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वाराणसी की बेटी ने बनाई 101 देशों की 'रंगोली', शांति का संदेश देकर बनाया वर्ल्ड रिकार्ड

रोशनी बताती हैं कि रंगोली में सबसे बड़ी बात यह है बड़ी मेहनत से बनाया गया एक रंगोली को थोड़ी देर में मिटा दिया जाता है.और इसमें एक ऐसा जीवन संदेश भी जुड़ा रहता है.
गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. पूरा देश कोरोना के खात्मे की लड़ाई में जुटा हुआ है. आम हो या खास, सभी लोग अपने-अपने तरीके से इस जंग में जिम्मेदारी निभा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM (Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र वाराणसी (Varanasi) में अलग-अलग तस्वीर देखने को मिल रही हैं.  लॉकडाउन के बीच बनारस की एक बेटी ने 101 देशों के झंडो वाली रंगोली बनाकर उसी देश की भाषा में शांति का संदेश देकर वर्ल्ड रिकार्ड बनाया है. काशी से पूरी दुनिया को इस मुश्किल वक्त में शांति का संदेश वाली इस बिटिया ने साबित कर दिया कि किसी भी काल और परिस्थिति में इंसान अपनी प्रतिभा को साबित कर सकता है.

बनारस के विश्वनाथ गली में रहने वाली रोशनी यादव काशी विद्यापीठ से ललित कला में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही है, जिन्होंने विश्वभर के करीब 101 देशों के झंडों का रंगोली बनाने के साथ साथ उस देश में बोले जाने वाली भाषा में “शान्ति” शब्द भी रंगोली में ही लिखकर वर्ल्ड रिकार्ड इंडिया में अपना नाम दर्ज कराया है. रोशनी को रंगों से चित्र बनाने से ज्यादा, भारत के लोक कला रंगोली बनाने में ज्यादा रुचि है. पहले भी रोशनी बनारस और अन्य शहरों में 500 से ज्यादा रंगोलियां बना चुकी हैं. रोशनी कहती हैं कि लॉकडाउन के दौर में काशी के चार बार के गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्डधारी डॉ जगदीश पिल्लई  का 56 लोगों से 11551 लोका: समस्ता: सुखिनो भवन्तु लिखवाकर गाने के साथ विडियो का विमोचन किया गया था. जिसमें मुझे भी शामिल होने का मौका मिला.

'रंगोली' सिखाती है त्याग की भावना
रोशनी को चित्र बनाने से अधिक रंगोली बनाने में रूचि है. रोशनी बताती हैं कि रंगोली में सबसे बड़ी बात यह है बड़ी मेहनत से बनाया गया एक रंगोली को थोड़ी देर में मिटा दिया जाता है. रोशनी बताती हैं कि रंगोली में सबसे बड़ी बात यह है बड़ी मेहनत से बनाया गया एक रंगोली को थोड़ी देर में मिटा दिया जाता है.और इसमें एक ऐसा जीवन संदेश भी जुड़ा रहता है कि जीवन कितना भी रंगीन दिखे एक दिन त्यागना और मिट्टी में मिलना ही पड़ता है. रोशनी बताती हैं कि हर देशों का झंडा तो अलग अलग साइज का है मगर ज्यादातर झंडे एक ही साइज के हैं. इसलिए ज्यादातर रंगोली भी 12"x9" साइज़ की हैं. इसके जरिए दुनिया के बारे में इतनी जानकारी भी मुझे हासिल हुई.

इसको बनाने में करीब 10 किलो रोली और मार्बल का चूरा लगा. कई साल से लगातार रंगोली बनाने के अपने अनुभव को लॉकडाउन के दौरान एक वर्ल्ड रिकॉर्ड में बदलकर अपनी काशी का नाम विश्व पटल पर लाना मेरे लिए गौरव की बात है. बेटी की इस उपलब्धि पर रोशनी के परिवार एवं रिश्तेदारों में जश्न का माहौल है. 101 असली झंडों के इमेज के साथ रंगोली में बनी झंडा और रंगोली बनाते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया है. रोशनी का मकसद है कि रंगोली जैसी लोककला को नई पीढ़ी के बच्चों के बीच ले जाना.
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