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रेलवे को राहत, अब नहीं फेल होंगे सिग्नल और ट्रेन को समय पर मिलेगी मंजिल

गाजीपुर न्यूज़ टीम, कानपुर। अब निकट भविष्य में रेलवे सिग्नल फेल होने, पैनल में खराबी आने, ट्रेनों के आउटर पर रुके रहने और रूट लॉक जैसी समस्याएं पूरी तरह खत्म हो जाएंगी। इससे ट्रेनों का संचालन सुधरेगा और यात्री समय से गंतव्य तक पहुंच सकेंगे। इसके लिए रेलवे इलेक्ट्रिकल इंटरलॉकिंग प्रणाली पर काम शुरू कर चुका है।

इलेक्ट्रिकल इंटरलॉकिंग से दूर होंगी समस्याएं
वर्तमान में ट्रेनों के संचालन का माध्यम रूट रिले इंटरलॉकिंग है। पैनल आधारित इस प्रक्रिया में तारों का संजाल होता है। बटन से ट्रेनों के लिए रूट क्लीयर होते हैं। पैनल से होकर गुजरने वाले तारों के अक्सर कटने या खराब होने से दिक्कतें होती हैं। कई बार समस्या आने के बाद सुधार में देरी से सिग्नल फेल होने पर ट्रेनों का संचालन प्रभावित होता है। इलेक्ट्रिकल इंटरलॉकिंग के इस्तेमाल के बाद यह समस्याएं पूरी तरह खत्म हो जाएंगी। आप्टिकल फाइबर केबिल (ओएफसी) आधारित आधुनिक प्रक्रिया से संकेत और सूचनाएं तेजी से मिलेंगी। सेंट्रल स्टेशन पर जगह-जगह फैले तारों का संजाल भी खत्म होगा।

समानांतर केबलें, एक खराब होने पर दूसरी करने लगेगी काम
ट्रेनों के संचालन में कोई समस्या नहीं आए, इसके लिए ओएफसी की दो समानांतर केबल डाली जाएंगी। एक में समस्या पर दूसरी लाइन खुद-ब-खुद काम करने लगेगी। इसके साथ ही स्क्रीन पर पहली लाइन के खराब होने की सूचना भी तत्काल डिस्पले होगी। कम मेंटीनेंस के साथ ही यह प्रणाली ज्यादा स्थान भी नहीं घेरेगी। ट्रेनों का सुरक्षित और तेज संचालन होगा। रूट लॉक और सिग्नल फेल नहीं होने से ट्रेनों के यहां-वहां खड़े होने की समस्या से निजात मिलेगी। ट्रेनों के रूट भी आसानी से बदले जा सकेंगे। अभी इसमें समस्या के कारण ट्रेनों को आउटर पर खड़ा करना मजबूरी बन जाता है।

हैरिसगंज के पास तीन मंजिला इमारत, 30 करोड़ से काम
ट्रेनों के संचालन की आधुनिक प्रणाली का प्रोजेक्ट करीब 30 करोड़ रुपये का है। इसके लिए हैरिसगंज के पास तीन मंजिला इमारत बनाने का प्रस्ताव है, जहां से संचालन होगा। उसके लिए टेंडर निकाला जा रहा है। इलेक्ट्रिकल इंटरलॉकिंग के लिए भी टेंडर प्रक्रिया की शुरुआत हो गई है। वर्ष 2021 तक इस प्रणाली पर ट्रेनें चलने लगेंगी।

इनका कहना है
इलेक्ट्रिकल इंटरलॉकिंग एडवांस तकनीक है। इसे मेनटेन व आपरेट करना आसान होगा, जबकि तकनीक में खामियों की गुंजाइश लगभग खत्म हो जाएगी। ट्रेनों का संचालन निर्बाध तरीके से हो सकेगा। -हिमांशु शेखर उपाध्याय, डिप्टी सीटीएम।
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