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राज्यसभा इलेक्शन: भाजपा ने फिर साधे सियासी समीकरण, दलितों को दिया संदेश

गाजीपुर न्यूज़ टीम, लखनऊ. भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम तय करने के साथ ही वर्ष 2022 के लिए साफ संदेश दे दिया है। संदेश है-संगठन सर्वोपरि, पार्टी के प्रति समर्पण और जातीय समीकरण भी सफलता के लिए जरूरी है। आठ उम्मीदवारों में से पांच पार्टी व संगठन के पुराने निष्ठावान हैं।

भाजपा ने जो आठ उम्मीदवारों के नाम तय किए हैं, उनसे तो यही संदेश है कि जातीय समीकरण के साथ ही पार्टी पदाधिकारी और पार्टी के प्रति बिना किसी महत्वाकांक्षा के काम करने को महत्व मिलना तय है। पार्टी ने आठ उम्मीदवारों में दो ब्राह्मण जौनपुर की सीमा द्विवेदी और हरिद्वार दुबे, दो ओबीसी गीता शाक्य और बीएल वर्मा और दो  क्षत्रिय नीरज शेखर व अरुण सिंह को उम्मीदवार बनाकर संदेश दे दिया है कि चुनावों में जीत के लिए जातीय समीकरण जरूरी है।  सीमा द्विवेदी और हरिद्वार दुबे लंबे समय से पार्टी व संगठन से जुड़े रहे। वहीं हरिद्वार दुबे भी पूर्व मंत्री व पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष रहे। ब्राह्मणों के नामों का चयन कर पार्टी ने लागातार हमलावर रहे विपक्ष को जवाब देने की कोशिश की है। वहीं हाल के दिनों में कुछ घटनाओं के कारण सुर्खियों में आए बलिया के दो बाशिंदों का चयन कर पूर्वांचल को भी संदेश देने की कोशिश की है। हरिद्वार दुबे मूलत: बलिया के निवासी हैं। वहीं क्षत्रिय नीरज शेखर के साथ हरिद्वार दुबे को उम्मीदवार बना कर पूरे पूर्वांचल में ब्राह्मण-क्षत्रिय राजनीति को साधने की कोशिश की है।


बृजलाल रहे सबसे चर्चित चेहरे:

बसपा सरकार में डीजीपी रहे बृजलाल उम्मीदवारों में सबसे चौंकाने वाला नाम रहा। पार्टी के बड़े पदाधिकारी ने कहा कि उनकी सेवाकाल में कानून के प्रति निष्ठा, ईमानदारी और सेवा से निवृत्त होने के बाद पार्टी से जुड़ाव को महत्व दिया गया। पार्टी ने उन्हें वर्ष 2015 से जो भी काम दिया, उन्होंने बखूबी अंजाम दिया। विभिन्न प्रकरणों में उन्हें जांच के लिए भेजा गया। समय-समय पर दलितों को लेकर पार्टी पर हुए हमले पर वे पार्टी के लिए कवच के रूप में खड़े हुए। वे 30 नवंबर 2014 को रिटायर हुए थे और एक महीने बाद 21 जनवरी 2015 को उन्होंने भाजपा की सदस्या ली थी।


ओबीसी पर भी फोकस

पार्टी ने ओबीसी समीकरण को भी साधने की पूरी कोशिश की है। बीएल वर्मा जो यूपी सिडको के अध्यक्ष थे और लोध जाति से हैं, उन्हें लंबे समय से पार्टी से जुड़े रहने का लाभ दिया गया है। वहीं औरैया की गीता शाक्य को भी ओबीसी समीकरण में उम्मीदवार बनाया गया है। पार्टी ने दोनों को टिकट देकर साफ कर दिया है कि ओबीसी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण थे और रहेंगे।

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