एफआइआर एक ही दिन दर्ज हुए थे। एक के वादी सदानंद सिंह थे तो दूसरे की वादी प्रेमा देवी थीं। दोनों में धमकाने, गाली देने और धोखाधड़ी करने का आरोप था। उसमें सीमा सिंह के अलावा उनके पति प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी तथा भाई पुष्पजीत सिंह सहित विनय डडवानी, संजय राव व प्रदीप जालान का नाम शामिल था। सभी आरोपी जेल जाने से बचने के लिए हाईकोर्ट गए लेकिन राहत नहीं मिली। तब सुप्रीम कोर्ट गए। वहां भी बात नहीं बनी। दोबारा हाईकोर्ट में पहुंचे। जहां गिरफ्तारी पर रोक लग गई। उसके बाद में संजय राव को छोड़ कर अन्य वाराणसी की कोर्ट में हाजिर होकर जमानत ले लिए। संजय राव के खिलाफ वाराणसी कोर्ट से एनवीडब्ल्यू जारी है। बाद में पुष्पजीत सिंह की हत्या हो गई।

मालूम हो कि सीमा सिंह के पति मुन्ना बजरंगी की हत्या बीते नौ जुलाई की सुबह बागपत जेल में हो गई थी। उसमें पश्चिमांचल का माफिया सुनील राठी मुख्य आरोपी है। उस मामले में सीमा सिंह बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह के अलावा रिटायर्ड डीएसपी जेएम सिंह तथा उनके पुत्र प्रदीप कुमार उर्फ पीके के अलावा मेराज अहमद व विकाश उर्फ राजा के खिलाफ नामजद तहरीर दी थी। बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या की खुद की एफआइआर की विवेचना में पुलिस सीमा सिंह की तहरीर को भी शामिल कर ली है। याद करें तो सीमा सिंह को अपने पति की हत्या की आशंका बहुत पहले हो गई थी। वह लखनऊ के प्रेस क्लब में बकायदा मीडिया कर्मियों को बुला कर अपनी यह आशंका जाहिर भी की थीं। उसमें वह उन्हीं लोगों को आरोपित की थीं, जो हत्या के बाद उनकी तहरीर में नामजद हैं।

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