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कानपुर की निजी कंपनी ने 14 बैंकों को लगाई 3592 करोड़ की चपत

सीबीआई ने कंपनी के दफ्तर समेत कंपनी के डायरेक्टर्स, गारंटर्स आदि से जुड़े 13 ठिकानों पर छापेमारी की है. मुंबई में तीन, दिल्ली में 4 और कानपुर में छह जगहों पर छापा मारा गया. इस सबंध में सीबीआई की जांच अभी जारी है.

केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने चार निजी कंपनियों समेत 14 आरोपियों के खिलाफ सरकारी बैंकों को 3592.48 करोड़ रुपये की चपत लगाने के आरोप में केस दर्ज किया है. इस सिलसिले में सीबीआई ने 13 जगहों पर छापेमारी भी की. जिनके खिलाफ ये केस दर्ज हुए हैं उनमें बैंक डायरेक्टर, बैंक गारंटर, निजी कंपनियां और कुछ अज्ञात लोग शामिल हैं. जिन बैंकों को चपत लगाने का आरोप हैं ​उनमें बैंक ऑफ इंडिया के साथ ही 13 अन्य बैंक शामिल हैं.

सीबीआई ने यह कार्रवाई बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर की है. बैंक ने आरोप लगाया है कि आरोपी कंपनी कानपुर की है जिसका मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में रजिस्टर्ड दफ्तर है. यह कंपनी मर्चेंट ट्रेडिंग और ​तमाम वस्तुओं के आयात और निर्यात का काम करती है. इस कंपनी के सप्लायर और खरीदार चीन, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, कंबोडिया, अमेरिका, सउदी अरब, स्विटजरलैंड और ताइवान आदि कई देशों में हैं.


आरोप है कि इस कंपनी ने बैंक ऑफ समेत 14 सरकारी बैंकों से संयुक्त रूप से करीब 4061.95 करोड़ रुपये की क्रेडिट सुविधा हासिल की थी. कंपनी ने अपने व्यवसाय से अलग बाहरी पक्षों को असुरक्षित ऋण बांटे और अग्रिम भुगतान देकर बैंकों के फंड को कथित तौर पर डायवर्ट कर दिया. कंपनी के बिक्री और खरीद की कीमतों में भिन्नताएं पाई गई हैं और कुछ गैर मर्चेंट ट्रेडिंग पार्टियों को भी भुगतान किया गया है जो कहीं पर भी मौजूद नहीं हैं.

आयात-निर्यात में लोडिंग-डिस्चार्ज की तारीखें भी बेमेल
आरोप है कि कंपनी के व्यापार संबंधी लेनदेन में काफी झोल पाया गया है. कंपनी की तरफ से जो आयात-निर्यात किया जाता है, उसकी लोडिंग और डिस्चार्ज के बीच की तारीखें भी बेमेल हैं. बंदरगाह पर लोडिंग के बाद जहाज के रवाना होने, सामान के उतारे जाने और बिल की तारीख में भी अंतर पाया गया है.


बैंक का आरोप है कि इन तथ्यों को देखते हुए कहा जा सकता है कि कंपनी ने जो व्यावसायिक लेनदेन किया है, वह वास्तव में किसी आयात निर्यात या ट्रेड के बदले नहीं किया गया है. यह भी आरोप है कि इस निजी कंपनी ने देनदारों की सूची प्रस्तुत की थी. 12 महीने से अधिक समय तक बकाया रहने के बाद भी इन देनदारों के खिलाफ बकाया वसूली के लिए कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई.

कंपनी की अनियमितताओं के कारण हुआ करोड़ों का नुकसान
इस कंपनी के नाम बैंक ऑफ इंडिया और अन्य ऋण देने वाले बैंकों की ओर से जो फॉरेन क्रेडिट लेटर जारी किए गए थे, उनके बदले भुगतान की अवधि जनवरी 2018 से शुरू हो गई. लेकिन कथित तौर पर इस कंपनी ने भुगतान नहीं किया और बैंक के फंड को डायवर्ट किया. कंपनी की अनियमितताओं के चलते इन 14 बैंकों को 3592.48 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

इस संबंध में सीबीआई ने कंपनी के दफ्तर समेत कंपनी के डायरेक्टर्स, गारंटर्स आदि से जुड़े 13 ठिकानों पर छापेमारी की है. मुंबई में तीन, दिल्ली में 4 और कानपुर में छह जगहों पर छापा मारा गया. इस सबंध में सीबीआई की जांच अभी जारी है.

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