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Ghazipur: साइबेरियन पक्षियों के कलरव से गूंज रहीं गंगा की लहरें

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. सैदपुर, क्षेत्र के गंगा और गोमती में साइबेरियन पंक्षियों की गूंज से नदियों का नजारा पूरी तरह से बदल गया है। गुलाबी ठंडी की दस्तक पड़ते ही इन पंक्षियों की चह-चह से पूरे गंगा में कलरव की मीठी लहर सी उठ रही है। इसी नजारे को देखने के लिए भारी तादात में लोग गंगा किनारे पहुंच रहे हैं। ये पक्षी रूस के साइबेरिया इलाके से आते हैं। सफेद रंग के इन पक्षियों की चोंच और पैर नारंगी रंग के होते हैं।

साइबेरिया बहुत ही ठंडी जगह है जहां नवंबर से लेकर मार्च तक तापमान जीरो से 50 से 60 डिग्री नीचे तक चला जाता है। इस तापमान में इन पक्षियों का जिदा रह पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसीलिए ये पक्षी हजारों किलोमीटर की दूरी तय करके भारत आते हैं। साइबेरियन पक्षियों की दर्जनों ऐसी प्रजातियां हैं जो हर साल अपना घर छोड़कर दुनियाभर में पनाह लेती हैं। भारत आने के लिए ये पंक्षी 4000 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबा सफर उड़कर पूरा करते हैं। ये पंक्षी ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान को पार करते हुए भारत आते हैं। इतना लंबा सफर तय करने के लिए ये हजारों के ग्रुप में उड़ते हुए पूरा करते हैं। 


भारत आने के करीब दो महीने पहले से ही इन पंक्षियों की तैयारी शुरू हो जाती है। मौसम में बदलाव के साथ इन पंक्षियों के हार्मोन में बदलावों से उनके शरीर पर पंख बढ़ जाते हैं जो लंबे समय तक उड़ने के लिए जरूरी हैं। इसके साथ ही ये पक्षी अपने शरीर पर फैट इकठ्ठा करने के लिए खूब खाते हैं और वजन बढ़ाते हैं। बॉडी फैट बढ़ जाने से इन्हें लंबे सफर में गर्माहट मिलती है और भोजन की भी कमी नहीं खलती। लेकिन इनका सफर इतना आसान नहीं होता रास्ते में बहुत सी मुश्किलें आती हैं। आंधी, तूफान और तेज हवाओं से कई पक्षी अपनी जान से भी हाथ धो बैठते हैं, लेकिन फिर भी हर साल भयानक ठंड से भागते हुए ये भारत की ओर रूख करते हैं। इन पंक्षियों के पंख अठखेलियां खेलते समय पानी में डुबकी लगाने के बावजूद पानी में नहीं भीगते हैं।


पंक्षियों को खिलाने के लिए घाटों पर आ रहे लोग

जहां लोग इन्हें देखने जुट रहे हैं, वहीं इनके शिकारी भी मौके पर पहुंच रहे हैं। इन पक्षियों को नमकीन चीजें बहुत पसंद हैं जिसे खिलाने के लिए लोग नमकीन, दालमोठ, सेवड़ा, लाई आदि लेकर घाटों पर जा रहे हैं। पटना के नाविक धर्मेंद्र बताते हैं कि गंगा तट पर इन पंक्षियों के आ जाने से हमारे कारोबार में तेजी से इजाफा हुआ है। मछली मारने के अलावा नौकायन कराने का भी काम मिल जा रहा है। पहले जहां 300 से 400 रूपये की कमाई होती थी वहीं अब इस समय में 1000 से 1200 रूपये की कमाई आसानी से हो जाती है।

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