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सावन के अंतिम सोमवार बाबा विश्वनाथ का झूले पर अद्भुत श्रृंगार

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी। सावन के पांचवें और अंतिम सोमवार बाबा विश्वनाथ के झूलनोत्सव की परंपरा निभाई गई। झूले पर सपरिवार विराजमान बाबा का अद्भुत श्रृंगार किया गया। पालकी पर विराजमान करके बाबा की रजत पंचबदन प्रतिमा का पूजन किया गया। क्षमादान के मंत्रोच्चार के बीच बाबा को पालकी से उतार कर सिंहासन पर विराजमान कराया गया। सप्तर्षि आरती के बाद बड़ी संख्या में काशीवासी बाबा के विशिष्ट स्वरूप का दर्शन करने विश्वनाथ मंदिर पहुंचे।

पुष्पों से सुसज्जित पालकी पहले मंदिर भेजी गई। उसके बाद महंत परिवार के सदस्य बाबा की पंचबदन प्रतिमा को हरे वस्त्र से ढंककर विश्वनाथ मंदिर ले गए। विश्वनाथ मंदिर में सप्तर्षि आरती के प्रधान अर्चक पं. शशिभूषण त्रिपाठी ने आरती का समापन चरण आरंभ होते ही संकेत कर दिया। मंदिर परिसर के अंदर पालकी यात्रा की तैयारी शुरू हो गई। 
करीब सायं छह बजे विश्वनाथ मंदिर परिसर स्थित रानीभवानी के सामने मंत्रोच्चार के बीच रजत पंचबदन प्रतिमा को पालकी पर विराजमान कराया गया। हरहर महादेव के जयघोष के बीच पालकी बाबा के गर्भगृह में लाई गई। जहां पहले से तैयार बेलपत्र और पुष्पों से निर्मित झूले पर बाबा को विराजमान कराया गया। पंचमुखी स्वरूप में भगवान शिव की दायीं जंघा पर बैठे प्रथमेश गणेश और बाई जांघ पर बैठी देवी पार्वती की आरती पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने की। श्रावण पूर्णिमा पर बाबा के पंचबदन स्वरूप की महंत परिवार द्वारा आरती की परंपरा विश्वनाथ मंदिर के स्थापना काल से चली आ रही है। 

इससे पहले टेढ़ीनीम स्थित पूर्व महंत आवास पर पंचबदन प्रतिमा का पूजन शिवाचार्य महंत पं.ज्योतिशंकर त्रिपाठी के आचार्यत्व में पं. राजेंद्र तिवारी, पं.उदय शंकर त्रिपाठी, पं. हिमांशु त्रिपाठी एवं पं.वीरेन्द्र तिवारी ने प्रतिमा का शृंगार और पूजन किया। डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया वैश्विक महामारी के कारण इस बार झूलनोत्सव के सभी आयोजनों को परिवार तक ही सीमित रखा गया।

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