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प्रदेश सरकार गाजीपुर से जिस आईएएस को हटाई वह इसी जिले को बना लिया अपनी ससुराल

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर पूर्व डीएम संजय कुमार खत्री एक बार फिर सुर्खियों में हैं। खबरिया चैनलों सहित सोशल मीडिया तक पर उनके शादी रचाने की खबरें वायरल हो रही हैं। श्री खत्री ने जिसे अपनी अर्धांगिनी बनाया है वह गाजीपुर की रहने वाली हैं। उनका नाम विजय लक्ष्मी है। वह गाजीपुर शहर के स्टीमर घाट मुहल्ले के स्वर्णकार बिरादरी परिवार से आती हैं। खबर है कि बीते 19 नवंबर को दिल्ली में एक संक्षिप्त समारोह में दोनों परिणय सूत्र में बंधे। 

उस मौके पर उनके चुनिंदे परिवारीजन तथा रिश्तेदार मौजूद थे। श्री खत्री मौजूदा वक्त में रायबरेली के डीएम हैं। मालूम हो कि श्री खत्री की गाजीपुर डीएम पद पर 28 मार्च 2016 को तैनाती हुई थी। इसके बाद नगर निकाय चुनाव की घोषणा से पहले आठ सितंबर को उनका तबादला रायबरेली के लिए हो गया। राजस्थान के बाड़मेर में 27 जनवरी 1981 को जन्मे श्री खत्री की कक्षा आठ तक की पढ़ाई अपने गांव में हुई। उसके बाद वह अपने शिक्षा अधिकारी पिता के साथ जयपुर चले आए। जहां इंटर के बाद जेआरआर यूनिवर्सिटी से प्रथम श्रेणी से बीए की डिग्री हासिल किए। फिर राजस्थान यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री लिए। 

उसके बाद उनका चयन राजस्थान प्रशासनिक सेवा में हो गया। जहां दो साल तक उन्होंने जालौर व पाली में अपनी सेवा दी। उसी बीच वर्ष 2010 में वह भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हो गए। विजय लक्ष्मी से उनके मिलन का संयोग भी किसी फिल्म पटकथा की ही तरह रोचक है। विजय लक्ष्मी भी भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने के लिए दिल्ली में तैयारी कर रही थीं। उसी क्रम में उनकी मुलाकात संजय खत्री से होती रही। संयोगवश विजय लक्ष्मी भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने से चूक गईं जबकि श्री खत्री को यह गौरव हासिल हो गया। दोनों के लिए बात आई-गई हो गई लेकिन नियति को तो इन्हें मिलाना था। 

सो संयोग बना कि श्री खत्री गाजीपुर डीएम बन कर आ गए। यह जान विजय लक्ष्मी उनसे मिलने गईं और फिर दोनों की पुरानी यादें ताजा होने लगीं। उसके बाद कुछ दिनों तक दोनों का मिलने-जुलने का क्रम फिर शुरू हो गया। आखिर में दोनों ने एक होने का फैसला कर लिया। इसमें उनके परिवारीजनों की भी सहमति रही। यह खबर गाजीपुर में इन दिनों चर्चा में है। हालांकि श्री खत्री गाजीपुर में तब सुर्खियों में आए जब प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने उनके खिलाफ मोर्चा खोला था। 

यहां तक कि उस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सीधे हस्तक्षेप करना पड़ा था। उसके बाद ही संजय खत्री को गाजीपुर छोड़ना पड़ा था लेकिन शायद श्री राजभर को यह पता है या नहीं कि जिस शख्स को वह गाजीपुर डीएम की कुर्सी से  हटाए उसका नाता और गहराई के साथ गाजीपुर से जुड़ चुका है। वैसे गाजीपुर के लोग डीएम के रूप में श्री खत्री के कार्यों को आज भी याद करते हैं।
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