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गाजीपुर: गठबंधन के नांव पर मौर्यवंशी नेताओं के बैठने से बदलने लगी है जिले की राजनैतिक फिजा

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर उत्‍तर प्रदेश को-आपरेटिव बैंक के चेयरमैन उमाशंकर कुशवाहा ने ज्‍यो ही हाथी की सवारी शुरू की तब से पूरे जिले में सियासत गरमा गयी है। राजनैतिक पंडित इस राजनैतिक घटना को अलग-अलग चश्‍मे से देख रहें है। राजनैतिक गलियारो में इस बात की चर्चा जोरो पर है कि मौर्यवंशी दिग्‍गज नेता किसी न किसी तरह से सपा-बसपा गठबंधन के नाव पर सवार है। जिले में मौर्यवशियों में पूर्व विधायक उमाशंकर कुशवाहा, पूर्व सांसद जगदीश कुशवाहा, पूर्व सपा जिलाध्‍यक्ष राजेश कुशवाहा अपनी मजबूत पकड़ रखते है और अपनी बिरादरी की अगुवाई करते है। मौर्यवंशियो में इन तीनो नेताओं का बड़ा सम्‍मान है। 

गाजीपुर लोकसभा के पांचो विधानसभाओं में मौर्यवंशियो की करीब पौने दो लाख मतदाताएं है। जो किसी भी परिणाम पर असर डाल सकते है। अब देखना है कि यह तीनो दिग्‍गज मौर्यवंशीय नेता अपने बिरादरी के मतदाताओं को गठबंधन के लिए कितना प्रभावित कर पायेंगे। उ.प्र. को-आपरेटिव के चेयरमैन उमाशंकर कुशवाहा बसपा के टिकट पर एक बार सदर विधानसभा से विधायक रह चुके है, बसपा ने उनको लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़वाया था लेकिन सफलता नही मिल पाई थी। 

बसपा सरकार में ही उन्‍हे उत्‍तर प्रदेश को-आपरेटिव बैंक का चेयरमैन बनाया गया था। इसके बाद वह समाजवादी पार्टी में चलें गये और फिर भाजपा होते हुए पुन: अपने घर वापस आ गये। जगदीश कुशवाहा निर्दलीय सांसद के रूप में निर्वाचित हुए थे। इसके बाद वह बसपा के टिकट पर दिलदारनगर विधानसभा का चुनाव लड़ें लेकिन सफलता नही मिली। राजेश कुशवाहा पेशे से अधिवक्‍ता है पहले समाजवादी पार्टी में जिला महासचिव थे। 

इसके बाद अखिलेश सरकार में जिलाध्‍यक्ष बनाये गये, अखिलेश यादव के करीबियों में इनकी गिनती होती है। सपा के टिकट पर गाजीपुर विधानसभा चुनाव लड़ें लेकिन इनको भी सफलता हासिल नही हुई। तीनो मौर्यवंशी नेता अब गठबंधन के पक्ष में कितना हवा बना पाते है यह तो आने वाल समय बतायेगा। लेकिन गठबंधन के नाव में मौर्यवं‍शियो के बैठने से जिले की फिजा बदलने लगी है।

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