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थल से नभ तक चीन को जवाब देने के लिए मध्य कमान पूरी तरह तैयार

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ, चीन की हरकतों का थल से नभ तक जवाब देने के लिए आर्मी व वायुसेना की मध्य कमान पूरी तरह तैयार है। थल व वायुसेना के मध्य कमान के शीर्ष अधिकारियों ने कुछ दिन पहले ही चीन के साथ मौजूदा तनावपूर्ण स्थिति को लेकर अपनी ऑपरेशनल तैयारियों पर मंथन किया है। शीर्ष अधिकारियों की मानें तो चीन की हर चाल पर दोनों ही सेनाओं के मध्य कमान की पैनी नजर है। दरअसल, मध्य वायु कमान ने जहां यमुना एक्सप्रेस-वे के बाद आगरा एक्सप्रेस-वे पर एशिया की सबसे बड़ी टच लैंडिंग कर अपनी क्षमता दुनिया को दिखा दी है। वहीं, उसने चीन के साथ पाकिस्तान से मोर्चा लेने के लिए बीकेटी वायुसेना स्टेशन को अपग्रेड कर दिया है। जहां अब बड़े लड़ाकू विमान और मालवाहक जहाज भी उतर सकते हैं।

एयर रिफ्यूलिंग के कारण अब लखनऊ बीकेटी वायुसेना स्टेशन का इस्तेमाल भी चीन के खिलाफ किया जा सकता है। मध्य वायु कमान ने मेमौरा वायुसेना स्टेशन को इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (आइएसीसीसी) से लैस कर दिया गया है। मल्टी ऑपरेशन करने वाले इस उपकरण से मेमौरा देश के सभी वायुसेना स्टेशन से जुड़ गया है। जो यह तय कर सकेगा कि दुश्मन के खिलाफ कौन से एयरबेस से लड़ाकू विमान भेजे जाएंगे। आसमान में ड्रोन तक को मार गिराने के लिए आइएसीसीसी अहम भूमिका निभाएगा।

बीकेटी वायुसेना स्टेशन को मिग 21 की जगह स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तैनात करने की डिमांड एचएएल को भेजी गई है। मध्य वायु कमान के आगरा, बरेली, गोरखपुर, ग्वालियर व बमरौली बड़े एयरबेस हैं, जबकि लखनऊ के बीकेटी व मेमौरा के अलावा बिहता, दरभंगा, नागपुर, नैनीताल व वाराणसी में भी इसकी यूनिट हैं। इनके बेड़े में सुखोई एसयू-30, जगुआर, मिग-21 व मिराज-2000 लड़ाकू विमानों के अलावा एएन-32 व एचएएल के धु्रव और एमआइ-17 हेलीकॉप्टर हैैं। यह कमांड उत्तराखंड से सटी चीन की सीमा से लेकर उत्तर मध्य भारत में मजबूती प्रदान करता है। वहीं, एक मई 1963 को अस्तित्व में आए लखनऊ स्थित मध्य कमान के पास इंफेंट्री जवानों को बेहतर ट्रेनिंग और पश्चिमी छोर पर सेना को मजबूती प्रदान करने का जिम्मा है।

मध्य कमान में 16 रेजीमेंटल सेंटर के अलावा कई महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक व ट्रेनिंग एरिया आते हैं। चीन से निपटने के लिए उसकी माउंटेन डिवीजन भी सक्षम है। चीन को मूंहतोड़ जवाब देने के लिए ही थलसेना और वायुसेना की सेंट्रल कमांड को मिलाकर थिएटर कमांड बनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैैं। थिएटर कमांड में वायुसेना की स्क्वाड्रन और थल सेना की कई रेजीमेंट का विलय कर ऑपरेशनल क्षमता बढ़ायी जाएगी। इस पर स्टडी एक साल में पूरी होगी। 
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