Today Breaking News

गाजीपुर: उमाशंकर कुशवाहा ने अपने गुरू स्वामी प्रसाद मौर्या को लगाया धोबिया पाठ

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर लोकसभा चुनाव में अजब-गजब दृश्‍य सामने आ जाते है। कभी बाप-बेटा तो कभी गुरू-चेला एक दुसरे को शिकस्‍त देने के लिए हर दांव आजमाते है। ऐसा ही वाक्‍या मंगलवार को देखने को मिला। उमाशंकर कुशवाहा और उनके गुरू व कैबिनेट मंत्री स्‍वामी प्रसाद मौर्या चुनाव में प्रचार में आमने सामने दिखे। उमाशंकर कुशवाहा ने कैबिनेट मंत्री स्‍वामी प्रसाद मौर्या के तीनो जनसभाओं में स्‍वाजातिय बंधुओं को रोककर अपने उस्‍ताद को यह संदेश दिया कि बिना चेले का गुरू का जिले में अस्तित्‍व नही है। चेले के ही खेती पर गुरू मलाई काटते थे। 

राजनैतिक सूत्रो के अनुसार कैबिनेट मंत्री स्‍वामी प्रसाद मौर्या जो रेल राज्‍य मंत्री के समर्थन में जनसभा कर स्‍वजातिय बंधुओं को भाजपा के पक्ष लामबंद करने आये थे लेकिन तीनो जनसभाओं में केवल गिने-चुने स्‍वजातिय बंधु दिखे। बकिया सब किनारे कट गये, सबसे ज्‍यादा हालत खस्‍ता छावनी लाइन जनसभा की रही। उमाशंकर कुशवाहा 2001 में नौकरी छोड़कर बसपा की राजनीति करने लगें। 2002 में बसपा के टिकट पर वह सीधा विधानसभा से चुनाव लड़े और पहली बार में ही विधायक चुल लिये गये। 

तभी से स्‍वामी प्रसाद मौर्या के नजदीक आये और अपना गुरू मान लिये। राजनैतिक उलट-फेर के वातावरण में उमाशंकर कुशवाहा बसपा को छोड़ सपा में गये इसके बाद भाजपा की यात्रा किये, अंतोगतवा एक बार फिर बसपा की सदस्‍यता ग्रहण कर अफजाल अंसारी को जिताने के लिए ऐड़ी से चोटी तक का जोर लगा रहें है। स्‍वामी प्रसाद मौर्या के जनसभा को फेल कर उमाशंकर कुशवाहा ने जिले के स्‍वजातिय बंधुओं में अपनी राजनैतिक ताकत का ऐहसास कराया।

'