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कोरियर से काशी भेज रहे अस्थियां, पिंडदान का ऑनलाइन संकल्प

गाजीपुर न्यूज़ टीम, वाराणसी. दुनियाभर में धार्मिक नगरी के रूप में काशी प्रसिद्ध है। गंगा में अस्थियां विसर्जित करने और पिंडदान के लिए लाखों लोग यहां आते हैं। लेकिन कोरोना काल में संक्रमण के खतरे और प्रतिबंधों के चलते लोगों ने ऑनलाइन माध्यम चुना है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, से बनारस में गंगा में अस्थि विसर्जन के लिए कोरियर से अस्थियां भेजी जा रही हैं। पुरोहितों, टूर ऑपरेटरों या अपने परिचितों, रिश्तेदारों के यहां अस्थि भेज रहे हैं। पूरी प्रक्रिया का वीडियो बनाकर संबंधित परिवारों को भेजा रहा है। पिंडदान के लिए भी वीडियो कॉल के माध्यम से ऑनलाइन संकल्प दिलाकर पूजा संपन्न कराई जा रही है। 
त्रिचूर निवासी एमएन स्वामी का निधन पिछले सप्ताह अपने निवास स्थान पर हो गया था। उनकी इच्छा थी कि उनकी अस्थियां काशी में गंगा में प्रवाहित की जाएं। लेकिन संक्रमण के खतरे को देखते हुए परिजन खुद नहीं पहुंच सके। लेकिन पुरोहित को कोरियर से अस्थियां भेजकर दशाश्वमेध घाट पर प्रवाहित कराया गया। कोरियर के साथ एक सादे कागज पर व्यक्ति का नाम, गोत्र, पूर्वजों का नाम भी भेजा गया। 

चेन्नई निवासी एस सोमसुंदरम की साल 2017 में 57 वर्ष की उम्र में हार्ट अटैक से मृत्यु हुई थी। उनके परिजनों को गया में पिंडदान करना था। लेकिन कोरोना के कारण वह नहीं आ सके। उन्होंने बनारस में अपने टूर ऑपरेटर को इसकी जिम्मेदारी दी। गया में विधि विधान से पिंडदान हुआ और पुरोहित ने वीडियो भेज दिया। साथ ही पुरोहित ने वीडियो कॉल से संकल्प भी दिला दिया। 

पिछले दिनों बनारस में ऐसे 20 से ज्यादा उदाहरण देखने को मिले हैं। बनारस के टूर ऑपरेटर ही गया और प्रयागराज में भी ये पूजन और अस्थियों को विसर्जित कराने की जिम्मेदारी ले रहे हैं।पिंडदान व अस्थि विजर्सन या श्राद्ध प्रक्रिया के लिए टूर ऑपरेटरों को ऑनलाइन फीस दी जा रही है। पुरोहितों के खाते में दक्षिणा पहुंच रही है। वाराणसी टूरिज्म गिल्ड के सदस्य संतोष सिंह ने बताया कि पितृपक्ष में कई लोगों ने पिंडदान और श्राद्ध कराने के लिए संपर्क किया है। कोरियर से अस्थियां भेजकर विसर्जित करवाई जा रही हैं। पूरी प्रक्रिया का वीडियो और फोटोग्राफ भेज दिया जाता है।
 
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