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गाजीपुर: पीएचसी पर फैली गंदगी के बीच कोरोना से लड़ने की तैयारी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर फैली गंदगी के बीच स्वास्थ्य महकमा महामारी का रूप ले चुके कोरोना वायरस से लड़ने का दंभ भरता है, जबकि बायोमेडिकल कचरा तक का निस्तारण सही ढंग से नहीं हो पा रहा है। यही नहीं सर्दी, खांसी व बुखार जैसे पीड़ित मरीजों का उपचार भी लैब सहायक व फार्मासिस्ट के ही भरोसे है। ऐसे में मरीजों को नीम-हकीम का सहारा लेना पड़ रहा है, जो उनके लिए जानलेवा साबित हो सकती है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि सर्दी, खांसी व बुखार तक की दवा उपलब्ध नहीं है। यह हाल उतरांव गांव के पीएचसी का है।


बाराचवर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीन उतरांव गांव में स्थापित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति इतनी खराब है, कि परिसर में जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा हुआ है। प्रसव कक्ष के बाहर प्रयोग किया गया इंजेक्शन का ढेर लगा हुआ है। पांच बेड के इस अस्पताल के वार्ड में साफ-सफाई का ऐसा अभाव बना हुआ है कि यहां भर्ती होकर उपचार कराने वाले मरीजों को संक्रामक बीमारी से भी जूझना पड़ सके। यहां तक की चाहरदीवारी टूटने के चलते पूरे परिसर में हमेशा बेसहारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है। इसके अलावा करीब छह माह से चिकित्सक के खाली पड़े पद पर आज तक तैनाती ही नहीं हो सकी। ऐसे में लैब सहायक व फार्मासिस्ट ही मरीजों का किसी तरह उपचार करते हैं, जो कभी भी जानलेवा हो सकता है।
नोनहरा क्षेत्र बरतर में स्वाथ्य केंद्र से अभी तक कोरोना वायरस से बचने के लिए कुछ भी उपाय नही किया गया है। जिसमे मास्क सैनिटाइजर की व्यवस्था उपलब्ध नही है।  जिसमे  बरतर केंद्र पर हर रोज 60 से 70 मरीज दवा लेने आते है एवं 10 या 15 गांव के अंतगर्त हॉस्पिटल है। लेकिन आज तक कोरोना वायरस से बचने के लिए जैसे मास्क और सैनेटाइजर की व्यवस्था नही हो पाई है

केंद्र पर उपलब्ध नहीं है मास्क
उतरांव गांव स्थित पीएचसी पर तैनात स्वास्थ्य कर्मी बिना मास्क के ही मरीजों का उपचार करते हैं. जबकि विभागीय अधिकारी प्रत्येक केंद्रों पर पर्याप्त मात्रा में मास्क उपलब्ध कराने का दावा कर रहे हैं, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ अलग ही है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र के लोग रोजना केंद्र पर जाकर मास्क व हैंडवास जैसे संसाधनों को उपलब्ध कराने की मांग करते हैं, लेकिन वहां तैनात कर्मियों द्वारा खुद बाजार से खरीदने का हवाला देकर घर वापस भेज देते हैं।


विदेश से आए लोगों को नहीं उपलब्ध कराई जा रही दवा
जिला अस्पताल में स्थिति तो यह है कि विदेश से आए लोगों को सामान्य सर्दी, खांसी व बुखार की शिकायत मिलने पर दवा बाहर की ही लिखी जा रही है। जखनियां के एक गांव में दुबई से आए युवक को सर्दी, खांसी व बुखार की शिकायत थी। जिन्हें परिजन उपचार के लिए जिला अस्पताल लेकर आए। जहां डाक्टरों की टीम ने जांच के बाद ओपीडी पर्ची पर पांच दिन की बाहर की दवा लिखकर घर भेज दिया गया, जबकि अस्पताल प्रशासन ऐसे मरीजों को मुफ्त दवा उपलब्ध कराने का दवा कर रही है।


 
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