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गाजीपुर: बहुचर्चित कुंडेसर चट्टी कांड में बाहुबली एमएलसी ब्रजेश सिंह व माफिया त्रिभुवन सिंह बाइज्जत बरी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर भांवरकोल थाने के बहुचर्चित कुंडेसर चट्टी कांड में मंगलवार को कोर्ट ने बाहुबली एमएलसी ब्रजेश सिंह तथा उनके राइटहैंड रहे माफिय त्रिभुवन सिंह को बाइज्जत बरी कर दिया।  इस मौके पर वाराणसी सेंट्रल जेल से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में लाए गए ब्रजेश सिंह खुद कोर्ट में मौजूद थे जबकि ब्रजेश सिंह के वाराणसी जेल लौटने के कुछ देर बाद मीरजापुर जेल से त्रिभुवन सिंह गाजीपुर कोर्ट में पहुंचे। फिर कोर्ट में कागजी कार्यवाही पूरी कर उन्हें भी साथ आई गारद मीरजापुर के लिए रवाना हो गई। एहतियात के तौर पर कोर्ट कैंपस तथा आसपास काफी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात थी। एडीजे(द्वितीय) अवध बिहारी सिंह ने यह फैसला सुनाया। ब्रजेश सिंह के वकील रामाधार राय के मुताबिक मुकदमे की सुनवाई के वक्त अभियोजन ने ठोस साक्ष्य, सबूत पेश करने में नाकाम रहा लिहाजा एडीजे(द्वितीय) ने संदेह का लाभ देते हुए उनके मुवक्किल को बाइज्जत बरी करने का आदेश दिया। घटना दो मई 1991 की रात करीब साढ़े नौ बजे हुई थी। विधानसभा तथा लोकसभा का चुनाव एक साथ हो रहा था। 

मुहम्मदाबाद के तत्कालीन विधायक अफजाल अंसारी तीसरी बार विधानसभा में जाने के लिए भाकपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। वह प्रचार अभियान में निकले थे। वापसी में वह अपनी गाड़ी से उतर गए थे। कुंडेसर चट्टी पहुंचने पर उनकी गाड़ी खराब हो गई। उसी बीच उजियार भरौली की ओर से एक मारुति जिप्सी तेज गती से आई। अफजाल की गाड़ी से कुछ ही कदम आगे गई थी कि वह रुकी और फिर वापस अफजाल की गाड़ी तक आई। उसके बाद उसमें सवार लोगों ने अफजाल की गाड़ी पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। कई राउंड गोलियां दागने के बाद वह लोग मय गाड़ी आगे निकल गए। उस फायरिंग में अफजाल की गाड़ी पर सवार उनके कार्यकर्ता सुरेंद्र राय तथा कमला सिंह मौके पर ही मारे गए थे जबकि सड़क पर मौजूद कुंडेसर चट्टी के मिठाई विक्रेता झिंगुरी गुप्त भी ढेर हो गए थे। उनके अलावा उस गाड़ी में सवार रामेश्वर राय, दीनानाथ राय तथा कै.जग्गनाथ सिंह गंभीर रूप से घायल हुए थे। इस मामले में अफजाल के छोटे भाई मुख्तार के साला अताउर्रहमान ने अज्ञात हमलावरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई लेकिन पुलिस विवेचना में कुल पांच लोगों का नाम सामने आया। उनमें मुख्य रूप से ब्रजेश सिंह तथा त्रिभुवन सिंह थे।

पुलिस ने इस मामले में कुंडेसर के रहने वाले टपक राय तथा घायल दीनानाथ राय व कै.जग्गनाथ सिंह को गवाह बनाया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान टपक राय तथा दीनानाथ राय पक्षद्रोही हो गए। मुकदमे की कार्यवाही पूरी  होने के बाद फैसले की बारी आई। उसी बीच कै.जग्गनाथ सिंह ने लिखित आपत्ति करते हुए कहा कि उन्हें मुल्जिमों की पहचान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कराई गई है। अवस्था के कारण वह टीवी स्क्रीन पर उनकी पहचान ठीक से नहीं कर पाए। इस लिए मुल्जिमानों का कोर्ट में उनसे सामना कराया जाए लेकिन कोर्ट ने उनकी आपत्ति खारिज कर दी। तब कै. जग्गनाथ सिंह इसको लेकर हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट के आदेश पर ब्रजेश सिंह तथा त्रिभुवन सिंह गाजीपुर कोर्ट में पेश किए गए। 

उसके बाद कै.जग्गनाथ सिंह ने उनकी पहचान की। फिर मुकदमे की कार्यवाही चलती रही। उसी बीच कै.जग्गनाथ सिंह का निधन हो गया। तब उनके बेटे ने डीजे की कोर्ट में अर्जी दी कि संबंधित कोर्ट पर उन्हें अपने स्व.पिता के साथ इंसाफ की उम्मीद नहीं है। लिहाजा यह मामला किसी दूसरी कोर्ट में स्थानांतरित किया जाए लेकिन डीजे कोर्ट ने उनकी अर्जी खारिज कर दी। अब जबकि कोर्ट का फैसला आ गया है तो ब्रजेश सिंह तथा त्रिभुवन सिंह के समर्थक खुश हैं। उनका कहना है कि यह फैसला उनके लिए अप्रत्याशित नहीं है। उन्हें इंसाफ मिलने का कोर्ट पर पूरा भरोसा था। उधर पूर्व सांसद अफजाल अंसारी से इस पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि अव्वल तो उन्हें कोर्ट का फैसला नहीं मिला है। लिहाजा उसके पहले वह कुछ कहना नहीं चाहेंगे। फैसला पढ़ने के बाद ही आगे की कार्यवाही पर सोचेंगे। वैसे अगर कोर्ट का ऐसा फैसला है तो वह कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।

दोनों मुस्कराते और हाथ हिलाते कोर्ट में पहुंचे
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर बाहुबली एमएलसी ब्रजेश सिंह तथा उनके साथी माफिया त्रिभुवन सिंह के आने से काफी पहले ही उनके समर्थक, शुभेच्छु तथा मीडिया कर्मी भी कोर्ट कैंपस में जुट गए थे। सबसे पहले ब्रजेश सिंह आए। पुलिस गाड़ी से उतरने के बाद अपने समर्थकों की ओर हाथ हिलाए। फिर हाथ जोड़ते तथा मुस्कराते कोर्ट में चले गए। वापसी में भी ऐसा ही हुआ। मीडिया कर्मियों ने फैसले के बाबत उनके चर्चा करनी चाही लेकिन वह कुछ नहीं बोले। यही स्थिति ब्रजेश के बाद पहुंचे त्रिभुवन सिंह की रही। वह भी मीडिया से दूरी बनाए रखे। ब्रजेश सिंह के समर्थकों की गाड़ियों में मुहम्मदाबाद विधायक अलका राय के काफिले में चलने वाली गाड़ियां भी दिखीं। हालांकि चर्चा थी कि अलका राय के छोटे पुत्र पीयूष भी आए थे लेकिन वह कहीं दिखे नहीं।
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