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किराया देकर स्पेशल ट्रेनों से पहुंचे प्रवासी श्रमिक, स्लीपर व सुपर फास्ट का अतिरिक्त चार्ज वसूला

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ, लॉकडाउन में स्पेशल ट्रेनों के टिकट का मूल्य चुका कर विभिन्न प्रांतों में फंसे प्रवासी श्रमिक सोमवार को अपने गंतव्य तक पहुंचे। कुछ के पास तो किराये के पैसे तक नहीं थे। इस पर चंदा एकत्र कर उनका टिकट खरीदा गया। लखनऊ के लिए स्लीपर का किराया और सुपरफास्ट का अतिरिक्त चार्ज वसूला गया। नागपुर से प्रवासी श्रमिकों के लिए दो स्पेशल ट्रेनें चली, जिसमें सवार 2128 यात्री सोमवार सुबह लखनऊ पहुंचे। वहीं, मुंबई से 2127 प्रवासियों को लेकर दो श्रमिक स्पेशल ट्रेनें गोरखपुर पहुंची, जबकि संगमनगरी से बिहार व छत्तीसगढ़ के कामगारों को लेकर शीघ्र ही ट्रेन जाएगी।

रविवार सुबह नासिक से श्रमिक स्पेशल ट्रेन लखनऊ आई थी। सोमवार सुबह आठ बजे नागपुर से पहली ट्रेन लखनऊ आई। शाम करीब छह बजे दूसरी स्पेशल ट्रेन से 1164 श्रमिक लखनऊ पहुंचे। श्रमिक स्पेशल ट्रेन के यात्रियों को दो तरह के टिकट दिए गए। दो जनरल बोगियों के यात्रियों से सुपरफास्ट क्लास का जनरल का किराया जबकि स्लीपर की 17 बोगियों के यात्रियों से स्लीपर सुपरफास्ट का अतिरिक्त किराया लिया गया।

वहीं, मुंबई से 2127 प्रवासियों को लेकर दो श्रमिक स्पेशल ट्रेनें गोरखपुर पहुंचीं। भिवंडी से चली 24 कोच की विशेष ट्रेन रविवार की रात 1.21 बजे पहुंची, जिसमें 1145 लोग सवार थे। वसई रोड से चली 22 कोच की दूसरी विशेष ट्रेन सोमवार को सुबह 5.30 बजे पहुंची, जिसमें 982 लोग सवार थे। प्रवासी रेलवे को पूरा किराया देकर गोरखपुर पहुंचे हैं। प्रत्येक टिकट पर 740 रुपये वसूला गया।प्रवासियों को कानपुर में रेलवे ने भोजन कराया। वहीं, रोडवेज के क्षेत्रीय प्रबंधक डीवी सिंह के अनुसार किसी भी प्रवासी से बस का किराया नहीं लिया गया है।

उधर, संगमनगरी प्रयागराज से बिहार व छत्तीसगढ़ के कामगारों को लेकर शीघ्र ही ट्रेन जाएगी। डीएम और एसएसपी ने डीआरएम से इसके लिए वार्ता की है। यहां फंसे कामगारों, छात्रों और अन्य लोगों की सूची भी तैयार होने लगी है।

चंदा एकत्र कर खरीदा टिकट
लॉकडाउन में फंसे प्रवासी श्रमिकों का कहना है कि उनसे स्लीपर का किराया और 20 रुपये अतिरिक्त चार्ज लिया गया। दरअसल, रेलवे अनारक्षित टिकट पर किराया प्रिंट कर उसको राज्य सरकार को दे रहा है। राज्य सरकारें श्रमिकों से ये किराया वसूल रही हैं। नासिक से शनिवार रवाना हुई स्पेशल ट्रेन के कुछ श्रमिकों के पास किराया भी नहीं था। कुछ नगर पालिका तहसील कर्मियों ने चंदा एकत्र कर उनका टिकट खरीदा था।
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