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गाजीपुर कांग्रेसः जिलाध्यक्ष और शहर अध्यक्ष में बनी दूरी!

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टीजनों को एकमत होकर कम करने की बार-बार सीख दे रहे हैं लेकिन गाजीपुर के कांग्रेसी इसके ठीक उलट चल रहे हैं। न एकमत हैं और न एक राह हैं। कम से कम जिला इकाई और शहर इकाई की तो यही स्थिति है। दोनों संगठनों के अध्यक्षों में कोई तालमेल नहीं है। पार्टी का सत्य-अहिंसा संकल्प यात्रा चल रही है। दोनों अध्यक्ष अलग-अलग यात्रा निकाल रहे हैं। जिलाध्यक्ष डॉ.मारकंडेय सिंह ने शहर के ही गांधी पार्क आमघाट से इस यात्रा की शुरुआत की। उसमें शहर अध्यक्ष शफीक अहमद और उनकी टीम शामिल नहीं दिखी।

उसके जवाब में शफीक अहमद ने शनिवार को यह यात्रा निकाली। यात्रा में उन्होंने अपना पूरा दमखम लगा दिया। खुद पार्टीजनों ने माना कि इस मामले में डॉ.सिंह पर शफीक अहमद भारी पड़े। उनकी यात्रा सिटी स्टेशन से शुरू हुई। विभिन्न मार्गों से होते हुए यात्रा गांधी पार्क आमघाट पहुंच कर समाप्त हुई। यात्रा में गांधीजी का प्रिय रामधुन बज रहा था। कार्यकर्ता पार्टी का झंडा लिए चल रहे थे। इस मौके पर शफीक अहमद ने कहा कि महात्मा गांधी की अगुवाई में कांग्रेस सत्य और अहिंसा के बल पर देश की आजादी की लड़ाई लड़ी। कामयाबी मिली लेकिन आज फिर देश संकट में है। एक ओर गांधीजी की विचारधारा के लोग हैं तो दूसरी ओर गांधीजी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की विचारधारा के लोग। उन्होंने कहा कि आज मॉव लिंचिंग, लव जिहाद और भ्रष्टाचार से देश रसातल की ओर जा रहा है। ऐसे में फिर गांधीजी की विचारधारा के साथ संघर्ष की जरूरत आ पड़ी है। यात्रा में संजीव उपाध्याय, रविकांत राय, मनीष राय, सुनील साहू, राकेश राय, हिमांशु साहू, अखिलेश राय, संजय राय, लालसाहब यादव, झुन्ना शर्मा, अहमद जमाल जैदी, मिलिंद सिंह, बटुक नारायण मिश्र, फैसल कमाल सिद्दीकी, कुसुम तिवारी, ऊषा चतुर्वेदी, डॉ.तौफिक अहमद आदि थे।

पार्टीजनों की मानी जाए तो कांग्रेस जिलाध्यक्ष और शहर अध्यक्ष के बीच दुराव बीते नगर निकाय चुनाव के वक्त शुरू हुआ था। शफीक चाहते थे कि गाजीपुर नगर पालिका चुनाव में चेयरमैन पद पर सुनील साहू की पत्नी को टिकट दिया जाए लेकिन उनकी इच्छा के विपरीत डॉ.मारकंडेय सिंह ने आशुतोष गुप्त के परिवार की महिला को पार्टी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा। हालांकि एक वक्त था जब शफीक अहमद और डॉ.मारकंडेय सिंह की आपस की कमेस्ट्री पर पार्टी के लोग ही रस्क करते थे। डॉ.मारकंडेय बगैर शफीक अहमद को विश्वास में लिए कोई काम नहीं करते थे लेकिन आज स्थिति यह है कि दोनों नेताओं में औपचारिक संवाद तक नहीं है। बल्कि इस मसले पर पार्टी में चर्चा पर डॉ.मारकंडेय बेलौस कबूलते भी हैं कि अब शफीक अहमद से उनकी पटरी नहीं है।

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