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कहानी: शिकार

वह जानता था कि उस का अंत क्या होगा. वह जो करने जा रहा है, उस का नतीजा क्या होगा. लेकिन वह खुद को मजबूर पा रहा था. हवस का जहरीला कीड़ा उस की रगरग में समा चुका था. दिल ने साथ देना बंद कर दिया था और दिमाग पर तो जैसे जंग लग चुका था.
उस के पास मोबाइल था, जिस में वह हमेशा पोर्न साइट देखता था. दिमाग में एक ही चीज भरी हुई थी कि औरत महज एक शरीर और मर्द की जरूरत पूरी करने का साधन है.

इस घने जंगल में एक घायल लड़की भी थी. बेहोश होने से पहले लड़की ने बताया था कि जानवर चराते हुए वह राह भटक गई. एक भालू ने अचानक उस पर हमला किया. खुद को बचाते हुए वह भागती रही और जंगल के बहुत अंदर आ गई थी. उसे घर जाना था.

वह लड़की कराह रही थी. भालू के पंजे की चोट और उस के डर ने उसे बेहोश कर दिया था, लेकिन इस आदमी को देख कर तो वह ऐसे डरी, जैसे अब बचना नामुमकिन हो. इस तरह तो कोई जानवर दूसरे जानवर को देख कर भी नहीं डरता, वह तो फिर भी इनसान है.

इनसान का इनसान से डरना कहां तक ठीक है? हां, ठीक ही है, क्योंकि इनसान के रूप में उसे वह लड़की महज एक शरीर के रूप में नजर आ रही थी.

वह शिकार का मजा लेने अपने एक दोस्त के साथ छिप कर इस जंगल में आया था. मचान बनाने के बाद बंदूक ले कर वह पहले मचान पर चढ़ा.

उस के दोस्त ने जैसे ही मचान की पहली सीढ़ी पर कदम रखा, तेज रफ्तार से बाघ झपटा मार कर उसे घसीटते हुए ले गया.

घबराहट और डर के मारे वह बंदूक चलाना भूल गया. दोस्त की चीखें उस के कानों में अब तक गूंज रही थीं. उसे होश संभालने में काफी समय लगा. काफी इंतजार किया, लेकिन बाघ फिर नहीं आया.

भागतीहांफती वह लड़की आई. जख्मी हालत में और अपने सामने एक मर्द को देख कर खुश होने की बजाय डर से बेहोश हो गई. जैसे अब बचने को कोई उम्मीद न हो. वह अभी भी मचान पर बैठा था. लड़की बेहोश पड़ी थी.

वह सोच रहा था कि इस से पहले लड़की को कोई जंगली जानवर शिकार कर ले उस से अच्छा है कि वह उसे मचान पर ले आए और फिर उस के साथ…

इस घने जंगल में कौन देखता है कि किस ने, किस का शिकार किया. न तो वह आसपास के गांव का है और न ही लड़की उसे पहचानती है. फिर उस ने तो लड़की की जान बचा कर अहसान ही किया है उस पर. इस अहसान के बदले अगर वह उस का शरीर पा लेता है, तो यह लड़की की जान से सस्ता ही है. अगर इसे सौदा भी मान लिया जाए तो…

वह बंदूक ताने मचान से धीरेधीरे नीचे उतरा. उसे जंगली जानवरों से भी बचना था. जंगल का कानून तो यही है कि ताकतवर कमजोर को खा कर अपने पेट की भूख शांत करता है.

उस ने पास आ कर गौर से लड़की को देखा. लड़की की उम्र 16-17 साल से ज्यादा नहीं लगी उसे. गोरा रंग, गांव की खूबसूरत बाला. सलवारकुरता कई जगह से फट चुका था. पीठ पर भालू के पंजे का निशान था. बहता हुआ खून जम चुका था.

वह लड़की को घसीटते हुए मचान तक लाया, फिर कंधे पर उठा कर मचान पर चढ़ गया.

लड़की अब भी बेहोश थी. उस ने लड़की के शरीर पर कई बार निगाह दौड़ाई.

अचानक वह उस के शरीर को घूरने लगा, फिर उस के अंदर लड़की का शरीर भोगने की लालसा जाग उठी. औरत भी तो यही चाहती है.

उसे अपनी पत्नी की बात याद आई, ‘मैं तुम्हें छोड़ कर जा रही हूं. मेरी इच्छाओं को पूरा करने के तुम काबिल नहीं हो. तुम्हें मेरे शरीर की कदर नहीं है.’

‘हां, इसी शरीर सुख के लिए तो पत्नी अपने प्रेमी के साथ चली गई मुझे छोड़ कर और मैं ने खुद को शराब और शिकार में लगा दिया. जंगलजंगल भटकने लगा. यह जानते हुए भी कि शिकार करना गैरकानूनी है.

पकड़े जाने पर सजा हो सकती है, लेकिन आदत एक बार लग गई तो छोड़ना मुश्किल होता है.’ वह सोच रहा था.

शरीर की भूख मिटाने के लिए वह रैडलाइट एरिया में जाता और शिकार की आदत के लिए वह जंगल जाता. उस ने जंगल के आसपास के गांवों में कई दोस्त बना लिए थे. शिकार करने में ज्यादा दिक्कत होती, तो वह फोरैस्ट वालों को घूस दे कर पटा लेता था.

जंगली जानवरों का शिकार करते हुए वह यही सोचता जैसे अपनी घर छोड़ कर गई पत्नी का शिकार कर रहा हो.

जंगल का कानून ही हर जगह चलता है. कहने को हम भले ही सामाजिक हो गए हों, लेकिन हकीकत यही है कि हर कमजोर शिकार है और ताकतवर शिकारी.

भागते हुए हिरन को गोली मारते समय उस के मन में यह खयाल नहीं आया कि वह हत्या कर रहा है या कानून तोड़ रहा है. हां, जब उस का दोस्त बाघ का शिकार हुआ, तब उसे जरूर लगा कि बाघ ने उस के दोस्त की हत्या की है और वह इस का बदला ले कर रहेगा.

उस ने यह कह कर खुद को समझाया कि बाघ के हाथों मरना उस के दोस्त की किस्मत थी. बाघ ताकतवर था, उस का दोस्त कमजोर. उस के मन में यह विचार नहीं आया कि वह जंगली जानवरों की हत्या कर के मजा लेने जंगल में आया है. न वह यहां होता, न उस का दोस्त मारा जाता.

अब उस का सारा ध्यान लड़की के शरीर पर था, ‘अगर मैं इस लड़की के साथ कुछ करता हूं, तो क्या गलत होगा? यह शिकार है और मैं शिकारी. यह कमजोर है और मैं ताकतवर और जंगल के कानून के हिसाब से कानून मेरे साथ है. यह कोई शहर नहीं.’

उस के मन में हवस के कीड़े कुलबुलाने लगे. उस ने लड़की के कपड़े खींचने शुरू किए कि तभी लड़की को होश आ गया.

लड़की उसे देख कर बुरी तरह डर गई और बोली, ‘‘मुझे छोड़ दीजिए.’’

उस ने हैरत और गुस्से से कहा, ‘‘तुम नीचे घायल पड़ी थी. मैं उठा कर मचान पर न लाता तो तुम बाघ का शिकार बन चुकी होती. बेहोश होने से पहले तुम ने बताया था और तुम्हारी पीठ का जख्म देख कर लग भी रहा है कि भालू ने तुम पर हमला किया था. जंगली जानवरों से डरने के बजाय तुम मुझ से डर रही हो. मैं ने तो तुम्हें बचाया है.’’

‘‘क्योंकि आप में और उन जानवरों में ज्यादा फर्क नहीं है. वे मार कर शरीर खा जाते और आप इस शरीर को खराब कर के मुझे जिंदगीभर के लिए जख्मी कर देते.’’

‘‘तुम्हें अपनी जान प्यारी है या इज्जत?’’

‘‘मैं लड़की हूं. मुझे अपनी इज्जत प्यारी है और जान भी प्यारी है, लेकिन इज्जत के बिना जिंदगी मौत के समान है,’’ वह लड़की बोली.

‘‘एक अकेली लड़की को देख कर ऐसा खयाल आना गलत नहीं है.’’

‘‘कैसा खयाल? रेप का?’’

‘‘अपनी हवस मिटाने का.’’

‘‘और आप की पलभर की हवस के लिए मैं जिंदगीभर नरक भोगती रहूं?’’ वह लड़की बोली.

‘‘मैं ऐसा भी सोच सकता था कि मैं तुम्हारी जान बचाऊं. तुम्हारे जख्मों को मरहम दूं. तुम्हें महफूज घर तक छोड़ दूं. फिर शायद तुम्हारे दिल में मेरे लिए प्यार का बीज फूट पड़ता. लेकिन शरीर की भूख इतना इंतजार नहीं कर सकती.’’

‘‘क्या तुम लड़की के दिल में प्यार और इज्जत का भाव पाना छोटी बात समझते हो? एक औरत अगर किसी मर्द की इज्जत करती है या प्यार, यह अपनेआप में शानदार है.’’

‘‘लेकिन इतना सब्र नहीं है मुझ में. जो चाहिए वह मैं छीन कर अभी इसी वक्त ले सकता हूं. फिर इतना सब नाटक क्यों? क्यों मैं हाथ आए शिकार को छोड़ दूं.’’

‘‘अकेली लड़की शिकार है तुम्हारी नजर में?’’

‘‘अगर मैं हां कहूं तो गलत नहीं होगा. मैं बेकार में शराफत का नाटक क्यों करूं? फिर तुम साथ दो तो तुम्हें भी मजा आएगा. फिर यह रेप नहीं होगा, वह बोला.’’

‘‘प्यार भी नहीं होगा.’’

‘‘मैं रुक नहीं सकता. मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा है. मैं खुद पर और काबू नहीं रख सकता,’’ कहते हुए उस ने अपनी बंदूक एक तरफ रख दी और लड़की को अपनी तरफ जबरदस्ती खींच लिया.

लड़की पहले से चोटिल थी. उस के खींचने से उसे और दर्द हुआ.

उस ने उस लड़की को जबरन लिटा दिया और उस के ऊपर आ कर उस के सीने से दुपट्टा खींच कर फेंक दिया.

लड़की ने कहा, ‘‘अगर कमजोर शिकार है ताकतवर शिकारी, तो ठीक है. कभी मैं ताकतवर हुई तो तुम्हारा शिकार कर सकती हूं.’’

वह वहशी हो चुका था. उस ने लड़की के सीने में दांत गड़ा कर कहा, ‘‘इस समय में ताकतवर हूं और यहां न कोईर् समाज है, न कानून. न गवाह, न सुबूत.’’

‘‘सुबूत मैं खुद हूं.’’

‘‘मैं तुम्हारी हत्या कर दूंगा. तब कोई सुबूत भी नहीं रहेगा कहते हुए,’’ उस ने उस लड़की का ऊपरी कपड़ा फाड़ डाला.

‘‘इस का मतलब यह हुआ कि जिस वजह से तुम खुद को मर्द कहते हो. उस मर्दानगी की वजह से तुम्हें रेप और हत्या करनी पड़ेगी. फिर भी तुम्हें अपने मर्द होने का घमंड है?’’

‘‘यह तो कुदरती है.’’

‘‘लेकिन रेप और हत्या कुदरती नहीं है.’’

‘‘मैं कोई साधुसंत नहीं. तुम्हें देख कर मेरे अंदर हवस का भाव जागा और से पूरा करना जरूरी है मेरे लिए.’’

‘‘इस का मतलब यह हुआ कि मुझे अपना बचाव खुद करना पड़ेगा. तुम मर्द हो कर हिफाजत करने की जगह जुल्म कर रहे हो.’’

‘‘हां, कर रहा हूं. तुम अपने बचाव में सिर्फ रो सकती हो. कोई ऐसी उम्मीद भी मत रखना कि मेरा मन बदल जाएगा या आसमान से कोई देवदूत तुम्हें बचाने आ जाए.’’

‘‘तुम इनसान होते तो मेरे जख्मों पर मरहम लगाने की सोचते. मुझ डरी हुई लड़की को हिम्मत देते. लेकिन तुम जंगली जानवर ही निकले. तुम से उम्मीद करना बेकार है,’’ लड़की ने पूरी ताकत लगा कर उसे धक्का दिया.

मचान छोटा था. उस का बैलेंस बिगड़ गया. वह मचान से नीचे गिर पड़ा. लड़की ने फौरन पास पड़ी बंदूक उठा ली और उस की तरफ तान दी.

बाघ की दहाड़ सुनाई दी. बाघ उस की तरफ बढ़ रहा था. उस ने चीख कर कहा, ‘‘मुझे बचा लो. मैं माफी मांगता हूं. बाघ को गोली मारो.’’

‘‘मेरे लिए एक आदमखोर है दूसरा औरतखोर. मुझे दोनों से ही बचना है. अब तुम शिकार हो, मैं शिकारी. मर्दऔरत के बीच अगर ताकतवर और कमजोर वाली बात है, तो औरत भी ताकतवर हो सकती है. फिर तुम कैसे बचोगे?’’

उस की घिग्घी बंध चुकी थी. बाघ धीरेधीरे उस की तरफ बढ़ रहा था और लड़की उस की तरफ बंदूक ताने हुए थी, जो कभी भी चल सकती थी.

उस ने डर से कांपते हुए कहा, ‘‘बाघ के हाथों मरने से अच्छा है कि तुम मुझे गोली मार दो. प्लीज, मार दो मुझे.’’

‘‘शिकारी से रहम की उम्मीद नहीं करना चाहिए. तुम्हीं से सीखा है अभीअभी मैं ने.’’

एक दहाड़ के साथ बाघ ने उस पर छलांग लगा दी. वह चीखा चिल्लाया. थोड़ी देर में उस का दम निकल गया.

लड़की ने ट्रिगर दबाया. गोली बाघ के सिर में लगी. वह छटपटाया और ढेर हो गया.

लड़की धीरेधीरे मचान से उतरी और पूर्व दिशा की ओर बढ़ने लगी. - देवेंद्र मिश्रा
 
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