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गाजीपुर: बसपा नेता अतुल राय की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट खफा एसएसपी वाराणसी तलब

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर बसपा नेता अतुल राय की गिरफ्तारी में खुद के आदेश की अवमानना से इलाहाबाद हाईकोर्ट तल्खी में है। मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति यशवंत शर्मा ने पेश हुए वाराणसी के एसओ लंका संजीव मिश्र को झाड़ लगाई और इस मामले में 13 फरवरी को स्वंय एसएसपी वाराणसी आरके भारद्वाज को पेश होने का आदेश दिया। 

दरअसल सुनवाई में एसओ लंका ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के विपरीत अतुल राय को गिरफ्तार नहीं किया गया था बल्कि उन पर अन्य कई मामले दर्ज हैं और उनमें वह वांटेड हैं। उसी सिलसिले में अतुल राय पर कार्रवाई हुई थी। न्यायमूर्ति ने सवाल किया कि बीते दस दिसंबर को वाराणसी के रिमांड मजिस्ट्रेट के सामने उन मामलों को क्यों नहीं रखा गया। उस पर एसओ लंका संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। तब न्यायमूर्ति ने एसएसपी वाराणसी को पेश होने का आदेश दिया। 

मालूम हो कि बीते नौ दिसंबर को वाराणसी में अतुल राय को वाराणसी पुलिस डाफी टोल प्लाजा पर हुई कथित फायरिंग के मामले में गिरफ्तार की थी। फिर उन्हें जेल भेजने के लिए अगले दिन देर शाम उनको रिमांड मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया लेकिन लंबी बहस सुनने और साक्ष्यों को देखने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट ने श्री राय के खिलाफ पुलिस के रिमांड को ही खारिज कर दिया था। सुनवाई के दौरान अतुल राय ने अपनी गिरफ्तारी को लेकर हाईकोर्ट के निर्देश की प्रतियां प्रस्तुत की थी। 

साथ ही उन्होंने अपनी गिरफ्तारी के पीछे भाजपा के बाहुबली विधायक सुशील सिंह की साजिश की भी बात कही थी। रिमांड मजिस्ट्रेट ने साथ ही एसओ लंका संजीव मिश्र को झाड़ भी लगाई थी। इतना ही नहीं न्यायिक मजिस्ट्रेट ने हाईकोर्ट के आदेश को संदर्भ बनाते हुए एसओ लंका से यह भी सवाल किया था कि घटना के पांच माह से अधिक गुजरने के बाद भी कोर्ट में चार्जशीट क्यों नहीं दाखिल की गई। बावजूद एसओ लंका फिर 17 दिसंबर को अतुल राय को थाने पर बुला कर घंटों बैठाए रखे। आखिर में अतुल राय होईकोर्ट में अवमानना की याचिका दाखिल किए। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत शर्मा ने बीते नौ जनवरी को याचिका पर सुनवाई के बाद डीजीपी, एसएसपी वाराणसी, क्राइम ब्रांच इंचार्ज तथा एसओ लंका से इस मामले में जवाब मांगा। उसी क्रम में एसओ लंका संजीव मिश्र हाईकोर्ट में पेश हुए थे।

पूरा मामला यह है
वाराणसी के रोहनिया थाने के बेटाबर गांव निवासी कोयला व्यापारी सर्वेश तिवारी ने लंका थाने में बीते छह जुलाई को तहरीर दी। उसमें उन्होंने आरोप लगाया कि डाफी टोल प्लाजा पर उनकी हत्या के इरादे से अतुल राय तथा उनके लोगों ने फायरिंग की। लंका पुलिस तहरीर के आधार पर मामला दर्ज कर ली। उसके बाद अतुल राय हाईकोर्ट पहुंचे और फायरिंग के आरोप को झूठा बताए। इसके लिए साक्ष्य भी दिए। तब हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि अतुल राय की गिरफ्तारी से पहले लंका पुलिस लोकल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करे। अगर गिरफ्तारी उसके पहले जरूरी हो तो लोकल कोर्ट से वारंट जारी कराए। उसी बीच वादी मुकदमा सर्वेश तिवारी भी हाईकोर्ट में उपस्थित हुए और उन्होंने बकायदा शपथ पत्र देकर कहा कि उन पर फायरिंग करने वालों में अतुल राय नहीं थे। 

हाईकोर्ट ने उनके आवेदन पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि यह मामले के विवेचक को उपलब्ध कराया जाए। उसके बाद एसओ लंका हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। यहां तक कि लोकल कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल नहीं की गई। फिर अचानक वह हरकत में आए और अतुल राय को गिरफ्तार कर जेल भेजने की तैयारी में जुट गए थे। इस कार्रवाई को लेकर बसपा में तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। पार्टी के पूर्व सांसद अफजाल अंसारी तो सड़क से लेकर सदन तक में इसके विरोध का एलान कर दिए थे।  अतुल राय गाजीपुर में बसपा के लोकप्रिय नेताओं में शुमार हैं। बीते विधानसभा चुनाव में वह पार्टी के टिकट पर जमानियां सीट से लड़े थे।
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