कहानी: गिरह
एक महीने तक खोजबीन करने के बाद भी शेखर का कोई सुराग न मिला, न ही उस का मोबाइल ट्रेस हो पाया तो पुलिस ने शेखर और रत्ना की फाइल बंद कर दी, जबकि रोहित और शोभना अनछुए ही रहे.
धीमी आवाज में बज रहा इंस्ट्रुमैंटल सौंग और मद्धिममद्धिम जलती हाल की रोशनी में रत्ना अपने घर के सोफे पर लगभग लेटी हुई, धुआं उड़ाती बीचबीच में व्हिस्की के घूंट लिए जा रही है. हर घूंट के साथ उसे अपने और शेखर के रिश्ते के बीच आई शोभना का खिलखिलाता, दमकता चेहरा जोरजोर से उस पर हंसता हुआ दिखाई दे रहा है. वह उस चेहरे को नोच लेना चाहती है, क्योंकि उसी चेहरे की वजह से ही उस का सबकुछ बरबाद हो गया. शेखर उस से सदा के लिए दूर चला गया.
रत्ना ने घबरा कर अपनी आंखें मूंद लीं और दोनों हाथों से अपने कान बंद कर लिए ताकि वो शोभना को देख, सुन न सकें. लेकिन ऐसा मुमकिन न था क्योंकि यह मायाजाल रत्ना ने खुद ही बुना था. रत्ना गुस्से और घबराहट में गिलास में रखी व्हिस्की एक ही घूंट में पी गई और लड़खड़ाते कदमों व कंपकंपाते हाथों से दूसरा पैक बनाने लगी. दोबारा पैक बना कर म्यूजिक सिस्टम का वौल्यूम थोड़ा बढ़ा वह फिर सोफे पर पसर गई.
रत्ना ने सोचा भी न था कि हालात इतने बिगड़ जाएंगे और उसे कभी ऐसा कदम भी उठाना पड़ेगा, पर न जाने कैसे हालात बनते चले गए और वह गिरह में फंसती चली गई.
आज भी उसे याद है वह दिन जब उसे पहली बार शोभना और शेखर के रिश्ते के बारे में पता चला था. वह बहुत रोई थी. वही दिन था जिस दिन से शेखर और उस के झगड़े की शुरुआत हुई. उस के बाद से तो जैसे शेखर और उस के बीच कभी कुछ सामान्य रहा ही नहीं. एक ही छत में दोनों अजनबियों की तरह दिन गुजारने लगे. उन्हीं हालात के बीच रत्ना की मुलाकात रोहित से हुई जो फिटनैस सैंटर का नया ट्रेनर था. रोहित से रत्ना की पहली मुलाकात फिटनैस सैंटर के चेंजिंगरूम के बाहर हुई थी.
“हाय ब्यूटीफूल,” रोहित का इस प्रकार रत्ना से कहना उसे अजीब पर अच्छा भी लगा. रत्ना रोहित को झिड़क देना चाहती थी लेकिन अरसे बाद किसी पुरुष की आंखों में स्वयं के लिए आकर्षण देख वह चुप रही और वहां से मुसकरा कर चली गई.
धीरेधीरे रत्ना और रोहित के बीच दोस्ती हो गई. और फिर वे फिटनैस सैंटर से बाहर भी मिलने लगे, साथ समय बिताने लगे. रत्ना की उम्र करीब 45 वर्ष है जबकि रोहित रत्ना से लगभग 10-15 साल छोटा. रोहित में वो सारी बातें हैं जो रत्ना शेखर में तलाशती आई है. हर बात पर रत्ना की तारीफ करना, उसे खूबसूरत होने का एहसास दिलाना, जो हर स्त्री को पसंद है, और सब से बड़ी बात जो रोहित में है वह रत्ना की हर छोटीबड़ी खुशी का ख़याल रखना. ये सारी बातें रत्ना को दिनप्रतिदिन रोहित के करीब ले जा रही थीं.
रोहित भी रत्ना को पाने के लिए मचल रहा था. वह रत्ना के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है. वह उस की सुंदरता के मोहपाश में कुछ इस तरह से बंध गया था कि उसे सहीग़लत की कोई सुध ही नहीं रह गई थी. रत्ना का गोरा बदन, नागिन की तरह बलखाते उस के काले घने बाल, गुलाब की पंखुड़ियों की तरह खिले हुए गुलाबी होंठों को देख रोहित पूरी तरह से रत्ना की आकर्षक देह में गिरफ्तार हो गया था.
लेकिन रत्ना आज भी शेखर से ही प्यार करती है. वह रोहित के संग केवल अपने स्त्री अहं के दर्द को शांत करना चाहती थी, जो उसे शेखर ने दिया है. वह यह जानती थी कि रोहित शेखर का विकल्प कभी नहीं हो सकता, इसलिए जब रत्ना को इस बात का एहसास हुआ तो उस ने एक दिन रोहित से कहा, ‘रोहित, मैं तुम से कुछ कहना चाहती हूं.’
रोहित रत्ना के हाथों को अपने हाथों में लेते हुए बोला, ‘कहिए न रत्नाजी, आप के लिए तो जान हाजिर है.’
रत्ना हंसती हुई बोली, ‘नहींनहीं, मुझे तुम्हारी जान नहीं चाहिए. मैं तो, बस, इतना चाहती हूं कि मेरी जान मेरे पास वापस आ जाए.’
रोहित आश्चर्य से रत्ना की ओर देखते हुए बोला, ‘मैं समझा नहीं, आप क्या कह रही हैं?’.
‘रोहित, तुम तो जानते ही हो, मैं शादीशुदा हूं पर यह नहीं जानते कि मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूं लेकिन वह किसी और के लिए पागल है. मैं उन्हें अपनी जिंदगी में वापस पाना चाहती हूं,’ रत्ना अपना हाथ रोहित के हाथों से हटाती हुई बोली.
रोहित दोबारा रत्ना के हाथों को कस कर पकड़ते हुए बोला, ‘रत्नाजी, शेखर आप से प्यार नहीं करता, तो क्या हुआ, मैं तो आप से बेइंतहा मोहब्बत करता हूं. आप मेरे साथ एक नई शुरुआत तो कीजिए.’
रोहित का इतना कहना था कि रत्ना रोहित से लिपटती हुई बोली, ‘हम एक नई शुरुआत जरूर करेंगे लेकिन शेखर को उस की गलती का एहसास करवाने और उसे सबक सिखाने के बाद.’
‘ऐसी बात है तो कहिए मेरे लिए क्या हुक्म है,’ रोहित रत्ना के माथे को चूमते हुए बोला.
‘फिलहाल तो कुछ नहीं.’
‘फिर ठीक है, जब भी जरूरत पड़े तो याद कीजिएगा, बंदा हाजिर हो जाएगा.’
उस दिन के बाद से रोहित और रत्ना पहले से भी ज्यादा करीब आ गए और रोहित उस वक्त का इंतजार करने लगा जब रत्ना शेखर को छोड़ उस की बांहों में समा जाएगी.
22 मार्च, 2020, दिन रविवार. कोविड की वजह से पूरे देश में एक दिन का जनता कर्फ्यू लगा हुआ है. माननीय प्रधानमंत्रीजी ने आज शाम सभी देशवासियों को 5 बजे से 5 मिनट तक ताली, थाली, घंटी बजा कर उन सभी लोगों को धन्यवाद देने को कहा है जो दिनरात कोविड को हराने के लिए काम कर रहे हैं.
शेखर भी आज घर पर ही है और खुश भी लग रहा है. रत्ना पूरा खाना शेखर की पंसद का बना, नेट की साड़ी पहन न्यूज देख रहे शेखर के एकदम करीब सट कर जा बैठी. रत्ना को अपने इतने पास आया देख शेखर वहां से जाने लगा. तभी रत्ना ने शेखर को अपनी ओर खींच लिया. रत्ना की खूबसूरती और नेट की साड़ी से झांकते उस के गोरे बदन के आगे शेखर ज्यादा देर टिक न सका. एक उन्माद सा उठा और दोनों की गरम सांसें चर्मसीमा पर जा कर ही शीतल हुईं.
शाम के 5 बजने ही वाले थे. शेखर के स्पर्श ने रत्ना को नई तरंगों से भर दिया था. रत्ना अपने कपड़े बदल हाल में पहुंची तो उस ने देखा शेखर कहीं जाने की तैयारी में है. रत्ना तमतमाती हुई बोली, ‘कहां जा रहे हो?’
‘तुम जानती हो…’
‘मतलब, तुम उस चुड़ैल के पास जा रहे हो. मैं तुम्हें नहीं जाने दूंगी. तुम्हें आज यह बताना ही होगा कि उस में ऐसा क्या है जो मुझ में नहीं?’
रत्ना को धक्का दे कर शेखर जाने लगा, तभी रत्ना ने तैश में आ कर ड्रौअर में रखा पिस्टल निकाल लिया. रत्ना के हाथों में पिस्टल देख शेखर रत्ना से पिस्टल छीनने की कोशिश करने लगा और इसी छीनाझपटी में गोली चल गई व शेखर की मौत हो गई. रत्ना घबरा गई. उसे कुछ सूझ ही नहीं रहा कि वह क्या करे. कभी वह 108 पर फोन लगाने के लिए मोबाइल उठा लेती तो कभी पुलिस को फोन करने का मन बनाती है.
तकरीबन एक घंटे शेखर की लाश के करीब बैठी रत्ना धुंआ फूंकती इस ऊहापोह में रही कि वह क्या करे? यदि किसी ने गोली चलने की आवाज़ सुन ली होगी तो…क्या होगा? उस की बेचैनी और घबराहट बढ़ने लगी. अचानक रत्ना को खयाल आया कि गोली चलने की आवाज तो किसी ने भी न सुनी होगी क्योंकि उस वक्त सभी 5 बजे थाली, ताली और शंखनाद करने में व्यस्त थे तो क्यों न लाश को ठिकाने लगा दिया जाए.
रत्ना कुछ सोच अपने सर्वेंट क्वाटर की ओर दौड़ी क्योंकि माली गार्डन में उपयोग होने वाले सारे सामान वहीं रखता है जिन में गड्ढे खोदने के लिए फावड़ा भी है जो उस के काम आ सकता है और वह अपने गार्डन में ही शेखर को दफ़ना सकती है. नौकर बीजू छुट्टी ले कर अपने परिवार के संग गांव गया हुआ है. रत्ना बीजू के कमरे में पहुंच उस का सामान उलटपुलट करती हुई फावड़ा ढूंढने लगी. सारा कमरा बिखर गया, तब जा कर फावड़ा मिला.
फावड़ा मिलते ही रत्ना गार्डन में गड्ढा खोदने लगी. वह पसीने से लथपथ हो गई और उस की सांस फूलने लगी. इतना बड़ा गड्ढा खोदना उस के लिए मुमकिन न था. तभी उस के ज़ेहन में रोहित का ख़याल आया और उस ने फौरन रोहित को फोन पर सारे घटनाक्रम की सूचना देते हुए मदद के लिए आने को कहा. रोहित सारी परिस्थिति को जाननेसमझने के बाद रत्ना को धैर्य रखने और 9 बजे के बाद कर्फ़्यू हटने के पश्चात आने को कह कर फोन रख दिया.
रत्ना सारी रात धुआं उड़ाती, हाल में चलहकदमी करती हुई रोहित का इंतजार करती रही पर वह नहीं आया. क़रीब 4:30 बजे डोरबैल बजी. रत्ना ने घबरा कर पी होल से झांका, तो सामने रोहित खड़ा था. रत्ना ने फौरन दरवाजा खोल दिया. रोहित के अंदर आते ही रत्ना उस से लिपट गई. रत्ना को अपनी आगोश में पा रोहित उस के बदन की खुशबू से मदहोश होने लगा और देखते ही देखते दोनों एकदूजे में खो गए. जब होश आया तब तक सुबह के 5:30 बज चुके थे.
रोहित जल्दी से तैयार हो रत्ना को जगाते हुए बोला, “रत्नाजी, आई एम सौरी, मैं अपनेआप को रोक नहीं पाया, जल्दी तैयार हो जाइए, हमें निकलना होगा.”
रत्ना अपने कपड़े पहनती हुई बोली, “मैं अभी रेडी होती हूं पर हमें जाना कहां है?”
“सुबह हो चुकी है, अब लाश को यहां गार्डन में दफ़नाना संभव नहीं. लाश का हमें कुछ और ही करना होगा. मैं ने सब सोच लिया. बस, आप जल्दी से तैयार हो जाइए. मैं आप को रास्ते में सब समझा दूंगा. आप अपना मोबाइल घर पर ही छोड़ दो और शेखर का मोबाइल रखना मत भूलना.”
रत्ना ने आश्चर्य से कहा, “ऐसा क्यों, तो…”
“ताकि कभी भी इंक्वायरी हो तो आप की लोकेशन घर पर ही मिले.”
सारी तैयारियों के बाद जब रत्ना कार में बैठने लगी, पड़ोस की चंद्रा जो अपने लौन में मौर्निंग वाक कर रही थी, रोहित की ओर मुसकरा कर देखती हुई बोली, “क्यों रत्ना, कहीं बाहर जा रही हो क्या? भाईसाहब नहीं हैं घर पर?”
रत्ना कार में बैठती हुई बोली, “शेखर बाहर गए हुए हैं, कल जनता कर्फ्यू की वजह से वे घर नहीं आ पाए.”
रत्ना के कार में बैठते ही रोहित कार दौड़ाने लगा. लेकिन यह क्या… शहर के चप्पेचप्पे पर पुलिस का पहरा. हर आनेजाने वाले को रोक पुलिस पूछताछ कर रही है. किसी तरह यदि दोनों एक चौक चौराहे से बच भी निकले तो शहर से बाहर निकलना सभंव नहीं. तभी सहसा पुलिस के एक जत्थे ने उन्हें चौराहे पर रोक लिया और घर से बाहर निकलने का कारण पूछने लगे. पुलिसकर्मियों को देख रत्ना के पसीने छूटने लगे और उस का गला सूख गया. रोहित लड़खड़ाती ज़बान से बोला, “सर, इन के पति की तबीयत खराब हो गई है, हम अस्पताल जा रहे है.” अस्पताल के नाम से पुलिस ने उन्हें आगे जाने की अनुमति दे दी.
कुछ दूर निकलते ही रत्ना तुनक कर बोली, “क्या जरूरत थी तुम्हें यह कहने की कि इन के पति की तबीयत खराब हो गई है?”
“तो क्या कहता, इन्होंने अपने पति का खून कर दिया है और हम लाश ठिकाने लगाने निकले हैं या यह कहता कि हम घर से बाहर धारा 144 का मज़ा लेने निकले हैं?”
“बकवास बंद करो, मैं ने कहा न, मैं ने शेखर को नहीं मारा.”
“हां, हां, मुझे मालूम है तुम ने शेखर को नहीं मारा. फिलहाल तुम्हारे पास कुछ रुपए हैं? जल्दीजल्दी में मैं अपना वालेट रखना भूल गया. हमें आगे हाईवे पर पैट्रोल भरवाना होगा और तुम अपना मुंह बंद रखना.”
“तुम पैट्रोल भरवा कर नहीं आ सकते थे और यह जल्दीजल्दी में क्या कह रहे हो. मेरे फ़ोन करने के पूरे 7 घंटे बाद तुम आए थे.”
“तो क्या करता, तुम्हारा फोन आते ही सिर के बल दौड़ा चला आता. क्या जरूरत थी तुम्हें पिस्टल निकालने की.”
“हां, मैं ने पिस्टल निकाला जरूर था, लेकिन मैं ने शेखर को जानबूझ कर नहीं मारा है रोहित. मेरा यकीन मानो और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है. तुम यह तो बताओगे की हम जा कहां रहे हैं?”
“अमरकंटक.”
“अमरकंटक,” रत्ना ने आश्चर्य से कहा.
“हां, क्योंकि अमरकंटक बिलासपुर से 110 किलोमीटर दूर है और छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा से बाहर मध्य प्रदेश राज्य की सीमा में आता है. और दूसरी बात, अमरकंटक में इतनी ऊंचीऊंची घाटियां हैं, उन घाटियों से एक बार किसी को नीचे फेंक दिया जाए तो उस का मिलना मुश्किल है. यदि लाश मिल भी गई तो मध्य प्रदेश राज्य की पुलिस उसे अपनी सीमा का केस समझ उस पर कार्यवाही करती रहेगी और उसे कोई सुराग नहीं मिल पाएगा.”
शहर से बाहर निकलते ही रोहित ने रत्ना से कहा, “तुम शेखर के नंबर से अपने नंबर पर कौल करो.”
रत्ना ने फिर सवाल किया, “लेकिन क्यों?”
“इसलिए क्योंकि इस से यह सिद्ध हो जाएगा कि शेखर ने घर पहुंचने से पहले तुम्हें फोन किया था लेकिन काम में व्यस्त होने की वजह से तुम फोन नहीं उठा पाईं.”
यहां अमरकंटक में भी वही हाल था. हर चौक चौराहे पर पुलिस का पहरा. हर व्यक्ति पर पुलिस की नज़र. यहां भी काम को अंजाम देना आसान न था. इधर शाम होने को थी, उधर रत्ना और रोहित शेखर की लाश लिए अमरकंटक की घाटियों में भटक रहे थे. जिधर देखो, उधर पुलिस का जत्था गश्त लगाता घूम रहा था.
अंधेरा होते और मौका पाते ही रत्ना और रोहित ने शेखर की लाश को घाटियों के नीचे फेंक दिया और शेखर के मोबाइल का सिम कार्ड तोड़ कर अमरकंटक के जलप्रपात दूधधारा में प्रवाहित कर दिया ताकि कभी भी वह सिम कार्ड ट्रेस न हो सके. उस के बाद दोनों शहर लौट आए. उस दिन के बाद से रोहित और रत्ना ने फिर कभी एकदूसरे से बात नहीं की, वही उन दोनों की आखिरी मुलाकात थी.
शेखर की मौत की वजह से रत्ना सदमे में चली गई थी. उस ने स्वयं को नशे में डुबो लिया था और वह लोगों से मिलना जुलना भी बंद कर चुकी थी.
अचानक रत्ना का मोबाइल बजा. नशे में धुत, डगमगाती हुई रत्ना ने फोन रिसीव किया. उधर रोहित था.
रोहित की आवाज सुनते ही रत्ना अधीर होते हुए बोली, “रोहित, अच्छा हुआ जो तुम ने मुझे फोन किया. देखो न, शेखर अब तक शोभना के पास से लौटा नहीं है और यह शोभना मुझ पर हंस रही है. तुम तो जानते हो न, रोहित, मैं शेखर से कितना प्यार करती हूं. शेखर मेरा फोन भी नहीं उठा रहा.”
“पागल हो गई हो क्या, होश में तो हो, शेखर मर चुका है और उस की लाश तुम ने अपने हाथों से घाटियों से नीचे फेंका है,” कहते हुए रोहित ने फोन रख दिया.
नशे की हालत में यह रत्ना की कोरी कल्पना थी, न रोहित ने उसे फोन किया था, न शोभना उस पर हंस रही थी. हां, रत्ना शेखर के नंबर पर बारबार कौल अवश्य कर रही थी जिस फोन के सिम कार्ड को वह स्वयं अमरकंटक के जलप्रपात दूधधारा में फेंक आई थी.
रत्ना ने फिर सिगरेट सुलगाई, पैक बनाया और दोबारा म्यूजिक सिस्टम का वौल्यूम बढ़ा सोफे पर लेट गई.
अमरकंटक से लौटने के बाद से रत्ना ने अपनेआप को घर में कैद कर लिया था. लौकडाउन का आज 10वां दिन था और घर पर अकेले रहते हुए रत्ना अपना मानसिक संतुलन खो चुकी थी.
पिछले 3 दिनों से मिसेज चंद्रा ने रत्ना को नहीं देखा, अकसर सुबह के वक्त जब मिसेज चंद्रा अपने लौन में मौर्निंग वाक कर रही होतीं, रत्ना उस वक्त अपने पौधों को पानी दिया करती. कहीं रत्ना की तबीयत खराब तो नहीं, यह जानने के लिए जब मिसेज चंद्रा, रत्ना के घर पहुंचीं तो दरवाजा अंदर से बंद था और घर से बहुत अजीब सी बदबू आ रही थी. मिसेज चंद्रा ने अनहोनी के भय से स्थानीय पुलिस को इस की सूचना दी.
पुलिस के आते ही जब दरवाजा खोला गया तो पूरा कमरा फैला हुआ था. जले हुए सिगरेट के पैकेट, शराब की बौटल्स, फलों के छिलके, चिप्स के पैकेट, बिस्कुट्स के रेपर और रत्ना सोफे पर मृत पड़ी थी. शायद इन 10 दिनों में रत्ना ने खाना ही नहीं बनाया और न ही खाया. रत्ना शायद यही सब खाती रही, अत्यधिक शराब पीने और नींद की अधिक गोलियां लेने की वजह से रत्ना की मौत हो चुकी थी और लास्ट कौल रत्ना ने शेखर को की थी जिस की वजह से पुलिस शेखर को तलाश कर रही थी.
एक महीने तक खोजबीन और तलाश करने के बाद भी शेखर का कोई सुराग न मिला और न ही उस का मोबाइल ट्रेस हो पाया. रत्ना मर चुकी थी, इसलिए पुलिस ने शेखर और रत्ना की फाइल बंद कर दी.