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दशावतार का मंचन देख जय श्रीराम के जयकारे से गुंजा वातावरण

गाजीपुर। अति प्राचीन श्री रामलीला कमेटी हरिशंकरी की ओर से लीला के दसवें दिन सोमवार को 25 सितम्बर के सायं 7 बजे लीला के दौरान श्री राम अपने भाई लक्ष्मण व पत्नी सीता के साथ अत्रि ऋषि, सुतिक्षण आदि मुनियों से आज्ञा लेकर दुसरे वन के लिए प्रस्थान करते है उनके चलने से ऐसा मालूम होता है कि उभय बीच श्री सोहई कैसे ब्रह्म जीव बीच माया जैसी मानो ऐसा लग रहा थ कि ब्रह्म और जीव के बीच मे माया साथ चल रही हो जीधर श्री राम, सीता व लक्ष्मण लच रहे थे उस ओर प्रकृति भी श्री राम की सहायता के लिए कृत संकल्प थी। 

जिस रास्ते से श्री राम चलते थे उस रास्ते में शीतल हवा और बादल छा जाते थे जिससे श्री राम के बनवास काल में किसी तरह का उन्हे परेशानी न हो। थोड़ी दिन बितने के बाद प्रभु श्री राम रास्ते में बिराध नामक राक्षक का वध करते हुए सीता व लक्ष्मण के साथ वनमार्ग चलते चलते नदी पर्वत व दुर्गम घाटियों को पार करते हुए उस स्थान तक पहुचे जहां सदियों से ऋषि अत्रि मुनि समाधिस्थ होकर आसन जमाए बैठे थे। 

प्रभु श्री राम के पहुचते ही ऋषि अत्रि मुनि श्री राम का दर्शन करते है ‘‘प्रलम्ब बाहु विक्रमम् प्रभो प्रभे वैभयम्‘ इस तरह का स्तुति करने लगते है और कहते है कि प्रभु आप के दर्शन से मेरा जीवन कृतार्थ हो गया मैं सुना करता था कि मेरे भक्ति से प्रसन्न होकर एक दिन श्री राम अपने भाई व पत्नी के साथ वनवास काल के दौरान हमारे आश्रम तक जरूर पधारेगें वो दिन आज मुझे देखने को मिला कि प्रभु आप अपने परिवार के साथ मुझे दर्शन देकर कृतार्थ कर दिया। इसके अलावा उन्होने कहा कि प्रभु कुछ दिन आप यहां रह कर सेवा करने का मौका दें। 

थोड़ी समय बाद सरभंग ऋषि कहते है कि प्रभु मै तो पापी हूं मैं आपका भजन किर्तन, सत्संग जप, पत आदि भक्ति से मैं विमुख हूं कृपया आप मेरे उपर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखे इतना कहने के साथ ही ऋषिवर प्रभु के सुन्दर रूप का दर्शन करते हुए अपने योग से उन्होने चिता बनाकर योग द्वारा अग्नि प्रज्वलित कर उसमें समा गये और श्री राम ने अत्रि के भक्ति को देखकर अपने धाम बैकुण्ठ भेज दिया। इसके बाद लीला के दौरान प्रभु श्री राम विष्‍णु, कृष्‍ण, नरसिंह, बाराह, बलि, भृगु, कक्ष, मक्ष, परसुराम, सहित दसअवतार के रूप में दर्शको को अपना दर्शन देकर यह दर्शाया कि ‘ जब जब होई धरम के हानि बाढ़हई असुर अधम अभिमानी, तब तब धरि प्रभु विविध शरीरा, हरही कृपा निधि सज्जन पिरा‘ इस चैपाई को दर्शाते हुए बताया कि जब जब आसुरि सक्तियों का अत्याचार बढ़ता है तब तब मैं इन अवतारों में लेकर असुरों को मारकर अपने भक्तों का रक्षा करते है। इस लीला को देखकर दर्शको द्वारा श्री राम के उद्घोश लगाया गया पूरा लीला स्थल राममय हो गया। इस मौके पर-अध्यक्ष  दीनानाथ गुप्ता, उपाध्यक्ष प्रकाशचन्द्र श्रीवास्तव, मंत्री ओम प्रकाश तिवारी (बच्चा), सयुक्त मंत्री लक्ष्मी नारायण, उपमंत्री पं0 लव कुमार त्रिवेदी, मेला व्यवस्थापक (कार्यकारी) बीरेश राम वर्मा, उपमेला व्यवस्थापक शिवपूजन तिवारी (पहवान) कोषाध्यक्ष अभय कुमार अग्रवाल, आय-व्यय निरीक्षक अनुज अग्रवाल, कार्यकारिणी सदस्य-.राम नारायण पाण्डेय, राजेश प्रसाद, प्रदीप कुमार,  ओम नाराणय सैनी, अशोक कुमार अग्रवाल, योगेश कुमार वर्मा, ऋषि चतुर्वेदी, राजेन्द्र विक्रम सिंह , अजय पाठक, सुधीर कुमार अग्रवाल, कृष्‍णांष त्रिवेदी, विजय मोदनवाल, अजय कुमार अग्रवाल कृश्ण बिहारी त्रिवेदी आदि उपस्थित रहे।

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