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लॉकडाउन के दौरान शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन काटा तो समाप्त हो जायेगी प्राइवेट स्कू्लों की मान्यता

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी। लॉकडाउन में बंदी के बाद कुछ स्कूलों ने शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन रोक दिया है। जबकि शुल्क की वसूली नहीं होने का हवाला देते हुए कुछ विद्यालयों ने स्टॉफ को मार्च का वेतन 30 से 50 फीसद काटकर भुगतान किया है। इसे लेकर शिक्षकों व कर्मचारियों में रोष है। उन्होंने इसकी शिकायत जिला प्रशासन और शिक्षाधिकारियों से की है। बीएसए राकेश सिंह ने इसे गंभीरता से लेते हुए शिक्षकों-कर्मचारियोंको वेतन न देने वाले विद्यालयों को मान्यता समाप्त करने की चेतावनी दी है। साथ ही इस संबंध में सभी विद्यालयों को नोटिस भी जारी किया है। वेतन काटने-रोकने की ज्यादातर शिकायत जूनियर हाईस्कूल स्तर के विद्यालयों की आ रही है। 

इनके शिक्षकों व कर्मचारियों का कहना है कि वेतन के रूप में पांच से दस हजार प्रतिमाह मिलता है। इसी पैसे में परिवार का भरण-पोषण करना होता है। ऐसे में बचत के नाम पर एक भी पैसा नहीं हैं। अध्यापक होने के कारण हम लोगों को कोई सरकारी सहायता भी नहीं मिलती और न मिलने की उम्मीद है। ऐसे में यदि वेतन रोक या काट कर भुगतान किया जाता है तो दो वक्त की रोटी जुटाना भारी पड़ेगा। नाम उजागर होने पर उन्हें नौकरी जाने का भी भय सता रहा है। बहरहाल, बीएसए राकेश सिंह ने इसे गंभीरता से लिया है। ऐसे विद्यालयों की वह जांच करा रहे हैं। उन्होंने बुधवार को सभी विद्यालयों को नोटिस भी दी है। इसमें विद्यालयों से कार्यरत समस्त शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक स्टाफ का वेतन, मानदेय व अन्य देय जो भी शेष है उसे तत्काल संबंधित के खाते में स्थानांतरित करने निर्देश दिया है। 

शिकायत मिलने पर संबंधित विद्यालय की मान्यता प्रत्याहरण की चेतावनी दी है। उधर डीआइओएस डा. वीपी सिंह भी ऐसा आदेश निजी स्कूलों को दे चुके हैं। उन्होंने सीबीएसई, सीआइएससीई के संचालित विद्यालयों से अप्रैल, मई व जून का शुल्क लेने के लिए अभिभावकों पर दबाव न बनाने का निर्देश दिया है। वह एक-एक माह का शुल्क जमा करने के लिए अभिभावकों से अनुरोध कर सकते हैं। जो सक्षम हैं वह शुल्क जमा कर सकते हैं। जो शुल्क जमा करने की स्थिति में नहीं हैं वह न जमा करें। शुल्क के अभाव में किसी बच्चे का नाम स्कूल से नहीं कटेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शासन ने स्कूलों से तीन माह की फीस माफ करने के लिए नहीं कहा है। ऐसे में अभिभावकों को तीन माह का शुल्क बाद में देना होगा। हालांकि उन्हें एकमुश्त के बदले किश्तों में शुल्क जमा करने की सुविधा होगी। इसमें विलंब शुल्क नहीं लगेगा। इसके बावजूद कुछ विद्यालय निर्धारित तिथि के बाद शुल्क जमा करने पर अर्थदंड लगाने की चेतावनी दे रहे हैं।
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