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गाजीपुर: अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाटों पर उमड़ी व्रतियों की भीड़

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर लहुरीकाशी के गंगा घाट शुक्रवार शाम आस्था के महापर्व छठ पर अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य के साक्षी बने। चार दिवसीय छठपर्व के तीसरे दिन शनिवार को सैकड़ों की संख्या में व्रतियों ने जलधारा में खड़े होकर डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य दिया। गंगा, गोमती, बेसो, मगई, नदियों और कैनाल समेत तालाबों के आसपास सैकड़ों की संख्या में लोग सिर पर फल पूजा सामग्री की टोकरी लेकर पहुंचे। नवापुरा, महादेवा, ददरी घाट समेत तमाम जगहों पर भव्य पूजा का आयोजन किया गया। कला संस्कृति और परंपराओं के अनूठे संगम की छटा गंगा घाट पर बिखरती नजर आई। एसपीआरए चंद्रप्रकाश शुक्ला के नेतृत्व में शहर से लेकर देहात तक सभी घाटों पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध रहे। देर शाम तक गंगा और अन्य नदियों के आसपास चहल पहल रही। छठ पर्व के चौथे अंतिम दिन रविवार को अल सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाएं 36 घंटे से चला रहा व्रत तोड़ेंगी।

छठ मइया की आराधना के महापर्व के तीसरे दिन रविवार को निर्जला व्रत रखी व्रती परिजनों संग विभिन्न घाट पहुंचे, जहां डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य दिया गया। छठ माता की पूजा में व्रत करने वाली महिलाएं पूजन सामग्रियों को अर्घ्य देने से लेकर प्रसाद तैयार किया जाता है। महिलाओं ने पूजा के दौरान गंगा में स्नान किया, श्रृंगार और परंपराओं के बीच धारा में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया। कुछ महिला और पुरुष आस्था के अनुसार घुटनों के बल चलते हुए नदियों, तालाबों और सरोवरों के किनारे पहुंचे। इससे पहले छठ मइया के स्वागत के लिए घरों में रंगोली बनाई गई। लोगों ने रंगीन झालरों से घर आंगन को सजाया। सूर्यभक्ति में सराबोर व्रतियों ने गोधूली बेला में प्रसाद बनाकर खरना किया। खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे तक का अखंड निर्जला उपवास शुरू हो गया। शनिवार को व्रती महिलाओं ने डूबते सूरज को पहला अर्घ्य दिया।

'अभी ना डुबिहे भास्कर दीनानाथ करिहे घरवा उजार हो।' से गंगा घाट गूंज उठे। रंग बिरंगे वस्त्रों में सजी संवरी सभी महिलायें आस्था के उस रंग में रंगी हैं जिसकी छटा छठी मैया के गीत से और भी अलौकिक हो उठता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी के दिन अस्त होते हुवे सूर्य को अर्घ्य देने के बाद अब अगले दिन अर्घ्य देने के बाद महिलाओं की कामना की अगले दिन सूर्य जब निकलेंगे तो एक नए तेज के साथ आयेंगे। जिसकी रौशनी इनके घर को खुशियों से भर देगी। इस पर्व में जल और सूर्य की महत्ता है। जिसके बिना जीवन की कल्पना नही की जा सकती।

सेल्फी लेने की मची होड़
घाटपर पूजन के लिए जुटे श्रद्धालुओं ने डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का गवाह बने। पूजा के दौरान बच्चों और युवाओं में परिजनों संग सेल्फी लेने का उत्साह दिखाई दिया। परिजनों संग साल में एक बार मनाया जाना वाला त्योहार यादगार रहे, इसलिए सेल्फी लेना तो बनता है। वहीं युवतियों में पूजा के साथ फोटो खींचने और खिंचाने की होड़ देखी गई।
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