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घर आने की खुशी से भारी है फिर परदेस जाने का गम

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर गुरु जी ने बताया था, जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी...यानी, माता और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊपर है। तब बात पल्ले नहीं पड़ती थी। लेकिन कोरोना ने संस्कृत के इस श्लोक और जीवन के फलसफा को ठीक से समझा दिया है। जब मकान मालिक ने पीछा छुड़ा लिया, कंपनी ने मुंह मोड़ लिया तो घर की याद सताने लगी। शायद लाखों मजदूरों की पुकार सरकार तक पहुंची और आज हम अपनी माटी पर खड़े हैं। लेकिन सवाल यह है कि आखिर कब तक इस माटी पर खड़े रह पाएंगे। कहीं जगह भी तो नहीं है। फिर एक दिन तो परदेसी होना ही पड़ेगा। आज आने की खुशी है, कल फिर जाने का गम होगा।

यह यक्ष प्रश्न सिर्फ राम आशीष के नहीं हैं। रोजाना हजारों की संख्या में श्रमिक एक्सप्रेस से उतरने वाले उन बेरोजगारों के हैं, जो यहां आने के बाद अपनी रोजी-रोटी को लेकर चिंतित हैं। कोई स्नातक है तो कोई परास्नातक। कुछ हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई कर रोजगार की तलाश में परदेस पहुंच गए हैं तो कुछ तकनीकी शिक्षा लेने के बाद भी धक्के खा रहे हैं। सूरत के साड़ी मिल में काम करने वाले राम आशीष के साथी जितेंद्र कुमार ने कहा कि स्थिति सामान्य होने पर कंपनी के बुलाने पर हम फिर चले जाएंगे। आखिर, यहां हम क्या करेंगे? पर्याप्त खेती योग्य भूमि भी तो नहीं है। घर से जाना अच्छा नहीं लगता लेकिन मजबूरी है।


थोड़ी दूर पर खड़े देवरिया भिंगारी के मनोहर ने कहा कि मैंने संकल्प ले लिया है कि अब वापस नहीं जाउंगा। कंपनी के मालिक ने सड़क पर छोड़ दिया। किसी तरह टिकट का पैसा जुटाया तो उसमें भी लोगों ने बट््टा काट लिया। लेकिन समस्या यह है कि यहां कब तक और कितने दिन खाएंगे। अपना खून-पसीना कहां बहाएंगे। सरकार को इसपर भी सोचना होगा।

कार्यालय खुले तो नौकरी पर जाने की तैयारी में जुटे लोग
लॉकडाउन के तीसरे चरण में धीरे-धीरे कई क्षेत्रों में छूट मिलने लगी है। निजी कंपनियों के कार्यालय में भी 33 फीसद कर्मचारियों के साथ काम करने की अनुमति दी गई है। ऐसे में लॉकडाउन से पहले गोरखपुर आ चुके कई लोग वापस नौकरी पर जाने की तैयारी में जुट गए हैं। ऐसे ही करीब 500 लोगों ने अनुमति पाने के लिए अभी तक जिला प्रशासन में आवेदन कर दिया है। इनमें से कई को अनुमति मिल भी गई है।

लॉकडाउन के समय कई कंपनियों के कर्मचारी घर से ही काम कर रहे थे। 20 अप्रैल से धीरे-धीरे सरकारी कार्यालय खुलने लगे हैं। इसी प्रकार चार मई से कुछ निजी कार्यालयों में भी काम शुरू हो गया है। पिछले कुछ दिनों से काम पर वापस जाने वाले लोगों की ओर से आवेदन किए जा रहे हैं। लोग ऑनलाइन आवेदन कर अनुमति मांग रहे हैं। जिला प्रशासन पूरी जांच करने के बाद ही अनुमति दे रहा है। कार्यालय से बुलाए जाने का सबूत भी मांगा जा रहा है।


बाहर जाने के बाद वापस आने की नहीं होगी अनुमति
लोगों को इस शर्त पर पास जारी किए जा रहे हैं कि गोरखपुर से बाहर जाने के बाद वे वापस नहीं आएंगे। बाहर रहकर ही अपना काम करेंगे।

केस एक : विपिन नोएडा के एक अस्पताल में फिजियोथेरेपिस्ट हैं। जनता कफ्र्यू से पहले ही वह आए थे। लॉकडाउन लागू हो जाने के कारण वापस नहीं जा सके। हाल ही में उन्होंने आवेदन कर जिला प्रशासन से पास प्राप्त किया और निजी साधन से कार्यस्थल गए।

केस दो : शाहपुर निवासी नितेश नोएडा के एक बैंक में कार्यरत हैं। लॉकडाउन से पहले ही घर आए थे। कार्यालय से बुलावा आने के बाद उन्होंने आवेदन कर पास बनवाया और चार दिन पहले कार्यस्थल के लिए रवाना हो गए।

केस तीन : विपिन मणि दिल्ली की एक फैक्ट्री में काम करते थे। लॉकडाउन से पहले ही किसी कार्यक्रम में शामिल होने गोरखपुर आ गए। अब वह वापस जाना चाहते हैं। आवेदन किया है, लेकिन अभी अनुमति नहीं मिल सकी है।

जिले से बाहर जाने के लिए बड़ी संख्या में आवेदन आ रहे हैं। इसी में नौकरी पर जाने वालों के भी आवेदन हैं। पूरी तरह से जांच करने के बाद ही पास जारी किया जा रहा है। - राजेश सिंह, एडीएम वित्त

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