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71 मुकदमे दूर 51 साबित कर दें तो देश छोड़ दूंगा: विधायक विजय मिश्र

गाजीपुर न्यूज़ टीम, भदोही। ज्ञानपुर के विधायक विजय मिश्र ने सोमवार को यहां पत्रकारों से कहा कि पूर्व मंत्री राकेशधर त्रिपाठी व रंगनाथ मिश्र व भदोही के विधायक रवींद्र नाथ त्रिपाठी बसपाइयों की गैंग में शामिल लोग हैं। सभी जिला पंचायत में काबिज होना चाहते हैं। चूंकि मेरे जीते जी यह संभव नहीं है, इसलिये मेरी हत्या कराना चाह रहे हैं। पुलिस कह रही है कि मेरे ऊपर 71 मुकदमे हैं, अगर वह 51 साबित कर दें तो मैं देश छोड़ दूंगा। ज्यादातर मुकदमों में मैं बरी हो चुका हूं। पुलिस द्वारा की गई गुंडाएक्ट की कार्रवाई सियासत का हिस्सा है। कहा कि वह अपनी पीड़ा को मुख्यमंत्री के सामने रखेंगे। गृहमंत्री, राज्यपाल व विधानसभा अध्यक्ष से भी न्याय की गुहार लगाएंगे। विरोधियों की साजिश को पूरा नहीं होने दिया जाएगा। विधायक ने कहा कि मैंने किसी से रंगदारी नहीं मांगी है। पुलिस जो ऑडियो सामने लाई है, उसमें कहीं रंगदारी मांगने का जिक्र नहीं है। मुझे केवल फंसाया जा रहा है।

आईये जानते हैं विधायक विजय मिश्र के बारे में...
पूर्वांचल में अपराध जगत से सियासी सफर करने वाले चíचत चेहरों में एक नाम विधायक विजय मिश्र का भी है। भदोही ही नहीं वरन प्रयाग से काशी तक खनन एवं सरकारी ठेके-पट्टे में जबर्दस्त दखल रखने वाले विजय मिश्र का ऐसा आíथक साम्राज्य फैला है कि कानपुर वाले विकास दुबे कुछ नहीं। संगठित अपराध के खिलाफ पुलिस कार्रवाई ढीली पड़ती गई और अपराधी पृष्ठभूमि वाले सत्ता की सीढि़या चढ़ते गए। अपने निजी स्वार्थ में उनके लिए किसी की जान सस्ती है। पूर्व सासद गोरखनाथ पाडेय से लगायत न जाने कितने ब्राह्मण नेता मिश्र के आतंक से पस्त होते गए। विधायक मिश्र कानून के लंबे हाथ के नीचे नहीं आ सके। पहली बार पुलिस की तत्परता से गुंडा एक्ट में फौरी कार्रवाई हो पाई।


राजनीति में क्या मजाल जो टकराए
पहले ब्लाक प्रमुख, फिर विधायक। पत्नी, बेटी भी राजनीति में। भदोही की राजनीति में क्या मजाल जो विजय मिश्र से कोई टकराए। लंबे समय तक सपा की सरपरस्ती में रहने वाले विजय मिश्र अभी निर्दलीय विधायक हैं। सत्ता का संरक्षण पाने को लालायित हो उन्होंने पिछले वर्ष एक कार्यक्रम में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के करीब जाने की कोशिश की। हाथ में महंगे उपहार के साथ वह मंच पर चढे़ ही थे कि सीएम ने हाथ से उपहार झटक दिया। उन्होंने आखें तरेरी और मिश्र बेआबरु हो नीचे उतर आए। भदोही के ज्ञानपुर से वर्ष 2017 में निषाद पार्टी से विधायक चुने जाने के बाद राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में वोट देने पर निषाद पार्टी ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

विहिप पदाधिकारी के अपहरण में भी आया था नाम
वाराणसी के चर्चित कोयला व्यवसायी व विश्व हिदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कोषाध्यक्ष नंद किशोर रुंगटा अपहरणकांड में भी विधायक मुख्तार अंसारी के साथ विधायक विजय मिश्रा का भी नाम पुलिस जांच में सामने आया था। हालांकि वर्ष 1997 में दर्ज इस मामले की सबीआइ जांच में भी विजय मिश्रा पर आंच तक नहीं आई और मुख्तार के साथ वह भी बरी हो गए। कोयला व्यवसायी अब तक न तो जीवित मिले और न ही मृत। इस मामले में दो आरोपित अताउर रहमान व शहाबुद्दीन अब तक फरार हैं।


जज ने भी दर्ज कराया था मुकदमा
भूमि विवाद में बिहार के एक जज ने भी विधायक विजय मिश्रा के खिलाफ भदोही के सुरियावां थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।

क्या है गुंडा एक्ट
मानव तस्करी, गोहत्या, पशु तस्करी, मनी लॉड्रिंग, बंधुआ मजूदरी, बाल मजदूरी, जाली नोट, नकली दवाओं का व्यापार, अवैध हथियार व व्यापार तथा अवैध खनन जैसे अपराध पर गुंडा एक्ट लगाया जाता है। ऐसे अपराधियों की आसानी से जमानत नहीं होती। इस अधिनियम में डीएम को कार्रवाई का अधिकार होता है। इसमें अपराधियों की संपत्तिया भी जब्त होगी। पुलिस 14 दिन के बजाय अधिकतम 60 दिन के लिए बंद कर सकती है। जिला बदर की भी कार्रवाई होती है। अधिकतम तीन वर्ष की सजा का भी प्रावधान है।

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