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कोरोना लॉकडाउन ने बढ़ाई बेजुबानों की परेशानी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर कोरोना के कहर के चलते जारी लॉकडाउन से आम जन की ही नहीं पशुओं की भी परेशानी बढ़ गई है। जानकारी के बाद भी किसी स्तर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सुहवल संवाददाता के अनुसार, ब्लाक अंतर्गत दो अस्थाई पशु आश्रय केंद्र रेवतीपुर एवं पटकनिया की स्थिति काफी दयनीय है। शासन की तरफ से संबंधित अधिकारियों के खाते में 30 रुपये प्रति पशु के हिसाब से करीब 50 हजार रुपये भेजे गये थे। रेवतीपुर स्थित पशु आश्रय केंद्र में वर्तमान में 34 पशु शेष बचे हैं जबकि पटकनिया में वर्तमान समय में 20 पशु ही शेष हैं। दोनों जगहों पर दर्जनों सफाईकर्मियों की ड्यूटी पशुओं की देखभाल के लिए लगाई गई है। बावजूद इसके, स्थिति जस की तस है।

लॉकडाउन के दौरान सैदपुर स्थित पशु आश्रय केंद्रों पर पशुओं के रखरखाव का जिम्मेदारी से निर्वहन न होने से यहां पशुओं के दम तोड़ने की स्थित बनी है। अभी गर्मी का शुरुआती दौर है। कहीं टिनशेड तो कहीं प्लास्टिक के बने तिरपाल के नीचे बैठने को बेजुबान मजबूर हैं। सैदपुर नगर पंचायत क्षेत्र अंतर्गत रामतवक्का जौहरगंज स्थित पशु आश्रय केंद्र पर 91 एवं ब्लॉक सैदपुर के मिर्जापुर ग्राम पंचायत स्थित पशु आश्रय केंद्र पर 70 पशु पंजीकृत हैं। इनके लिए भूसा आदि की व्यवस्था है लेकिन सूखे भूसे और पानी से पशुओं को स्वस्थ रख पाना मुश्किल है। सैदपुर नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी संतोष दूबे ने बताया की शासन से प्रति पशु के लिए मात्र 30 रुपये की धनराशि मिलती है। ऐसे में इतनी कम धनराशि में पशुओं को बेहतर व्यवस्था दे पाना कठिन है। पशुओं की देखरेख करने वाले नियुक्त व्यक्ति को 7500 रुपये दिए जाते हैं।

दुबिहा क्षेत्र के करीमुद्दीनपुर में बने गो-आश्रय केंद्र पर इस समय 308 पशु रह रहे हैं जिनके खाने पीने की व्यवस्था इस समय ठीक है। केंद्र पर पशुओं की देखभाल करने के लिए एक संस्था काम करती है तथा ब्लॉक स्तर से सफाई कर्मियों की तैनाती की गई है। इसका निर्माण पैक्सफेड ने कराया था। एक हेक्टेयर में बने आश्रय केंद्र के निर्माण में लगभग एक करोड़ 20 लाख की लागत आई थी। चिकित्सा अधिकारी संतोष गिरी ने बताया कि पशुओं को खिलाने के लिए हरे चारे की व्यवस्था है। चोकर, चूनी तथा मिनरल मिक्सचर पाउडर की भी व्यवस्था है।
जखनिया ब्लाक के जलालाबाद, करुई, बेलहरा, चौजा गांव में गो आश्रय स्थल बना है। चारो आश्रय स्थल में लगभग 235 मवेशी हैं। सभी मवेशियों को चारे के साथ चोकर मिलाकर दिया जाता है। खंड विकास अधिकारी संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि चारों मवेशी स्थल पर रोजाना निरीक्षण करने के साथ ही देखरेख में लगे लोगों को समय से भुगतान एवं मवेशी के चारे, पानी का प्रबंध किया जाता है। चौजा गांव में नए आश्रय स्थल का निर्माण कराया जाएगा।

भीमापार: जनता कर्फ्यू के दौरान चारा और भूसे की खरीदारी सही समय से नहीं हो सकी जिस कारण यहां मवेशियों को भी आधा पेट गुजारा करना पड़ गया। मौधा गांव स्थित गोशाला की देखरेख में लगे भोला यादव ने बताया कि उनके यहां मौजूद लगभग सौ मवेशियों को प्रतिदिन लगभग बीस मन भूसा खिलाना पड़ता रहा है। लॉकडाउन के दौरान भूसा खत्म हो जाने से पशुओं के सामने भुखमरी की नौबत आ गई। गाय के पालन के लिए क्षेत्र में कई लोगों से सहायता मांगी गई लेकिन कोई सामने नहीं आया। मौधा गांव के पूर्व प्रधान लल्ला सिंह ने बताया कि पूर्व सांसद ने भी इस पशु आश्रय स्थल के लिए सीएम को पत्र लिखा लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई।
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