कोरोना वायरस के डर से मर रही इंसानियत, अपनों को छोड़ रहे लोग
गाजीपुर न्यूज़ टीम, कानपुर। कोरोना के भय से लोगों की आंखों का पानी सूख रहा है। संक्रिमत की मौत के बाद उनके परिजन इस तरह छोड़ रहे कि कंधा देने के बात दूर,चेहरा भी देखने नहीं आ रहे। ऐसे संक्रमित लोगों की जिनकी मौत घर पर हो रही है, उनके परिजन शव डिस्पोजल करने के गए कोरोना योद्धाओं की तनिक भी मदद नहीं कर रहे। घर के अधिकतर सदस्य घर छोड़ चुके होते हैं तो कुछ दूसरे कमरों में बंद रहते हैं।
हालत यह है कि एक संक्रमित के शव को तीसरे माले से सीढ़ियों से उतारने में भी घरवालों ने मदद नहीं की। दो कोरोना योद्धा जैसे तैसे शव उतार पाए। घर वाले अपनी बालकनी से एम्बुलेंस देखते रहे। एक कोरोना योद्धा का कहना कि शव डिस्पोजल टीम पूरी तरह शव को सेलेटाइज करती है। घर को भी सेनेटाइज करवा दिया जाता है। शव पैक होने के बाद संक्रमण की गुंजाइश खत्म हो जाती है। फिर भी खौफ से लोग यह भी भूल जाते हैं कि मरने वाला उन्हीं के घर का सदस्य है।
शव डिस्पोजल विंग के नोडल अधिकारी डॉ. नवनीत चौधरी का कहना है कि इंसानियत जीने में भी है और मरने के बाद भी है। सभी ऐसा नहीं करते हैं। अधिकतर खौफ में रहते हैं। शव पैक होने के बाद अगर कोई दस्ताने और मास्क भी पहनकर शववाहन तक शव पहुंचाने में मदद कर दे तो उससे संक्रमण का खतरा नहीं रहता है, पीपीई किट की भी घरवालों के लिए व्यवस्स्था की जाती है। फिर भी लोग घबराते हैं। वैसे नियमों के मुताबिक टीम को ही सभी काम करने हैं। अंतिम संस्कार प्रक्रिया भी टीम को करनी है। जो किया जा रहा है। घर के तीन चार सदस्यों को ही घाट पर जाने की अनुमति है। घर के एक-दो सदस्य घाट तक जाते हैं।
घर पर मरने वालों की अधिक बेकदरी
घर पर मरने वाले कोरोना संक्रमितों की अधिक बेकदरी होती है। घरवाले फोन करके शव ले जाने को परेशान कर देते हैं। रात 12 बजे भी शव उठाने की नौबत आ जाती है। मगर रात में डिस्पोजल की व्यवस्था नहीं होने से जैसे तैसे मनाकर रात गुजारनी होती है। ऐसे मृतकों के लिए कोई मर्च्युरी भी नहीं है जहां सुरक्षित रखवाया जा सके।
घर पर मरने वालों के लिए बने अलग होल्डिंग मर्च्युरी
शव डिस्पोजल विंग के नोडल अधिकारी डॉ. नवनीत चौधरी का कहना है कि सीएमओ से कहा गया है कि ऐसे संक्रमित जिनकी घर पर मौत हो जाती है या रास्ते में मौत हो जाती है। उनके लिए अलग से कोई होल्डिंग मर्च्युरी होनी चाहिए। अगर रात में संक्रमित की मौत हो जाए तो शव सुबह तक रखा जा सके।
