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8 सालों में 10 राज्यों की छानी खाक, गोरखपुर में मिली 'मां'

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गोरखपुर. आठ साल में 10 राज्यों में शिद्दत से तलाश के बाद पश्चिम बंगाल के मालदा के सुजीत मंडल को उसकी मां दुलारी मिल गई। मां दुलारी मंडल गोरखपुर के मानसिक मंदिर महिला आश्रय गृह मातृछाया में मिली। रविवार को बेटा सुजीत मां को लेने के लिए पहुंचा। बेटे को देखकर मां फफक कर रोने लगी। 

यह मामला है मालदा के रहने वाले दुलारी मंडल व उनके बेटे सुजीत की। दुलारी के पति मालदा में बिजनेस करते थे। परिवार में दो बेटे और एक बेटी थी। सबसे छोटा बेटा सुजीत है। सुजीत ने बताया कि परिवार की खुशियों पर वर्ष 2008 से ग्रहण लगना शुरू हुआ। सबसे पहले पिता की मौत हुई। उस दौरान मेरी उम्र सिर्फ 11 साल थी। पिता की मौत के बाद बड़ा भाई कमाने के लिए पानीपत गया। तीन साल बाद वहां से उसकी मौत की खबर आई। इन दो घटनाओं ने मां को अंदर से झकझोर दिया। वह घर में अकेले रहने लगी। बड़ी बहन और मैं उनके लिए सहारा थे। वर्ष 2013 में बहन की शादी तय थी। शादी से कुछ दिन पहले उसकी मौत हो गई। इस घटना ने मां को पागल बना दिया। 


घर से निकली बेटी की लाश तो चली गई दुलारी 

सुजीत ने बताया कि बहन की मौत के बाद मां पागलों जैसी हरकत करने लगी। बहन के शव को अंतिम संस्कार करने के लिए घाट ले गए। उसी दौरान मां घर से निकल गई। बहन का अंतिम संस्कार करके जब घर लौटे तो मां नहीं मिली। उसके बाद से आज तक मां की तलाश कर रहे हैं।


10 राज्यों की खाक छान चुका है सुजीत 

सुजीत ने बताया कि मां के लापता होने के समय उसकी उम्र 16 साल थी। उसी समय से मां की तलाश कर रहा है। मां की तलाश में पश्चिम बंगाल के करीब-करीब हर रेलवे स्टेशन की खाक छान चुका है। इसके अलावा बिहार, महाराष्ट्र, आसाम, छत्तीसगढ़ व पूर्वोत्तर के राज्य समेत 10 राज्य में जाकर उसकी तलाश की। इस चक्कर में पढ़ाई भी छोड़ दी।

30 अगस्त को गोरखपुर में बस स्टेशन पर मिली थीं दुलारी 

कोरोना संक्रमण के दौरान दुलारी को पुलिसकर्मियों ने 30 अगस्त को रोडवेज पर बरामद किया। वह पूरी तरह से मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गई थी। कूड़ा बीनकर खा रही थी। वह रोडवेज पर पागलों जैसी हरकतें कर रहे थीं। अपना नाम व पता भी नहीं बता पा रही थीं। 


दो महीने इलाज से सुधरी तबीयत

प्रशासन ने उसे मातृछाया संस्था के सुपुर्द कर दिया। संस्था के निदेशक आलोक मणि त्रिपाठी ने बताया कि संस्था में महिला का इलाज कराया गया। मनोचिकित्सक डॉ. अभिनव श्रीवास्तव ने उसका इलाज किया। इलाज से काफी हद तक फायदा हुआ है। करीब दो महीने इलाज के बाद महिला की हालत में सुधार हुआ। नवंबर के पहले हफ्ते में महिला ने अपने जिले और थाना क्षेत्र का पता बताया। संबंधित थाने से संपर्क किया गया। उन्होंने सुजीत को सूचना दी।


मुम्बई तक जा चुकी है दुलारी 

रविवार को गोरखपुर पहुंचे बेटे सुजीत को देखकर मां दुलारी जार-जार होकर रोने लगी। उसकी मानसिक हालत ठीक हो रही है। दुलारी ने बताया कि वह घर से निकलने के बाद सिलीगुड़ी, कोलकाता और मुंबई भी गई थी। वहां से गोरखपुर कैसे आई यह बता पाने में वह असमर्थ हैं।

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