“तू अभी भी अपनी उसी संकीर्ण मानसिकता से घिरी है. मेरे हिसाब से ये एक गुनाह है, जिसमें सिर्फ़ सज़ा होनी चाहिए. जिस इंसान पर आंख मूंदकर विश्व...Read More
कहानी: साथ-साथ
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मालिनी ने बिना झिझके कहा, “आप उस दिन अपनी फैंटेसी बता रहे थे ना. यही सब तो था ना उसमें.. बॉन फायर, आप और मैं साथ…” कहते हुए मालिनी की आवाज़ क...Read More
कहानी: रिश्तों की कसक
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ममता यदि यह सब सुन लेती तब क्या होता? नहीं-नहीं, उसे कुछ भी पता नहीं चलना चाहिए, वरना उसका बीमार दिल क्या यह झटका सह पाएगा. हम दोनों कितने प...Read More
कहानी: अंतिम निर्णय
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पहले दिनभर बोलने वाली मेघा अब शांत सी हो गई थी, बस काम में लगी रहती. कल मेघा ने सही ही तो कहा था. विकास ने पूरा घर उसके भरोसे ही तो छोड़ दिया...Read More
कहानी: प्रीत की डोर
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मैं उठकर यूं ही पिताजी के कमरे तक गया. जाने क्यों बस उन्हें देखने का मन हो आया. कमरे में मध्यम रोशनी थी. पिताजी सो रहे थे और विशाल उनके पैर ...Read More
कहानी: जीवन संध्या की ओर
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