Today Breaking News

उत्तर प्रदेश में जुलाई से 92 फीसद रेल मार्ग पर नहीं दौड़ेंगे डीजल इंजन ट्रेनें

गाजीपुर न्यूज़ टीम, मुरादाबाद. रेलवे देश भर में डीजल पर 25 हजार करोड़ रुपये खर्च करता है, जिसे कम करने के लिए देश के सभी 70 रेल मंडलों में विद्युतीकरण का काम तेजी पर है। इस पहल में उत्तर प्रदेश के सभी आठ रेल मंडलों का भरपूर साथ मिला है। इन मंडलों की अधिकतम पटरियों पर इलेक्ट्रिक इंजन दौड़ाने का काम अंतिम चरण में है। जुलाई से उत्तर प्रदेश के अंतर्गत 92 फीसद रेल मार्गों पर इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेन संचालन की तैयारी है, जबकि दिसंबर से केवल इलेक्ट्रिक इंजन ही दौड़ेंगे। उन कनेक्टिंग ट्रेनों में भले डीजल इंजन लगा होगा जिनको राज्य के बाहर विद्युतीकृत पटरी की सुविधा नहीं होगी।

लखनऊ रेल मंडल में 80 फीसद मार्गों पर इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेनें चलाई जा रही हैं। 20 फीसद रूट पर विद्युतीकरण का काम चल रहा है। लखनऊ-रायबरेली होकर प्रयागराज और अयोध्या होकर वाराणसी तक रेल विद्युतीकरण स्वीकृत है। वही ऐशबाग से सीतापुर वह पहला मार्ग होगा, जिस पर लॉकडाउन के बाद इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेनें दौड़ेंगी। गोंडा से सुहागपुर 12 किलोमीटर इलेक्ट्रिक रूट पर काम चल रहा है। अन्य मंडलों में ब्रांच लाइन को छोड़ दें तो मुख्य मार्गों पर इलेक्ट्रिक इंजन से ही ट्रेनें दौड़ रही हैं।



रेलवे बोर्ड ने जून तक विद्युतीकरण के अधूरे कार्य को पूरा करने का लक्ष्य दिया है। इस समय एक और नई पहल हुई है। लॉकडाउन में सवारी गाड़ी बंद होने के कारण मालगाड़ी को उन पटरियों के माध्यम से रूट बदल कर चलाया जा रहा है, जहां विद्युतीकरण हो चुका है। इसका लाभ यह मिला है कि अकेले मुरादाबाद रेल मंडल में सौ की संख्या में डीजल इंजन यूं ही खड़े हैं।

उत्तर प्रदेश में 80 फीसद रेल मार्ग विद्युतीकृत हो चुका है। जुलाई से 92 फीसद रेल मार्ग पर इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेन संचालन शुरू हो जाएगा। लॉकडाउन के कारण सीआरएस का निरीक्षण अभी बाकी है। दिसंबर तक उत्तर प्रदेश में सभी रेल मार्ग के विद्युतीकरण का लक्ष्य है।-अजय कुमार सिंघल, प्रमुख मुख्य विद्युत अभियंता (उत्तर मध्य), रेलवे बोर्ड

'