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युवक को डॉक्टरों ने मरा बताया, उठ बैठा मुर्दा तो मची भगदड़

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ। लखनऊ के गोसाईंगंज में सर्प दंश का शिकार 55 वर्षीय अम्बर यादव को सिविल अस्पताल में डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। परिजन गांव आकर अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे कि तभी अम्बर उठकर बैठ गया। यह देख भगदड़ मच गई। आननफानन में घरवाले उसे झाड़-फूंक के लिए ले गए। वहां करीब एक घंटे बाद उसने दम तोड़ दिया। परिवार का आरोप है कि डॉक्टरों ने कोरोना के डर से अम्बर को हाथ तक नहीं लगाया और बिना जांच के उसे मृत घोषित कर दिया। वहीं, अस्पताल प्रशासन ने आरोप को बेबुनियाद बताया है। 

मामला गोसाईंगंज के बलियाखेड़ा मोहल्ले का है। यहां रहने वाले अम्बर यादव (55) एक निजी स्कूल में नौकरी करते थे। शनिवार सुबह धूप निकलने पर वह छत पर कपड़े डालने गए थे। इस दौरान उन्हें सांप ने डस लिया। वह शोर मचाते हुए नीचे आए और परिवारीजनों को इसकी जानकारी दी। आननफानन में घरवाले उन्हें स्थानीय सीएचसी ले गए, जहां से उन्हें सिविल अस्पताल रेफर कर दिया गया। सिविल अस्पताल में उपचार के दौरान डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। 

उठ बैठा मुर्दा तो मची भगदड़   
बेहाल परिजन शरीर लेकर वापस घर आये और अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे। इस बीच अम्बर की सांस फिर लौट आई  और वह उठ कर बैठ गए। यह देख वहां अफरातफरी मच गई। आसपास विलाप कर रहे पड़ोसी और रिश्तेदार भाग खड़े हुए। परिजनों का दावा है कि अम्बर ने आवाज देकर उन्हें पास बुलाया। 

झाड़ फूंक के लिए ले गए 
घरवालों का कहना है कि बाद में वह झाड़-फूंक कराने के लिए अम्बर को 18 किलोमीटर दूर मोहनलालगंज के अतरौली गांव ले गए। वहां झाड़-फूंक का काम शुरू हुआ लेकिन अम्बर की जान नहीं बच सकी। करीब एक घंटे बाद उन्होंने दम तोड़ दिया। परिजनों का आरोप है कि कोरोना के चलते डॉक्टरों ने अम्बर को हाथ लगाना भी उचित नही समझा और बिना जांच किए ही मृत घोषित कर दिया।

मरीज को इमरजेंसी में मेरे सामने एंटी स्नेक वेनम दिया गया था। मरीज देर से इलाज के लिए आया, जिससे शरीर में जहर काफी फैल गया था। इसलिए उसे बचाया नहीं जा सका। इलाज न करने का आरोप बेबुनियाद है। 
डॉ. डीएस नेगी, निदेशक, सिविल अस्पताल 
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