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गुजरात परिणामः वाकई भाजपा की जीत के यही हैं कारण!

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर गुजरात विधान सभा चुनाव पर गाजीपुर के लोगों की पूरी निगाह लगी रही। वजह गाजीपुर के बहुत लोग गुजरात में रचे, बसे हैं। दूसरे मूलतः गुजरात के रहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी गाजीपुर का पड़ोसी है। फिर  गाजीपुर के सांसद संचार एवं रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा भी गुजरात के चुनाव अभियान में वक्त दिए। जाहिर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के लिए गुजरात विधानसभा का यह चुनाव नाक की लड़ाई बन चुकी थी। तो कांग्रेस के राहुल गांधी के लिए भी यह चुनाव प्रतिष्ठा बन गया था। शायद यही वजह है कि दोनों पार्टियों ने अपनी ओर से पूरी ताकत झोंकी। मोदी ने खुद गुजरात में 40 चुनावी रैलियां कीं। उसके जवाब में राहुल गांधी ने 69 रैलियों को संबोधित किया। बावजूद नतीजा भाजपा के पक्ष में आया। इसको लेकर गाजीपुर के भी चुनाव विश्लेषक अपने हिसाब से आकलन कर रहे हैं लेकिन सबका निष्कर्ष कमोवेश यही है-

भाजपा का कुशल प्रबंधन: कोई शक नहीं कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का चुनाव प्रबंधन बेजोड़ रहा। गुजरात में उन्होंने बूथ लेवल तक प्रबंधन के साथ ही नया प्रयोग किया। वोटर लिस्ट के हर पेज को प्रबंध का हिस्सा बनाया। हर पेज के लिए प्रबंधक तैनात किया। अपने वोटरों को बूथ तक लाने में वह सफल रहे।

मोदी का गुजराती होना: नरेंद्र मोदी गुजरात से हैं। वह इस राज्य की सियासी नब्ज को बेहद अच्छे से समझते हैं। पार्टी को उनके चेहरे के आधार पर ही राज्य में जीत मिली। मोदी गुजरात के लोगों से उन्हीं की जुबान बोलते रहे। इससे उनमें गुजरातियों को अपने गुजरात की अस्मिता दिखी।

माकूल खबरें आईँ: गुजरात चुनाव अभियान में ऐसी खबरें आती रहीं जिससे केंद्र की मोदी सरकार की साख बढ़ती गई। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इन इंडिया की रैंकिंग में उछाल। जीडीपी में ग्रोथ। जीएसटी की दरों में कटौती। मूडीज की क्रेडिट रैंकिंग में सुधार वगैरह। भाजपा इन खबरों का बखूबी इस्तेमाल की। उधर कांग्रेस नोटबंदी-जीएसटी, महंगाई और बेरोजगारी की रट लगाए रही।

कांग्रेस का लचर अभियानः गुजरात चुनाव में कांग्रेस से एक चूक और हुई। वह मुख्यमंत्री उम्मीदवार की घोषणा नहीं की। चतुर रणनीतिकार नरेंद्र मोदी ने उसे लपक लिया। रैलियों में वह कहने लगे कि कांग्रेस की तैयारी पाकिस्तान के सहयोग से अहमद पटेल को मुख्यमंत्री बनाने की है। गुजरातियों ने मोदी की इस बात को नोटिस में लिया। हिंदू वोटर लामबंद हो गए। फिर कांग्रेस का प्रचार अभियान आखिर तक अक्रामक नहीं रहा। मंदिरों में राहुल का जाना भी आम वोटर को नौटंकी लगा। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को भी भाजपा ठीक से घेर दी। उनकी सेक्स सीडी भाजपा का काम बना दी। पाटीदार हार्दिक को सुनने से रहे। पाटीदारों के आरक्षण के सवाल पर भी कांग्रेस का मुंह बाद में खुला।

अय्यर का बयानः कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी को ही निशाना बनाया। मणिशंकर अय्यर ने तो उन्हें नीच तक कह डाला। भाजपा उनकी उस बदुजबानी को भंजाने में सफल रही। मोदी ने खुद अपनी रैलियों में श्री अय्यर के कथन को मुद्दा बनाया। उसके जरिये गुजराती जनमानस में गुजराती अस्मिता को जगाया। इसका नतीजा दूसरे चरण के चुनाव में दिखा।
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