Ghazipur: नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में सादगी से मना विजयादशमी का पर्व
गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में विजयादशमी का पर्व कोविड-19 को देखते हुए रविवार को सादगी से मनाया गया। नगर के लंका मैदान में शाम को मात्र कुछ लोगों के बीच में राम-रावण संवाद, राम-रावण युद्ध एवं रावण वध होने के बाद 12 फीट लंबे रावण पुतले का दहन हुआ। लंका मैदान में मेला नहीं लगने के कारण लोगों में काफी मायूसी रही। लंका मैदान के गेट के बाहर सड़क किनारे मेला सा माहौल रहा। लोगों ने मेला का आनंद लिया। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी सादगी से दशहरा का पर्व मनाया गया।
लंका मैदान में कोविड-19 अनलॉक गाइडलाइन का पालन करते हुए शाम पांच बजे राम-रावण संवाद शुरू हुआ। इसके बाद राम-रावण युद्ध शुरू हुआ जो करीब आधे घंटे चला। युद्ध के बाद रावण वध हुआ। करीब साढे़ छह बजे रावण के पुतले का दहन किया गया। इस दौरान कुछ प्रशासनिक अधिकारियों को छोड़ कर वहां लोगों की भीड़ नहीं थी। वहीं मैदान के बाहर मेला सा माहौल बना हुआ था।
खिलौनों एवं चाट-पकौड़े की दुकानें लगी हुइ थीं। लोगों ने इसका आनंद लिया। इस अवसर पर नगर पालिका चेयरमैन प्रतिनिधि विनोद अग्रवाल, भाजपा नगर अध्यक्ष अजय गुप्ता, कमेटी के अध्यक्ष दीनानाथ गुप्त, मंत्री ओमप्रकाश उर्फ बच्चा तिवारी, उपाध्यक्ष विनय सिंह, कोषाध्यक्ष अभय अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, वीरेश चंद्र वर्मा, संजीव सिंह, असित सेठ, ओमनारायण सैनी, पंडित लव त्रिवेदी, रोहित अग्रवाल, रासबिहारी राय, अजय अग्रवाल, शिवपूजन तिवारी, मयंक तिवारी, मनोज तिवारी, श्रवण गुप्ता आदि थे।
मलसा क्षेत्र में विजयदशमी पर्व धूमधाम से मनाया गया। श्रद्धालुओं ने क्षेत्र के विभिन्न देवी मंदिरों पर दर्शन पूजन किया। उधर मेदनी चक नंबर दो गांव स्थित अवध धाम पर चल रहे मानस सुंदर कांड का पाठ के समापन पर हवन पूजन के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर रवींद्रनाथ राय, रामनिवास शर्मा, गजानंद राय, रामबाबू राय, बालेश्वर राय आदि थे।
भांवरकोल क्षेत्र में विजयदशमी त्योहार काफी फीका रहा। कोविड 19 के कारण शासन द्वारा जारी दिशानिर्देश का पालन करते हुए शेरपुर, अवथहीं, अमरूपुर, कनुआन तथा तरांव में लगने वाले मेले नहीं लगे। तरांव में दो चार दुकानें जरूर लगीं थीं जहां ग्राहकों की संख्या नगण्य रही। तरांव व अवथहीं में मेला तो नहीं लगा लेकिन अन्याय व अधर्म का प्रतीक रावण का पुतला जरूर जलाया गया। मनिया, शेरपुर, अवथहीं तथा कनुआन व अमरूपुर में तो दुकान व मेले के नाम पर कुछ भी नहीं था। शासन द्वारा जारी दिशानिर्देश के पालन हेतु पूरे दिन पुलिस चक्रमण करती रही।
रेवतीपुर स्थानीय क्षेत्र में चल रहे श्रीरामलीला महोत्सव में कलाकारों द्वारा राम-रावण युद्ध और रावण वध की लीला का मनोहारी मंचन किया गया। रेवतीपुर के श्रीरामलीला मैदान में चल रहे रामलीला महोत्सव के 8वें दिन लक्ष्मण द्वारा मेघनाथ वध की लीला का मंचन किया गया। मेघनाथ वध से दुखी रावण ने पाताल लोक से अपने बलशाली पुत्र अहिरावण को बुलाया। अहिरावण द्वारा हनुमान को मूर्छित कर राम-लक्ष्मण का अपहरण कर पाताल लोक ले जाने और हनुमान द्वारा राम-लक्ष्मण को मुक्त कराने की लीला का शानदार मंचन किया। अहिरावण वध के बाद राम-रावण का घोर युद्ध और रावण वध की लीला के साथ ही श्रीराम के जयघोष से संपूर्ण पंडाल गूंज उठा।
मृत्यु शैय्या पर लेटे रावण द्वारा राम-लक्ष्मण को ज्ञान देने के साथ ही माता सीता को लंका से छुड़ाने का भी प्रभावशाली मंचन किया गया। इससे लीला मंचन के बाद रेवतीपुर ग्राम प्रधान प्रतिनिधि उपेंद्र शर्मा ने भगवान श्री राम की आरती उतारी। इस दौरान मौजूद लोगों में गोपाल राय, महंत निर्मल दास, सूरज राय इत्यादि थे।
सैदपुर नगर समेत ग्रामीण अंचलों में दशहरा का मेला नहीं लगने से उल्लास कम रहा। रामलीला मैदान में रामलीला कमेटी के कुछ लोगों ने एकत्र होकर श्रीराम लक्ष्मण जानकी की पूजा की। बाजार में भीड़भाड़ नहीं रही। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस के जवान चक्रमण करते रहे।
खानपुर क्षेत्र के दुर्गा पूजा पंडालों सहित देवी भक्त लोगों के घरों में नवरात्र के आखिरी दिन नौ कन्याएं पूजीं गई और भैरव रूपी युवकों के पांव पखारे गए।
शारदीय नवरात्र में कोरोना संक्रमण
का प्रभाव साफ साफ दिखाई पड़ा। छोटे-छोटे मूर्तियों के रूप में रखे गए पूजा पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विधिवत पूजा अर्चना कर अगले वर्ष खूब धूमधाम से स्थापना पूजा अर्चना करने के वादे इरादे के साथ मूर्तियों का विसर्जन किया गया। महिलाओं सहित पुरुषों ने व्रत रहकर अंतिम दिन सिद्धदात्री माता से सर्व समाज के लिए मंगल कामना और कोरोना संक्रमण से मुक्ति पाने का वरदान मांगा।
मंचन के अभाव में प्रतीकात्मक रावण का जला पुतला
खानपुर क्षेत्र के सभी रामलीला समितियों में कोरोना संक्रमण से बचाव और प्रशासनिक अनुमति के अभाव में रामलीला मंचों पर भगवान राम की तस्वीर और उनके मुकुट अस्त्र-शस्त्र रखकर प्रतिदिन आरती, पूजन और रामायण पाठ किया गया। दशहरा के दिन बगैर किसी अतिरिक्त आयोजन या मेला के संपूर्ण रामायण पाठ कर रामलीला की अंतिम औपचारिकता पूरी की गई।
रामलीला के अंतिम चरण में विजयादशमी के दिन सभी रामलीला समितियों ने रावण का प्रतीकात्मक छोटे पुतलों को बनाकर उसका दहन किया।