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कहानी: सौतन के साए में

दिल्ली के इस बड़े शहर में, जहां ज़िन्दगी भाग रही थी, एक कहानी धीरे-धीरे बिखर रही थी। शादी को पंद्रह साल हो चुके थे। नंदिता और आकाश की ज़िन्दगी कभी सपनों से भरी थी। दोनों एक-दूसरे को कॉलेज के दिनों से जानते थे और शादी के बाद भी उनकी दोस्ती, उनका प्यार बरकरार था। दोनों नौकरी करते थे और उनके जीवन का सबसे अनमोल तोहफ़ा था उनका तेरह साल का बेटा, आरव।
सब कुछ सही चल रहा था, या शायद नंदिता को ऐसा ही लगता था। लेकिन धीरे-धीरे, उसे महसूस हुआ कि आकाश बदल रहा है। वह अब घर में कम बात करता, फोन में ज्यादा व्यस्त रहता और देर रात तक लैपटॉप पर बैठा रहता। नंदिता ने इसे काम का प्रेशर समझा, लेकिन फिर एक दिन उसकी दुनिया हिल गई।

उस रात जब आकाश सो रहा था, नंदिता को उसका लैपटॉप खुला मिला। वह उसे बंद करने जा ही रही थी कि अचानक एक मैसेज स्क्रीन पर उभर आया-“मुझे तुम्हारी याद आ रही है।”

नंदिता के हाथ कांपने लगे। उसने दिल थामकर चैट पढ़नी शुरू की। महीनों से यह सिलसिला चल रहा था। वह औरत कोई और नहीं, बल्कि उसकी ही कंपनी की एक महिला थी। चैट में प्यार भरी बातें, वादे, मिलने के प्लान-सब कुछ था।

उस रात उसने खुद को रोक लिया, लेकिन अगले दिन से उसने आकाश पर नजर रखना शुरू कर दिया। वह फोन पर किससे बातें करता है, कहाँ जाता है, किसके साथ मुस्कुराता है-अब सब कुछ नंदिता की निगरानी में था।

जब उसे पूरा यकीन हो गया, तो उसने आकाश से सीधा सवाल किया।

“आकाश, क्या तुम किसी और को पसंद करने लगे हो?”

पहले तो उसने झूठ बोला, लेकिन जब नंदिता ने चैटिंग के बारे में बताया, तो वह झुंझला गया।

“तो क्या हुआ? मैं अब तुमसे प्यार नहीं करता! मेरी ज़िन्दगी मेरी मर्जी से चलाने दो!”

उस रात झगड़ा हुआ, सवाल-जवाब हुए, लेकिन नतीजा वही रहा—आकाश अब किसी और के प्यार में डूब चुका था।

अब नंदिता की ज़िन्दगी बदल गई थी। दिन में वह ऑफिस जाती, रात में बेटे की पढ़ाई देखती, और उसके बाद अकेले अपने आँसुओं को समेटती। आकाश अब घर में होते हुए भी नहीं था। न आरव से ठीक से बात करता, न नंदिता से।

आखिरकार, उसने उस औरत का नंबर निकाला और उसे फोन किया।

“अगर तुमने मेरे पति को नहीं छोड़ा, तो मैं तुम्हें सबके सामने बेइज्जत कर दूंगी!”

लेकिन धमकियों का कोई असर नहीं हुआ। आकाश और उस औरत का सिलसिला चलता रहा।

आकाश के माता-पिता भी आए और बेटे को समझाने की कोशिश की—”आकाश, नंदिता ने तुम्हारे साथ हर मुश्किल में कदम मिलाकर चला है। तुम उसे धोखा क्यों दे रहे हो?”

लेकिन आकाश को किसी की परवाह नहीं थी। कोरोना काल में नंदिता के माता-पिता चले बसे थे, तब नंदिता ने ही अपनी चार बहनों का ध्यान रखा था। लेकिन जिसे उसने ज़िन्दगी भर अपना समझा, वही अब उसे पराया लगने लगा था।

धीरे-धीरे, नंदिता ने बोलना ही छोड़ दिया। अब वे एक ही घर में रहते थे, लेकिन दो अजनबियों की तरह।

एक दिन, आकाश ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था कि अचानक उसे चक्कर आया और वह ज़मीन पर गिर पड़ा। नंदिता घबराकर दौड़ी और उसे उठाने की कोशिश की। वह पसीने में लथपथ था। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया।

डॉक्टरों ने बताया कि आकाश को फैटी लिवर की गंभीर समस्या हो गई थी।

“अगर अब भी ध्यान नहीं रखा, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।”

उस पल, नंदिता को अपने सारे दर्द भूल गए। वह अपने पति को उस हालत में नहीं देख सकती थी। पिछले कुछ महीनों में उसने आकाश से बहुत नफरत की थी, लेकिन उस वक्त वह सब पीछे छूट गया।

वह दिन-रात उसकी देखभाल करने लगी। दवाइयाँ, खान-पान, डॉक्टर की सलाह—हर चीज़ का ध्यान रख रही थी। आकाश की वो प्रेमिका, जिससे वह घंटों बातें करता था, अब कहीं नहीं थी।

जब अस्पताल में आकाश को होश आया, तो उसने सबसे पहले नंदिता को देखा।

“तुम यहाँ हो?”

“और कहाँ जाऊँगी?”

आकाश कुछ नहीं कह सका। उसके दिल में पहली बार यह अहसास हुआ कि जब उसे जरूरत थी, तब नंदिता ही उसके साथ थी। वह औरत जिससे वह प्यार का दावा करता था, वह तो उसके पास भी नहीं आई थी।

धीरे-धीरे आकाश की हालत सुधरने लगी, और उसके साथ ही उसकी सोच भी बदलने लगी। उसने देख लिया था कि असली प्यार वही होता है, जो हर परिस्थिति में साथ खड़ा रहे।

एक दिन, उसने नंदिता से कहा—

“मुझे माफ कर दो। मैंने तुम्हें बहुत तकलीफ दी है।”

नंदिता की आँखों में आँसू थे। उसने जवाब नहीं दिया, लेकिन उसकी आँखों में अब भी वही पुराना प्यार झलक रहा था।

कुछ दिनों बाद, जब आकाश पूरी तरह ठीक हो गया, तो उसने नंदिता और आरव को बाहर डिनर के लिए बुलाया।

“चलो, आज कहीं बाहर चलते हैं। बहुत समय हो गया, हमें साथ बैठकर हंसते हुए।”

नंदिता ने धीरे से सिर हिलाया।

उस दिन के बाद से, आकाश ने अपने रिश्ते को दोबारा संजोना शुरू किया। उसने ऑफिस से जल्दी आना शुरू कर दिया, आरव के साथ समय बिताने लगा, और सबसे बड़ी बात—उसने नंदिता को दोबारा वह इज्जत और प्यार देना शुरू किया, जिसकी वह हकदार थी।

इस बार उनका रिश्ता पहले से ज्यादा मजबूत था। एक झूठे प्यार ने जो दरार बनाई थी, उसे सच्चे समर्पण और समझदारी ने भर दिया। आकाश कभी सोचा भी नहीं था कि जिसे उसने ठुकरा दिया, वही उसे इतनी शिद्दत से संभालेगी।

क्योंकि सच्चे रिश्ते में तकलीफें आती हैं, लेकिन जब दोनों साथ हों, तो हर दर्द मिट सकता है। समय के साथ, दोनों ने फिर से हँसना शुरू किया, अपने बेटे के साथ मिलकर जिंदगी की नई राह बनाई। बेवफाई की कड़वाहट भले ही पूरी तरह मिट न सकी, लेकिन उस पर प्यार और विश्वास की एक नई परत जरूर चढ़ गई।

शायद पहले जैसा सबकुछ कभी नहीं होगा, लेकिन अब एक नया रिश्ता था-जिसमें दर्द के साथ समझ भी थी और बिछड़ने के बाद फिर से मिलने की कीमत भी।
 
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