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गाजीपुर: अमन की दुआ संग रमजान को 'अलविदा'

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर खुदा की बारगाह में एक ही सफ मे बैठ गए महमूद और अयाज, न कोई बंदा रहा न कोई बंदा नवाज। पाक माह रमजान के आखिरी जुमे को अलविदा कहा। एक ही चादर पर बैठकर एक साथ हजारों सिर झुके और वर्ग-भेद भुला दिए। रमजान के अंतिम जुमे की नमाज के लिए शहर से देहात तक जुटे रोजेदारों के चेहरों पर ईद के करीब होने की खुशी भी थी। नमाजियों ने अमन और खुशहाली की दुआ मांगी। अंतिम जुमे की नमाज पढ़ने काफी संख्या में नमाजी जामा मस्जिद, ईदगाह मैदान और शहर की अन्य मस्जिदों में पहुंचे। हालांकि चांद दिखने के बाद 4 या 5 जून को ईद मनाई जाएगी।

शुक्रवार को शहर की जामा मस्जिद और ईदगाह महुआबाग समेत सभी मस्जिदें रोजेदारों से भरी थी।दोपहर डेढ़ बजे 44 डिग्री तापमान पर अकीदतमंद जुटे। गर्म हवा के थपेड़ों के बावजूद हजारों रोजेदार इबादत को जमा थे। प्रचंड गर्मी भी उन्हें रोक न सकी। कुछ मस्जिद में छाया की प्रबंध और कहीं शामियाना लगाया गया था, मगर तेज धूप में इसकी छाया का भी कुछ खास असर नहीं था।मस्जिदों में नमाजियों के लिए पार्किंग के लिए भी अलग से व्यवस्था की। मस्जिद में भी शामियाना और लाउडस्पीकर लगाए गए। वजू के लिए पानी की बेहतर व्यवस्था की गई। मस्जिदों में एक सिरे से दूसरे सिरे तक झुके हुए सिर और सफेद टोपियों ने परिसर को ढक लिया। जामा मस्जिद में मौलाना मुहम्मद की इमामत में नमाज पढ़ी गई।

इसके अलावा प्रकाश टाकीज मस्जिद, गोराबाजार मस्जिद, लाल दरवाजा, एमएच स्कूल, रजदेपुर समेत में अलग-अलग समय पर अलविदा जुमा की नमाज रोजेदारों ने नमाज पढ़ी। वहीं जमानियां, दिलदारनगर, सेवराई, जखनिया, सादात, दुल्लहपुर, मरदह, जंगीपुर में भी नमाज अता की गई। रमजान के बाद ईद का त्योहार मनाया जाएगा। सामाजिक समरसता रमजान और ईद के त्योहार से जुड़ी है। ईद की खुशियां पड़ोसियों के साथ मिलकर मनाने का रिवाज रहा है। जामा मस्जिद के इमाम ने कहा कि रमजान के महीने का तीसरा अशरा जहन्नुम की आग से आजादी का होता है। हमारी नेमतों और रोजे में शरीर को कष्ट देकर दूसरे का कष्ट समझने के बदले में खुदा गुनाहों की माफी देता है। खुदा की रहमत मिलती है और गुनाहों से माफी।

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