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गाजीपुर: टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर कोर्ट का फैसला और गाजीपुर का खास संयोग

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर केंद्र की मनमोहन सरकार में हुए बहुचर्चित टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मामले में गुरुवार को कोर्ट का फैसला आ गया। दिल्ली की पटियाला कोर्ट सबूत के अभाव में सभी 17 आरोपियों को बरी कर दी। आरोपियों में केंद्र की पिछली मनमोहन सरकार में संचार राज्य मंत्री रहे के राजा तथा द्रमुक सांसद कनिमोझी भी शामिल रहे हैं। 

यह कथित  घोटाला एक लाख 76 हज़ार करोड़ रुपये का बताया गया था। मालूम हो कि पिछले लोकसभा चुनाव में केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ चलाए अपने अभियान में भाजपा इस घोटाले को भी बड़ा मुद्दा बनाई थी। चुनाव परिणाम भी उसके पक्ष में गया था। अब जबकि टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले के आरोपियों को कोर्ट ससम्मान बरी कर दी है तब कांग्रेस समेत भाजपा विरोधी दलों में खुशी है। साथ ही संसद में तत्कालीन नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय से माफी मांगने की मांग भी शुरू हो गई है। 

उधर भाजपा की मौजूदा केंद्र सरकार की ओर से फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है लेकिन इस मामले में गाजीपुर के लिए एक खास संयोग जरूर है। दरअसल तत्कालीन नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय गाजीपुर के ही मुहम्मदाबाद ब्लाक के परसा गांव के रहने वाले हैं। फिर केंद्र की मौजूदा मोदी सरकार में संचार राज्य मंत्री मनोज सिन्हा गाजीपुर के सांसद हैं। यही नहीं उनका पैतृक गांव मोहनपुरवा भी गाजीपुर के ही मुहम्मदाबाद ब्लाक में स्थित है।

कथित टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले का घटनाक्रम

25 अक्तूबर 2007:  मोबाइल सेवाओं के लिए टू-जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की संभावनाओं को सरकार खारिज की।

सितम्बर-अक्तूबर 2008: दूरसंचार कंपनियों को स्पेक्ट्रम लाइसेंस दिए गए।

15 नवंबर 2008: केंद्रीय सतर्कता आयोग ने पकड़ी खामियां। दूरसंचार मंत्रालय के कुछ जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की।

21 अक्तूबर 2009: टू-जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच के लिए सीबीआई दर्ज की मामला।

22 अक्तूबर 2009: दूरसंचार विभाग के कार्यालयों में सीबीआई की छापेमारी।

17 अक्तूबर 2010: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने टू-जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस जारी करने में कई नियमों की अनदेखी बताई।

14 नवम्बर 2010: तत्कालीन संचार राज्य मंत्री के राजा ने दिया इस्तीफा।

13 दिसम्बर 2010: दूरसंचार मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिवराज वी पाटिल को जांच की जिम्मेदारी सौंपी।

24  दिसम्बर 2010: लगातार दो दिन तक के राजा से सीबीआई ने की पूछताछ।

31 जनवरी 2011: राजा से सीबीआई ने तीसरी बार फिर पूछताछ की। उधर सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्री पाटिल ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी।

दो फरवरी 2011: टू-जी स्पेक्ट्रम मामले में के राजा, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और राजा के पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया को सीबीआई ने किया गिरफ्तार।
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