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श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन के लिए आएगी सप्तपुरियों और चारों धाम की मिट्टी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, अयोध्या। पांच अगस्त को राममंदिर के भूमिपूजन की तारीख तय होने के साथ तैयारियां भी जोर पकडऩे लगी हैं। रामलला के दरबार में नियमित अनुष्ठान कराने वाले आचार्य इंद्रदेव के अनुसार भूमिपूजन के अनुष्ठान को अंतिम रूप दिए जाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। शास्त्रीय परंपरा और इस अवसर की महत्ता के अनुरूप अयोध्या सहित मथुरा, काशी, कांची, उज्जैन, हरिद्वार, द्वारिका जैसे सप्ततीर्थों एवं चारों धाम की मिट्टी के साथ सरयू सहित गंगा, यमुना, नर्मदा आदि देश की पवित्र नदियों का जल लाया जायेगा।

आचार्य का यह भी मानना है कि अलग-अलग धामों एवं तीर्थों में न जाकर नेपाल के प्रख्यात तीर्थ क्षेत्र स्वर्गद्वार की मिट्टी लायी जाय। स्वर्गद्वार के बारे में पौराणिक मान्यता है कि यहां की मिट्टी में सभी धामों और तीर्थों की मिट्टी समाविष्ट है। मोदी के आगमन को लेकर रामनगरी में सरगर्मी शबाब पर है। इस घोषणा पर अमल की दृष्टि से जहां श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय रविवार को ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भेंट कर आये हैं, वहीं सोमवार को प्रदेश भाजपाध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह रामनगरी पहुंचे। 



उन्होंने महापौर रिषिकेश उपाध्याय के साथ रामलला और हनुमंतलाल का दर्शन-पूजन करने के साथ कारसेवकपुरम पहुंच विहिप के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज से मंत्रणा की। प्रदेश भाजपाध्यक्ष रंगमहल भी गये और वहां के महंत रामशरणदास से भूमिपूजन को ऐतिहासिक बनाने के लिए आशीर्वाद लिया। दरअसल संघ परिवार प्रधानमंत्री के दौरे को बेहद शानदार अवसर के रूप में प्रस्तुत करना चाहता है। हालांकि कोशिश कोरोना संकट के बीच इस अवसर पर अधिकाधिक लोगों को जुटाने के बजाय उसमें निहित संदेश मीडिया के माध्यम से अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाने और उन्हें भावनात्मक रूप से एकसूत्र में पिरोने की है। 

संघ नेतृत्व जानता है कि दुनिया भर में फैले रामभक्तों के बीच भगवान राम और उनकी जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की क्या अहमियत है और मंदिर निर्माण की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होना सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के क्षितिज पर किस कदर स्वॢणम संभावना से युक्त है। यह संदेश मंगलवार को भी मुखर होगा, जब उप मुख्यमंत्री केशवप्रसाद मौर्य रामनगरी में होंगे। समझा जाता है कि पांच अगस्त तक रामनगरी निरंतर सरगर्मी के शिखर की ओर बढऩे के साथ किसी विशिष्ट अवसर की अहमियत का नया प्रतिमान गढ़ेगी।



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