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Ghazipur: जान दांव पर लगाकर हो रही नाव की सवारी

गाजीपुर न्यूज़ टीम, गाजीपुर. बारा, गंगा में ओवरलोडेड नाव पर सफर को मजबूर लोग जब हादसे का शिकार होते हैं तो शुरुआत में प्रशासन सख्ती दिखाता है लेकिन सब कुछ हकीकत के परे होता है। कुछ दिन बाद प्रशासनिक उदासीनता के चलते सब कुछ फिर से पहले जैसा हो जाता है। जिदगी दांव पर लगाकर इन दिनों बारा में लोग ओवरलोड नाव की सवारी कर रहे हैं। तमाम कोशिश के बाद भी संचालन पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।

वर्ष 1989 में वीरपुर गंगा घाट पर पशुओं को लादकर बारा जा रहे लोगों से भरी ओवरलोडेड नाव बीच गंगा में डूब गई थी। जिसमें नाविकों की मदद से लोगों को तो सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया लेकिन दर्जनों मवेशी काल के गाल में समा गए थे। हकीकत यह है कि बारा घाट के अलावा गहमर सहित अन्य गंगा घाटों पर नाव हादसा होने के बाद जिला प्रशासन की ओर से फरमान जारी होता है और उस पर अमल भी होता है। संबंधित विभाग की ओर से गंगा घाट पर नाव की सवारी कराने वालों के लिए चेतावनी बोर्ड भी लगा दिए जाते हैं। कुछ दिन तक तो इसका असर भी दिखता है लेकिन जैसे-जैसे समय गुजरने लगता है लोग भूलकर फिर ओवरलोड नाव की सवारी करने लगते हैं। इन दिनों बारा में कुछ इसी तरह से जिदगी दांव पर लगा कर लोग नाव की सवारी कर रहे हैं। क्षमता से अधिक लोगों को नाव पर बैठाकर गंगा पार कराया जा रहा है। इसको लेकर न तो सवारी करने वाले गंभीर हैं और न ही जिम्मेदार महकमा।


अफसरों की नहीं पड़ती है नजर

गंगा में ओवरलोडिग पर अफसरों की नजर नहीं पड़ती है। क्षमता से अधिक लोगों को नाव पर बैठाकर गंगा पार कराया जाता है। जानकारों का कहना है कि प्रशासन की ओर से समय से इस पर ठोस कदम नहीं उठाया गया तो किसी दिन बड़ी घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है। हद तब हो जाती है जब गैर पंजीकृत और जर्जर नावों का बेधड़क संचालन किया जाता है।

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