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गाजीपुर: एआरटीओ कार्यालय के वरिष्ठ लिपिक के मौत पर साथियों ने किया चक्काजाम

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर शहर कोतवाली क्षेत्र के अतरौली गांव स्थित एआरटीओ कार्यालय के पास सोमवार की सुबह करीब दस बजे स्कार्पियो के धक्के से लिपिक गौरी बाबू (59) की मौत हो गई। बाइक चला रहे आमघाट निवासी मदन गोपाल उर्फ पप्पू (35) गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे से आक्रोशित लोगों ने घटनास्थल के पास दोपहर करीब बारह बजे एनएच-29 जाम कर दिया। वह कार्यालय के पास ब्रेकर बनावाने के साथ ही दोषी स्कार्पियो चालक को पकड़ने की मांग कर रहे थे। सूचना पर पहुंचे कोतवाली प्रभारी बृजेश यादव उनकी मांगों को जायज बताते हुए पूरा करने का भरोसा दिया। इसके बाद जाकर एक घंटे बाद जाम समाप्त हुआ। आरा (बिहार) हेमतपुर गांव निवासी गौरी बाबु वर्तमान समय में नगर के स्टेशन रोड पर किराए के मकान में रहते थे। वह करीब 25 वर्षों से एआरटीओ कार्यालय में तैनात थे। इस बीच कुछ दिनों के लिए उनका तबादला गैर जनपद भी हुआ था लेकिन फिर वे गाजीपुर में आ गए। सोमवार की सुबह वह आमघाट कालोनी निवासी पप्पू मौर्या के साथ बाइक से कार्यालय जा रहे थे।

कार्यालय के सामने पहुंचने के बाद बाइक चालक सड़क पार कर रहा था कि जिला मुख्यालय से वाराणसी की ओर जा रही तेज रफ्तार स्कार्पियो से धक्का लग गया। इससे वे सड़क पर गिरकर लहूलुहान हो गए। यह देखकर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और एंबुलेंस से जिला अस्पताल भेजवाया। वहां हालत गंभीर होने पर चिकित्सकों ने वाराणसी रेफर कर दिया। परिवार के लोग उन्हें वाराणसी ले जा रहे थे कि रास्ते में गौरी बाबू की मौत हो गई, जबकि पप्पू मौर्य का ट्रामा सेंटर में उपचार चल रहा है। कोतवाली प्रभारी बृजेश कुमार यादव ने बताया कि अज्ञात स्कार्पियो चालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर तलाश की जा रही है। उनके स्वभाव के कायल थे लोग, होती रही चर्चा जागरण संवाददाता,

गाजीपुर न्यूज़ टीम, जिले में शायद ही कोई ऐसा वाहन स्वामी होगा जो गौरी बाबू को न जानता हो। उनके मृदुल स्वभाव से हर कोई परिचित था। कार्यालय में आने-जाने वाले लोगों से अगर कभी किसी बात को लेकर विवाद होता था तो उन्हें गौरी बाबू ही समझाते थे। वे जिले में गौरी बाबू के नाम से प्रसिद्ध हो गए थे। हरदिल अजीज गौरी बाबू के मौत की खबर जैसे ही लोगों को मिली तो सहसा किसी को विश्वास ही न हुआ। बड़ी संख्या में उनके शुभचितक न सिर्फ बिना देर किए घटनास्थल पर पहुंच गए बल्कि पोस्टमार्टम हाउस पर देर शाम तक जमे रहे। गौरी बाबू अपने काम के प्रति हमेशा सजग रहते थे। समय से आना और काम समाप्ति तब कार्यालय में जमे रहना उनकी दिनचर्या थी। उनके काम के प्रति लगन व मेहनत को देखकर सभी अधिकारियों के प्रिय रहे। गौरी बाबू अपने पीछे एक पुत्र व दो पुत्रियों को छोड़ गए।

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