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इलाहाबाद हाई कोर्ट का निर्देश-वकीलों व पंजीकृत मुंशियों को दी जाए आर्थिक मदद

गाजीपुर न्यूज़ टीम, प्रयागराज. कोरोना महामारी के कारण लागू लॉकडाउन में जरूरतमंद वकीलों और पंजीकृत अधिवक्ता लिपिकों की मदद के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है। हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश अधिवक्ता कल्याण कोष अधिनियम 1974 के अंतर्गत गठित ट्रस्टी कमेटी, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, यूपी बार काउंसिल, हाई कोर्ट बार एसोसिएशन व अवध बार एसोसिएशन को योजना तैयार करके आर्थिक सहायता देने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है।

हाई कोर्ट ने ट्रस्टी कमेटी को तत्काल बैठक कर जरूरतमंदों की सहायता के लिए कार्य योजना तैयार करने व प्रदेश के सभी बार एसोसिएशनों के मार्फत फंड देकर आर्थिक सहायता देने की योजना लागू करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने ट्रस्टी कमेटी को अधिवक्ताओं की विधवाओं, आश्रितों की विचाराधीन 300 अर्जियों को एक माह के भीतर निर्णीत करने का भी निर्देश दिया है। इसमें मृतक अधिवक्ता आश्रित को पांच लाख रुपये दिया जाता है। कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को आदेश दिया है कि वह 27 अप्रैल तक उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को फंड उपलब्ध कराएं।

हाई कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया से कहा है कि वह यूपी बार काउंसिल को कार्य योजना तैयार कर बार एसोसिएशन के मार्फत जरूरतमंद अधिवक्ताओं को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए। बार काउंसिल सभी बार एसोसिएशनों को अकाउंट मेंटेन करने का भी निर्देश दे। इसे एक हफ्ते के भीतर अमल में लाया जाए।

हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी का गठन न होने के कारण कोर्ट ने एक मानीटरिंग कमेटी बना दी है। कोर्ट ने मानीटरिंग कमेटी को बार एसोसिएशन के खातों के संचालन का अधिकार दिया है। कोर्ट ने कहा कि उनके पास तत्काल मदद के लिए धनराशि है। कमेटी 25 अप्रैल से योजना तैयार कर जरूरतमंद वकीलों को मदद शुरू करें। कोर्ट ने निबंधक शिष्टाचार आशीष श्रीवास्तव को कहा है कि वह कमेटी के सदस्यों को परिसर में आने की अनुमति प्रदान करें।

महानिबंधक को आदेश दिया है वह हाई कोर्ट रूल्स के तहत मुंशियों के पंजीकरण की प्रक्रिया यथाशीघ्र शुरू करें। राज्य सरकार से कहा है कि प्रदेश के सभी जिला अदालतों सहित हाई कोर्ट में कार्यरत मुंशियों के लिए एक कानून बनाने पर विचार करें। याचिका पर अगली सुनवाई पांच मई को होगी। जनहित याचिका की सुनवाई दिल्ली, लखनऊ, प्रयागराज सहित सात जगहों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये की गई।
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