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निजामुद्दीन मरकज मस्जिद के तब्लीगी जमात में शामिल 11 बांग्लादेशी भदोही जिला जेल में शिफ्ट

गाजीपुर न्यूज़ टीम, भदोही। दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज मस्जिद के तब्लीगी जमात में शामिल हुए बांग्लादेशी 11 जमातियों को जिला जेल में शिफ्ट किया जबकि भारतीय तीन जमातियों को जमानत मिल गई है। बांग्लादेशी जमातियों के मामले में सुनवाई शुरू हो गई है। अभी तक उन्हें कलेक्ट्रेट स्थित सैनिक पुनर्वास केंद्र में बने अस्थायी जेल में रखा गया था। एसपी रामबदन सिंह ने बताया कि उन्हें बीस दिन पहले ही शिफ्ट कर दिया गया था। मामले में ट्रायल भी शुरू हो गया है। 

क्या था पूरा मामला 
दिल्ली स्थित निजामुद्दीन मरकज मस्जिद में तब्लीगी जमात की ओर से आयोजित जमात में बड़ी संख्या में स्वदेश और विदेश के जमाती शामिल हुए थे। विदेश से आने वाले जमातियों के संपर्क में आने से अधिसंख्य लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए। सरकार द्वारा बार-बार अपील करने के बाद भी जमाती अपने को छिपाए रखे। कार्यक्रम में शामिल होकर 11 बांग्लादेशी और तीन असम के लोग काजीपुर स्थित मरकज मस्जिद के पास स्थित एक निजी गेस्ट हाउस में रुके थे लेकिन प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं दी। पुलिस को मामला संज्ञान में आने पर उनके खिलाफ वीजा और लॉकडाउन उल्लंघन के आरोप में मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने उनका बांग्लादेश का वीजा भी जब्त कर लिया। इसके साथ ही जमाती नगर के अन्य मस्जिदों में भी गए थे। उनके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कार्रवाई की गई है।


जौनपुर में 14 बांग्लादेशी जमातियों के स्वदेश प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू
कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन के दौरान गिरफ्तार किए गए 14 बांग्लादेशी जमातियों के स्वदेश प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। शनिवार को जिला कारागार से सभी को जेल प्रशासन ने रिहा कर स्थानीय अभिसूचना इकाई को सौंप दिया। प्रभारी जेल अधीक्षक राज कुमार ने बताया कि मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) के शुक्रवार को दिए गए रिहाई के आदेश के अनुपालन के क्रम में सभी 14 आरोपितों को आवश्यक लिखा-पढ़ी के बाद स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआइयू) को सौंप दिया गया। एलआइयू अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के बाद इन्हें स्वदेश प्रत्यर्पण करने के लिए नई दिल्ली स्थित बांग्लादेशी दूतावास भेजेगा। मालूम हो कि आरोपित जमाती गत 31 मार्च को सरायख्वाजा थाना क्षेत्र के लाल दरवाजा स्थित मुनीर अहमद के मकान से दो गाइड संग गिरफ्तार किए गए थे। आरोपितों ने कोर्ट में पासपोर्ट एक्ट, फॉरेनर्स एक्ट व लॉकडाउन की धाराओं में जुर्म स्वीकार कर लिया था। तब सीजेएम ने जेल में बिताई गई तीन महीने की अवधि को सजा में समायोजित कर दिया। पांच-पांच सौ रुपये जुर्माना अदा करने पर आरोपितों को रिहा करने का आदेश दिया था।


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