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वाह रे भाजपाई! टिकट के लिए ऐसी खैरख्वाही

गाजीपुर। भले खुद की पार्टी के किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में हिस्सेदारी से भाजपाई परहेज करें लेकिन किसी नेता विशेष की खैरख्वाही करना तो कोई इनसे सीखे। चुनाव के वक्त तो यह काम के नेता के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। बुधवार की रात भी कुछ ऐसा ही दिखा। मौका था प्रदेश अध्यक्ष डॉ.महेंद्र नाथ पांडेय के आगमन का। वह अपनी चाचीश्री चंद्रकला पत्नी लालजी पांडेय के त्रयोदशाह में शामिल होने उनके शास्त्री नगर स्थित आवास पर पहुंचे थे। 

डॉ.पांडेय के पहुंचने से पहले ही वहां बिन बुलाए मेहमान की तरह पार्टी के लोग जम गए थे। उसमें ज्यादातर नगर निकाय चुनाव के टिकटार्थी थे। कई ऐसे भी थे जिन्हें शायद पहले से पता था कि प्रदेश अध्यक्ष के चाचा-चाची का यह घर है लेकिन दिवंगत चाची की तस्वीर पर इस अंदाज से श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे थे कि जैसे वह बहुत पहले से उस परिवार से बहुत आत्मीय रूप से जुड़े रहे हैं। हद तो तब हो गई जब डॉ.पांडेय पहुंचे। घरवाले और रिश्तेदारों को पीछे ढकेल वह उन्हें छाप लिए। डॉ.पांडेय जब अपनी चाचीश्री के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए अपना जूता खोलने को झुके तो कुछ उनका जूता खोलने के लिए अपना हाथ बढ़ा दिए। 

डॉ.पांडेय साग्रह मना किए। अपने हाथों जूता खोले। तब उनका हाथ धुलाने के लिए पानी लेकर कई लपक पड़े। कुछ थाली में भोजन लगा कर उनके पास पहुंच गए। वापसी के वक्त डॉ.पांडेय परिवारीजनों से मिलने के लिए घर में गए। उनके पीछे टिकटार्थी भी हो लिए। जाहिर था कि इस मौके पर टिकटार्थी प्रदेश अध्यक्ष के मुंह से अपनी वाली सुनना चाहते थे। सो प्रदेश अध्यक्ष मुंह खोले लेकिन उन बेचारों को निराशा ही मिली। 

वह कहे कि उम्मीदवारी स्थानीय स्तर पर ही तय होगी। स्थानीय नेतृत्व जो नाम भेजेगा। उस पर प्रदेश नेतृत्व मुहर लगा देगा। उसी क्रम में एक पल हंसी का भी आया। हुआ यह कि गाजीपुर नगर पालिका के निर्वतमान चेयरमैन विनोद अग्रवाल उन्हें एक पत्र सौंपे। उसे देखे बगैर डॉ.पांडेय हंसते बोले-अब आपको भी टिकट के लिए आवेदन देने की जरूरत पड़ गई…। यह सुन वहां मौजूद लोग हंस पड़े। श्री अग्रवाल भी हंसने लगे। हालांकि वह पत्र किसी कार्यकर्ता की ओर से था, जिसमें किसी विभाग में चंदौली में तैनात अपने परिवार के सदस्य के लिए पैरवी का आग्रह किया गया था। डॉ.पांडेय ने आचार संहिता का हवाला देते हुए चुनाव बाद पैरवी करने का भरोसा दिए। अपनी चाचीश्री के घर से निकलने के बाद वह कुछ देर के लिए पार्टी के वयोवृद्ध एवं पूर्व जिलाध्यक्ष बच्चन सिंह का हाल जानने के लिए उनके घर गए। 

उसके बाद वह वाराणसी के लिए प्रस्थान कर गए। इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष की अगुवानी करने के लिए जिलाध्यक्ष भानुप्रताप सिंह, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष कृष्णबिहारी राय, महामंत्री ओमप्रकाश राय, भाजयुमो के प्रदेश मंत्री योगेश सिंह सहित लगभग सभी वरिष्ठ नेता, कार्यकर्ता मौजूद थे; भले खुद की पार्टी के किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में हिस्सेदारी से भाजपाई परहेज करें लेकिन किसी नेता विशेष की खैरख्वाही करना तो कोई इनसे सीखे। चुनाव के वक्त तो यह काम के नेता के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। 

बुधवार की रात भी कुछ ऐसा ही दिखा। मौका था प्रदेश अध्यक्ष डॉ.महेंद्र नाथ पांडेय के आगमन का। वह अपनी चाचीश्री चंद्रकला पत्नी लालजी पांडेय के त्रयोदशाह में शामिल होने उनके शास्त्री नगर स्थित आवास पर पहुंचे थे। डॉ.पांडेय के पहुंचने से पहले ही वहां बिन बुलाए मेहमान की तरह पार्टी के लोग जम गए थे। उसमें ज्यादातर नगर निकाय चुनाव के टिकटार्थी थे। कई ऐसे भी थे जिन्हें शायद पहले से पता था कि प्रदेश अध्यक्ष के चाचा-चाची का यह घर है लेकिन दिवंगत चाची की तस्वीर पर इस अंदाज से श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे थे कि जैसे वह बहुत पहले से उस परिवार से बहुत आत्मीय रूप से जुड़े रहे हैं। 
हद तो तब हो गई जब डॉ.पांडेय पहुंचे घरवाले और रिश्तेदारों को पीछे ढकेल वह उन्हें छाप लिए। डॉ.पांडेय जब अपनी चाचीश्री के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए अपना जूता खोलने को झुके तो कुछ उनका जूता खोलने के लिए अपना हाथ बढ़ा दिए। डॉ.पांडेय साग्रह मना किए। अपने हाथों जूता खोले। तब उनका हाथ धुलाने के लिए पानी लेकर कई लपक पड़े। कुछ थाली में भोजन लगा कर उनके पास पहुंच गए। वापसी के वक्त डॉ.पांडेय परिवारीजनों से मिलने के लिए घर में गए। उनके पीछे टिकटार्थी भी हो लिए। 

जाहिर था कि इस मौके पर टिकटार्थी प्रदेश अध्यक्ष के मुंह से अपनी वाली सुनना चाहते थे। सो प्रदेश अध्यक्ष मुंह खोले लेकिन उन बेचारों को निराशा ही मिली। वह कहे कि उम्मीदवारी स्थानीय स्तर पर ही तय होगी। स्थानीय नेतृत्व जो नाम भेजेगा। उस पर प्रदेश नेतृत्व मुहर लगा देगा। उसी क्रम में एक पल हंसी का भी आया। हुआ यह कि गाजीपुर नगर पालिका के निर्वतमान चेयरमैन विनोद अग्रवाल उन्हें एक पत्र सौंपे। उसे देखे बगैर डॉ.पांडेय हंसते बोले-अब आपको भी टिकट के लिए आवेदन देने की जरूरत पड़ गई…। 

यह सुन वहां मौजूद लोग हंस पड़े। श्री अग्रवाल भी हंसने लगे। हालांकि वह पत्र किसी कार्यकर्ता की ओर से था, जिसमें किसी विभाग में चंदौली में तैनात अपने परिवार के सदस्य के लिए पैरवी का आग्रह किया गया था। डॉ.पांडेय ने आचार संहिता का हवाला देते हुए चुनाव बाद पैरवी करने का भरोसा दिए। अपनी चाचीश्री के घर से निकलने के बाद वह कुछ देर के लिए पार्टी के वयोवृद्ध एवं पूर्व जिलाध्यक्ष बच्चन सिंह का हाल जानने के लिए उनके घर गए। उसके बाद वह वाराणसी के लिए प्रस्थान कर गए। इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष की अगुवानी करने के लिए जिलाध्यक्ष भानुप्रताप सिंह, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष कृष्णबिहारी राय, महामंत्री ओमप्रकाश राय, भाजयुमो के प्रदेश मंत्री योगेश सिंह सहित लगभग सभी वरिष्ठ नेता, कार्यकर्ता मौजूद थे।
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